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विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों के मामले में 22 नवंबर को होगी अगली सुनवाई, जानिए मामला

Uttarakhand Assembly Secretariat Personnel के बर्खास्तगी के मामले में लगातार सुनवाई चल रही है. इस मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी. खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ याचिकाकर्ताओं की तरफ से बहस कर रहे हैं.

Uttarakhand Assembly recruitment scam
नैनीताल हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 1, 2023, 7:05 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड में विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने सुनवाई को जारी रखा है. साथ ही मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर की तिथि नियत की है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से आज सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ ने बहस की. आगामी 22 नवंबर को भी वे याचिकाकर्ताओं का पक्ष कोर्ट में जारी रखेंगे.

दरअसल, अपनी बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ट, कुलदीप सिंह समेत अन्य 102 लोगों ने एकलपीठ में चुनौती दी है. याचिकाओं में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 और 29 सितंबर 2022 को समाप्त कर दी गई.

बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार और किन कारणों से हटाया गया? कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया न ही उन्हें बताया गया. जबकि, उन्होंने सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति काम किया है. एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित में नहीं है, यह आदेश विधि विरुद्ध है.
ये भी पढ़ेंः विधानसभा भर्ती घोटालों की जांच करने वाली समिति की नसीहत, मजबूत करें RTI

वहीं, उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां 2001 से 2015 के बीच में भी हुई. जिनको नियमित किया जा चुका है. याचिकाओं में कहा गया है कि साल 2014 तक हुई तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को चार साल से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई, लेकिन उन्हें 6 साल के बाद भी नियमित नहीं किया गया.

इतना ही नहीं उन्हें नियमित करने की बजाय उन्हें हटा दिया गया. इससे पहले उनकी नियुक्ति को साल 2018 में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी. जिसमें हाईकोर्ट ने उनके हित में आदेश देकर माना था कि उनकी नियुक्ति वैध है. जबकि, नियमानुसार 6 महीने की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था. अब इस पूरे मामले में सुनवाई चल रही है.

नैनीतालः उत्तराखंड में विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने सुनवाई को जारी रखा है. साथ ही मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर की तिथि नियत की है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से आज सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ ने बहस की. आगामी 22 नवंबर को भी वे याचिकाकर्ताओं का पक्ष कोर्ट में जारी रखेंगे.

दरअसल, अपनी बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ट, कुलदीप सिंह समेत अन्य 102 लोगों ने एकलपीठ में चुनौती दी है. याचिकाओं में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 और 29 सितंबर 2022 को समाप्त कर दी गई.

बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार और किन कारणों से हटाया गया? कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया न ही उन्हें बताया गया. जबकि, उन्होंने सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति काम किया है. एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित में नहीं है, यह आदेश विधि विरुद्ध है.
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वहीं, उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां 2001 से 2015 के बीच में भी हुई. जिनको नियमित किया जा चुका है. याचिकाओं में कहा गया है कि साल 2014 तक हुई तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को चार साल से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई, लेकिन उन्हें 6 साल के बाद भी नियमित नहीं किया गया.

इतना ही नहीं उन्हें नियमित करने की बजाय उन्हें हटा दिया गया. इससे पहले उनकी नियुक्ति को साल 2018 में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी. जिसमें हाईकोर्ट ने उनके हित में आदेश देकर माना था कि उनकी नियुक्ति वैध है. जबकि, नियमानुसार 6 महीने की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था. अब इस पूरे मामले में सुनवाई चल रही है.

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