नैनीताल: उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले और क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाली को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने राज्य सरकार को विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ की केंद्र सरकार पर भी नाराजगी जताई है.
उत्तराखंड में कोरोना की स्थिति को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ में शनिवार को सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वह राज्य सरकार के संरक्षण के लिए आगे आए, लेकिन राज्य के अधिकारियों को केंद्र सरकार द्वारा जवाब तक न देना हैरानी भरा है.
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इसके साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी में ये भी कहा है कि उत्तराखंड में लगातार घट रही कोविड टेस्ट की संख्या को लेकर भी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. भीड़भाड़ वाले शहरों में कोविड टेस्ट कम हो रहे हैं, जो हैरान करता है.
बता दें कि हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को उत्तराखंड में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए कोरोना जांच में तेजी लाने के आदेश दिए है. कोर्ट ने ये भी कहा कि आईसीएमआर के निर्देशों के आधार पर राज्य सरकार उत्तराखंड में टेस्ट की संख्या घटा नहीं सकती है. लिहाजा केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड में कोविड टेस्ट में तेजी लाई जाए.
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को आदेश दिए हैं कि उत्तराखंड के लिए ऑक्सीजन कोटा 183 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 300 मीट्रिक टन करने पर विचार करें, ताकि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में ऑक्सीजन की सप्लाई हो सके.
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वहीं, कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड द्वारा की गई आवश्यक उपकरण की अब तक पूरी नहीं की है, इसलिए उन्होंने केंद्र को आदेश दिए हैं कि उत्तराखंड सरकार की मांग के आधार पर 10 हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स, 10 हजार ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन प्लांट समेत 200 सीएपी, एक लाख पल्स ऑक्सीमीटर उपलब्ध कराने पर विचार किया जाए, ताकि विषम परिस्थितियों में पीड़ितों की मदद की जा सके.
कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि नैनीताल के भवाली में स्थित सैनिटोरियम अस्पताल में जल्द से जल्द 100 बेड का कोविड केयर अस्पताल भी स्थापित किया जाए. बता दें कि उत्तराखंड में बदहाल पड़े अस्पतालों की स्थिति को सुधारने के लिए हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने एक जनहित याचिका दायर की है.