ETV Bharat / state

क्या उत्तराखंड में UCC का स्थायी निवास प्रमाण से कोई लेना देना नहीं? एक्सपर्ट जानिए कौन लोग आएंगे दायरे में - UTTARAKHAND UCC IMPACT

उत्तराखंड में यूसीसी के दायरे में कौन लोग आएंगे इन तमाम सवालों के जवाब एक्सपर्ट की राय ने दिए.

Etv Bharat
कॉन्सेप्ट इमेज (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 6, 2025, 5:28 PM IST

देहरादून: समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन चुका है. यूसीसी को लेकर लोगों के मन में अभी भी कई संशय है. इन संशयों को दूर करने और यूसीसी के जुड़े सवाल का जवाब देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने अपने तमाम छोटे-बड़े अधिकारियों को ये जिम्मेदारी दी है.

आम आदमी के संशय के दूर करेंगे अधिकारी: यूसीसी को लेकर अगर आपके मन में भी कोई सवाल या फिर संशय है तो आप अपने जिले के जिलाधिकारी या पुलिस कप्तान के अलावा अन्य अधिकारियों से मिलकर जानकारी ले सकते है. इसके साथ ही मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं, ताकि अगर कोई व्यक्ति फोन पर भी इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो वह आसानी से कर सकता है.

मूल निवास और स्थायी निवास पर सवाल: समान नागरिक संहिता को लेकर रोजाना कुछ न कुछ नए सवाल सामने आ रहे है, जिसमें से एक मूल निवास और स्थायी निवास को लेकर है. क्या यूसीसी का मूल निवास और स्थायी से भी कुछ संबंध में है. लेकिन अब इस सवाल का जवाब भी यूसीसी नियमावली ड्राफ्ट की सदस्य प्रोफेसर डॉ सुरेखा ने दिया है.

Uttarakhand
यूसीसी नियमावली ड्राफ्ट की सदस्य प्रोफेसर डॉ सुरेखा (ETV Bharat)

जानिए कौन लोग है यूसीसी के दायरे में: प्रो. सुरेखा डंगवाल ने स्पष्ट किया है कि यूसीसी के तहत होने वाले वाले पंजीकरण का उत्तराखंड के मूल निवास या स्थायी निवास प्रमाणपत्र से कोई लेना देना नहीं है. हां इतना जरूर है कि उत्तराखंड में न्यूनतम एक साल से रहने वाले सभी लोगों को इसके दायरे में इसलिए लाया गया है, ताकि इससे उत्तराखंड की डेमोग्राफी संरक्षित हो सके.

उत्तराखंड की डेमोग्राफी रहेगी सुरक्षित: कई लोग इस तरह की बातें लगातार कर रहे है कि स्थाई निवास प्रमाण पत्र और मूल निवास प्रमाण पत्र भी यूसीसी के तहत आएंगे, लेकिन अब प्रो सुरेखा डंगवाल ने कहा कि यूसीसी का सरोकार लिव-इन-रिलेशनशिप, शादी, तलाक और वसीयत जैसी सेवाओं से है. इसे स्थायी निवास या मूल निवास से जोड़ना किसी भी रूप में संभव नहीं है. इसके अलावा यूसीसी पंजीकरण से कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलने हैं.

स्थायी निवास पूर्व की शर्तों के अनुसार: उत्तराखंड में स्थायी निवास पूर्व की शर्तों के अनुसार ही तय होगा. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि समान नागरिक संहिता कमेटी के सामने यह विषय था भी नहीं. उन्होंने कहा कि यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण ऐसा ही है, जैसे कोई व्यक्ति कहीं भी सामान्य निवास होने पर अपना वोटर कार्ड बना सकता है. इसके जरिए निजी कानूनों को रैग्यूलेट भर किया गया है. ताकि उत्तराखंड का समाज और यहां की संस्कृति संरक्षित रह सके. इससे उत्तराखंड की डेमोग्राफी का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा.

इतना ही नहीं यूसीसी अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर भी अंकुश लगा सकेगा. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग भी रहते हैं, ये लोग उत्तराखंड में सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं. ऐसे लोग अब पंजीकरण कराने पर ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे. यदि यह सिर्फ स्थायी निवासियों पर ही लागू होता तो, अन्य राज्यों से आने वाले बहुत सारे लोग इसके दायरे से छूट जाते, जबकि वो यहां की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते रहते. दूसरी तरफ ऐसे लोगों के उत्तराखंड से मौजूद विवाह, तलाक, लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे रिश्तों का विवरण, उत्तराखंड के पास नहीं होता.

सुरेखा डंगवाल ने बताया कि समान नागरिक संहिता का मकसद उत्तराखंड में रहने वाले सभी लोगों को यूसीसी के तहत पंजीकरण की सुविधा देने के साथ ही सरकार के डेटा बेस को ज्यादा समृद़ध बनाना है. प्रो सुरेखा डंगवाल के मुताबिक इससे विवाह नामक संस्था मजबूत ही होगी, जो हमारे समाज की समृद्धि का आधार रही है.

