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टिहरी स्कूल वैन हादसा: सरकार की सुस्ती से HC नाराज, 2 सप्ताह की दी मोहलत

टिहरी स्कूल वैन हादसा मामले में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान नैनीताल हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. राज्य सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

टिहरी स्कूल वैन हादसे में सरकार की सुस्ती से हाई कोर्ट नाराज
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Published : Nov 6, 2019, 10:48 PM IST

नैनीताल: 5 अगस्त को टिहरी में हुए स्कूल वैन हादसे में बच्चों की मौत मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. राज्य सरकार से पिछली सुनवाई के दौरान दिये आदेश का जवाब न देने पर मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जताई है.

टिहरी स्कूल वैन हादसे में सरकार की सुस्ती से हाई कोर्ट नाराज.


टिहरी गढ़वाल के जाखणीधार में एंजेल पब्लिक इंटरनेशनल स्कूल की वैन खाई में गिरकर 10 बच्चों की मौत हो गई थी. मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. बच्चों की वैन खाई में गिरने के मामले पर टिहरी जिला शिक्षा अधिकारी ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया और कहा कि लापरवाही बरतने के मामले में स्कूल प्रबंधन व अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी, जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव पर डालेंगे याचिका

गौरतलब है कि देहरादून निवासी उमेश कुमार शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 5 अगस्त 2019 को टिहरी के जाखणीधार में बच्चों से भरी स्कूल वैन अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गई थी. वाहन में कुल 22 लोग सवार थे. जिसमें 20 स्कूली बच्चे थे. इस हादसे में10 बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. याचिकाकर्ता का ये भी कहना है कि जीप के ड्राइवर और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से ये हादसा हुआ, क्योंकि जिस समय ये हादसा हुआ उस समय जीप को ड्राइवर का नाबालिग लड़का चला रहा था. याचिकाकर्ता ने मामले में मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा दिलाने की भी मांग की है.

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याचिका में ये भी कहा गया है कि प्रदेश भर में हजारों की संख्या में बगैर मानकों के अवैध तरीके से स्कूलों का संचालन हो रहा है. लेकिन, राज्य सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. साथ ही कार्रवाई के नाम पर केवल बार-बार नोटिस जारी कर देती है. याचिकाकर्ता का कहना है कि टिहरी में हुए हादसे में भी स्कूल की मान्यता नहीं थी. जिसको शिक्षा विभाग के द्वारा मानक पूरे न करने पर 2018 से नोटिस दिए गए थे. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. घटना के बाद भी सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

नैनीताल: 5 अगस्त को टिहरी में हुए स्कूल वैन हादसे में बच्चों की मौत मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. राज्य सरकार से पिछली सुनवाई के दौरान दिये आदेश का जवाब न देने पर मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जताई है.

टिहरी स्कूल वैन हादसे में सरकार की सुस्ती से हाई कोर्ट नाराज.


टिहरी गढ़वाल के जाखणीधार में एंजेल पब्लिक इंटरनेशनल स्कूल की वैन खाई में गिरकर 10 बच्चों की मौत हो गई थी. मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. बच्चों की वैन खाई में गिरने के मामले पर टिहरी जिला शिक्षा अधिकारी ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया और कहा कि लापरवाही बरतने के मामले में स्कूल प्रबंधन व अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

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गौरतलब है कि देहरादून निवासी उमेश कुमार शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 5 अगस्त 2019 को टिहरी के जाखणीधार में बच्चों से भरी स्कूल वैन अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गई थी. वाहन में कुल 22 लोग सवार थे. जिसमें 20 स्कूली बच्चे थे. इस हादसे में10 बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. याचिकाकर्ता का ये भी कहना है कि जीप के ड्राइवर और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से ये हादसा हुआ, क्योंकि जिस समय ये हादसा हुआ उस समय जीप को ड्राइवर का नाबालिग लड़का चला रहा था. याचिकाकर्ता ने मामले में मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा दिलाने की भी मांग की है.

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याचिका में ये भी कहा गया है कि प्रदेश भर में हजारों की संख्या में बगैर मानकों के अवैध तरीके से स्कूलों का संचालन हो रहा है. लेकिन, राज्य सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. साथ ही कार्रवाई के नाम पर केवल बार-बार नोटिस जारी कर देती है. याचिकाकर्ता का कहना है कि टिहरी में हुए हादसे में भी स्कूल की मान्यता नहीं थी. जिसको शिक्षा विभाग के द्वारा मानक पूरे न करने पर 2018 से नोटिस दिए गए थे. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. घटना के बाद भी सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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टिहरी में स्कूल वैन के खाई में गिरने से हुई बच्चों की मौत के मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब।

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टिहरी गढ़वाल के जाखनी धार में एंजेल पब्लिक इंटरनेशनल स्कूल की वैन खाई में गिरकर हुई बच्चों की मौत के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं, वहीं बच्चों की वैन खाई में गिरने के मामले पर टिहरी के जिला शिक्षा अधिकारी ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया और कहा की लापरवाही बरतने के मामले पर स्कूल प्रबंधन व अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
वहीं राज्य सरकार से पिछली सुनवाई के दौरान मांगे गए जवाब का आदेश अब तक कोर्ट में पेश ना करने पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी भी व्यक्त की है।


Body:आपको बता दें कि देहरादून निवासी उमेश कुमार शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 5 अगस्त 2019 को बच्चो को स्कूल ले जा रही जीप खाई में जा गिरी, इस जिप में 22 लोग सवार थे, जिसमें 20 स्कूली बच्चे थे और खाई में गाड़ी गिरने के दौरान 10 बच्चों की मौत हो गई जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि जीप के ड्राइवर और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से यह हादसा हुआ क्योंकि जिस समय हादसा हुआ उस समय जीप को ड्राइवर का नाबालिक लड़का चला रहा था, साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा मारे गए बच्चे के परिजनों को उचित मुआवजा दिलाने की भी मांग की गई है।


Conclusion:साथ ही याचिका में कहा गया है कि प्रदेश भर में हजारों की संख्या में बगैर मानकों के पूरा करें बगैर मान्यता के अवैध स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिन पर राज्य सरकार ध्यान नहीं दे रही है वहीं कार्यवाही के नाम पर केवल बार-बार नोटिस दिए जा रहे हैं लेकिन दबाव के चलते कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की जा रही है,
वही याचिकाकर्ता का कहना है कि टिहरी में हुए हादसे में भी स्कूल की मान्यता नहीं थी जिसको शिक्षा विभाग के द्वारा मानक पूरे न करने पर 2018 से नोटिस दिए जा रहे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई घटना के बाद भी सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, साथ ही सरकार द्वारा बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का सर्वे भी नहीं किया जा रहा है कि उत्तराखंड में कितने स्कूल बगैर मान्यता के चल रहे हैं,,, वहीं याचिकाकर्ता ने परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली और सवाल करते हुए कहां है कि प्रदेश में बड़े बड़े हादसे हो रहे हैं लेकिन परिवहन विभाग ओवरलोडिंग के मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।

बाईट- गोपाल के वर्मा, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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