नैनीतालः 2018 में देहरादून के सहसपुर में बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून की पॉक्सो कोर्ट के फैसला को सही मानते हुए दोषी जयप्रकाश को फांसी की सजा को बरकरार रखा है.
मामला 28 नवंबर 2018 को देहरादून के पछवादून का है. शिवालिक इंजीनियरिंग कॉलेज की निर्माणाधीन भवन में बच्ची का परिवार और दोषी जयप्रकाश अगल-बगल रहते थे. बच्ची के पिता और जयप्रकाश दोनों मजदूरी का काम करते थे. बताया जा रहा है कि 28 नवंबर 2018 को बच्ची संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई.
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बच्ची के पिता ने कोतवाली सहसपुर में मुकदमा दर्ज करवाया और तहरीर के आधार पर पुलिस ने पूछताछ की. शक के आधार पर जयप्रकाश को हिरासत में लिया गया. पूछताछ में जयप्रकाश ने बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या की बात कबूली. जयप्रकाश की निशानदेही पर पुलिस ने बच्ची के शव को आरोपी की झोपड़ी से गड्ढे से बरामद किया. जिसके बाद पुलिस ने मामले में जांच कर सबूतों के आधार पर जयप्रकाश के खिलाफ चार्जशीट दायर कर पॉक्सो कोर्ट में पेश की. कोर्ट ने सबूतों के आधार पर जयप्रकाश को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी.
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फांसी की सजा के खिलाफ जयप्रकाश ने नैनीताल हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायाधीश आलोक सिंह और न्यायाधीश रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ ने देहरादून की पॉक्सो कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए आरोपी को फांसी की सजा को बरकरार रखा है.