हर शंका है होगा इस नंबर पर समाधान: अगर आपके मन में भी कोई सवाल यूसीसी को लेकर है या आप कुछ जानकारी चाहते है तो आप यूसीसी की वेबसाइट पर जा कर सवाल का जवाब ले सकते है. इसके साथ ही आप अपनी शंका का समाधान 9455286881 पर कॉल करके भी ले सकतें है.

पढ़ें---

देहरादून: समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन चुका है. यूसीसी को लेकर लोगों के मन में अभी भी कई संशय है. इन संशयों को दूर करने और यूसीसी के जुड़े सवाल का जवाब देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने अपने तमाम छोटे-बड़े अधिकारियों को ये जिम्मेदारी दी है.

आम आदमी के संशय के दूर करेंगे अधिकारी: यूसीसी को लेकर अगर आपके मन में भी कोई सवाल या फिर संशय है तो आप अपने जिले के जिलाधिकारी या पुलिस कप्तान के अलावा अन्य अधिकारियों से मिलकर जानकारी ले सकते है. इसके साथ ही मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं, ताकि अगर कोई व्यक्ति फोन पर भी इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो वह आसानी से कर सकता है.

मूल निवास और स्थायी निवास पर सवाल: समान नागरिक संहिता को लेकर रोजाना कुछ न कुछ नए सवाल सामने आ रहे है, जिसमें से एक मूल निवास और स्थायी निवास को लेकर है. क्या यूसीसी का मूल निवास और स्थायी से भी कुछ संबंध में है. लेकिन अब इस सवाल का जवाब भी यूसीसी नियमावली ड्राफ्ट की सदस्य प्रोफेसर डॉ सुरेखा ने दिया है.

Uttarakhand
यूसीसी नियमावली ड्राफ्ट की सदस्य प्रोफेसर डॉ सुरेखा (ETV Bharat)

जानिए कौन लोग है यूसीसी के दायरे में: प्रो. सुरेखा डंगवाल ने स्पष्ट किया है कि यूसीसी के तहत होने वाले वाले पंजीकरण का उत्तराखंड के मूल निवास या स्थायी निवास प्रमाणपत्र से कोई लेना देना नहीं है. हां इतना जरूर है कि उत्तराखंड में न्यूनतम एक साल से रहने वाले सभी लोगों को इसके दायरे में इसलिए लाया गया है, ताकि इससे उत्तराखंड की डेमोग्राफी संरक्षित हो सके.

उत्तराखंड की डेमोग्राफी रहेगी सुरक्षित: कई लोग इस तरह की बातें लगातार कर रहे है कि स्थाई निवास प्रमाण पत्र और मूल निवास प्रमाण पत्र भी यूसीसी के तहत आएंगे, लेकिन अब प्रो सुरेखा डंगवाल ने कहा कि यूसीसी का सरोकार लिव-इन-रिलेशनशिप, शादी, तलाक और वसीयत जैसी सेवाओं से है. इसे स्थायी निवास या मूल निवास से जोड़ना किसी भी रूप में संभव नहीं है. इसके अलावा यूसीसी पंजीकरण से कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलने हैं.

स्थायी निवास पूर्व की शर्तों के अनुसार: उत्तराखंड में स्थायी निवास पूर्व की शर्तों के अनुसार ही तय होगा. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि समान नागरिक संहिता कमेटी के सामने यह विषय था भी नहीं. उन्होंने कहा कि यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण ऐसा ही है, जैसे कोई व्यक्ति कहीं भी सामान्य निवास होने पर अपना वोटर कार्ड बना सकता है. इसके जरिए निजी कानूनों को रैग्यूलेट भर किया गया है. ताकि उत्तराखंड का समाज और यहां की संस्कृति संरक्षित रह सके. इससे उत्तराखंड की डेमोग्राफी का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा.

इतना ही नहीं यूसीसी अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर भी अंकुश लगा सकेगा. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग भी रहते हैं, ये लोग उत्तराखंड में सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं. ऐसे लोग अब पंजीकरण कराने पर ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे. यदि यह सिर्फ स्थायी निवासियों पर ही लागू होता तो, अन्य राज्यों से आने वाले बहुत सारे लोग इसके दायरे से छूट जाते, जबकि वो यहां की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते रहते. दूसरी तरफ ऐसे लोगों के उत्तराखंड से मौजूद विवाह, तलाक, लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे रिश्तों का विवरण, उत्तराखंड के पास नहीं होता.

सुरेखा डंगवाल ने बताया कि समान नागरिक संहिता का मकसद उत्तराखंड में रहने वाले सभी लोगों को यूसीसी के तहत पंजीकरण की सुविधा देने के साथ ही सरकार के डेटा बेस को ज्यादा समृद़ध बनाना है. प्रो सुरेखा डंगवाल के मुताबिक इससे विवाह नामक संस्था मजबूत ही होगी, जो हमारे समाज की समृद्धि का आधार रही है.

हर शंका है होगा इस नंबर पर समाधान: अगर आपके मन में भी कोई सवाल यूसीसी को लेकर है या आप कुछ जानकारी चाहते है तो आप यूसीसी की वेबसाइट पर जा कर सवाल का जवाब ले सकते है. इसके साथ ही आप अपनी शंका का समाधान 9455286881 पर कॉल करके भी ले सकतें है.

पढ़ें---

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.