नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार जनपद के मुजफ्फरपुर मौजां वन ग्राम में वन भूमि पर हो रहे अवैध खनन के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.
कृषि भूमि पर अवैध खनन पर सरकार से मांगा जवाब: मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी सामाजिक कार्यकर्ता धर्मवीर सैनी की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि वन विभाग की ओर से मुजफ्फरपुर मौजां गांव के 59 लोगों के परिवारों को 55 हेक्टेयर वन भूमि कृषि कार्य हेतु दी गयी. याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि इस भूमि पर पट्टेधारकों की ओर से पिछले कुछ सालों से अवैध खनन किया जा रहा है. जबकि उनके द्वारा अदालत में इससे संबंधित फोटोग्राफ भी पेश किये गये.
याचिकाकर्ता ने उठाया था ये सवाल: जनहित याचिका में कहा गया कि जब यह भूमि उनको कृषि कार्य हेतु दी गयी थी तो कैसे इसपर अवैध खनन हो रहा है. इस पर रोक लगाई जाये. इसमें सम्मलित लोगो के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की गई.
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग पर जुर्माना: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएसजे की प्राथमिक परीक्षा में पूछे गए तीन सवालों के गलत मूल्यांकन करने पर आयोग पर प्रति याचिका दस हजार का जुर्माना लगाया है. साथ ही आयोग से एक कमेटी गठित कर इन प्रश्नों का मूल्यांकन करने व 4 हफ्ते के भीतर प्री परीक्षा में सफल उम्मीदवारों की नई सूची जारी करने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई.
ये था पूरा मामला: मामले के अनुसार पीसीएसजे की प्री परीक्षा में शामिल अभ्यर्थी तरुण साहनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि प्री परीक्षा का परिणाम 29 मई को घोषित हुआ. जिसमें उनके 3 सही प्रश्नों को गलत बताया गया. तरुण साहनी ने सिविल जज परीक्षा के प्रिलिमिनरी परीक्षा के तीन सवालों को चुनौती दी थी. याचिकर्ता के अधिवक्ता स्वाति वर्मा व कीर्ति शरण अग्रवाल ने बताया कि खंडपीठ ने 2 प्रश्नों पर विचार किया और आयोग को 4 सप्ताह के भीतर एक समिति गठित करने और उम्मीदवारों की एक नई सूची तैयार करने का निर्देश दिया. रिट याचिका में आयोग पर 10,000 का जुर्माना भी लगाया है. हाईकोर्ट में इस मामले में 4 याचिकाएं दायर हुई हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता स्वाति वर्मा ने पैरवी की.
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