नैनीताल: रामनगर के मनराल स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. इसके साथ ही सरकार को निर्देश दिए हैं कि मनराल स्टोन क्रशर को दिए गए लाइसेंस को दोबारा से संशोधित करें. सुनवाई में सेक्रेट्री इंडस्ट्रियल आर मीनाक्षी सुंदरम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि स्टोन क्रशर को लाइसेंस मानकों के अनुरूप दिया गया है और स्टोन क्रशर नियमावली में संशोधन किया है.
स्टोन क्रशर के पास 2023 तक का लाइसेंस है. पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या राज्य सरकार ने स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति देने से पूर्व साइलेंट जोन, इंडस्ट्रियल जोन और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण किया था. पूर्व में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को अवगत कराया गया था कि राज्य को बने हुए 21 साल हो गए हैं. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि कौन सा क्षेत्र रेजिडेंशियल है और कौन सा क्षेत्र इंडस्ट्रियल एवं कौन सा क्षेत्र साइलेंट जोन.
रामनगर निवासी आनंद सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर कहा था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के समीप मनराल स्टोन क्रशर अवैध रूप से चल रहा है. स्टोन क्रशर के पास पीसीबी का लाइसेंस नहीं है. याचिकाकर्ता का कहना था कि उत्तराखंड में अभी तक राज्य सरकार द्वारा राज्य में साइलेंट जोन, इंडस्ट्रियल जोन और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण नहीं किया है. बावजूद इसके किसी भी जगह स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दे दी जाती है. लिहाजा इन स्टोन क्रशरों को बंद किया जाए.
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बालाजी स्टोन क्रशर मामले में भी हुई सुनवाई: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रामनगर के उदयपुरी चोपड़ा में संचालित बालाजी स्टोन क्रशर (Balaji stone crusher) के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने स्टोन क्रशर के संचालन पर रोक बढ़ा दी है. कोर्ट ने स्टोन क्रशर संचालक को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है.
वहीं, कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि 300 मीटर के दायरे में आबादी है या नहीं. इसकी जांच कर रिपोर्ट पेश करें. रामनगर के सामाजिक कार्यकर्ता अजीत सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि रामनगर के उदयपुरी चोपड़ा में सरकार ने बालाजी स्टोन क्रशर इंडस्ट्रीज को स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति 2021 में दी. यह स्टोन क्रशर पीसीबी के मानकों को ताक में रखकर स्थापित किया गया. साल 2021 के मानकों के अनुसार स्टोन क्रशर को आबादी क्षेत्र से 300 मीटर दूर स्थापित किया जाना था. जहां यह स्टोन क्रशर लगाया गया है कि इसके सौ मीटर दूरी पर एक मकान व ढाई सौ मीटर की दूरी पर कई मकान हैं.
याचिकाकर्ता का कहना है कि जो मकान 100 मीटर की दूरी पर है उसने स्टोन क्रशर मालिक को अनापत्ति प्रमाण-पत्र दे दिया जबकि, अन्य ने नहीं दिया. जिसके आधार पर सरकार ने स्टोन क्रशर का लाइसेंस दे दिया. जब सरकार से इसके बारे में पूछा गया तो सरकार ने कहा कि स्टोन क्रशर लगाने के लिए दूरी का मानक लागू नहीं है. बाकी सभी मानक लागू हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि पीसीबी के मानकों के अनुसार स्टोन क्रशर आबादी क्षेत्र से 300 मीटर दूर लगाए जाए. परन्तु सरकार ने इसे अनुमति कैसे दी. इस पर रोक लगाई जाए.