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आयुर्वेद विवि असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति विज्ञप्ति निरस्त पर HC की रोक, मांगा जवाब

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति 2017 की विज्ञप्ति निरस्त किए जाने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट ने निरस्त की गई विज्ञप्ति पर रोक लगा दी. साथ ही सेक्रेट्री आयुष, वाइस चांसलर आयुर्वेद और रजिस्ट्रार आयुर्वेद से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

Nainital High Court
HC ने लगाई रोक
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Published : Sep 7, 2021, 7:22 PM IST

नैनीताल: हाईकोर्ट ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति 2017 की विज्ञप्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. मामले में कोर्ट ने विश्वविद्यालय द्वारा निरस्त की गई विज्ञप्ति पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने सेक्रेट्री आयुष, वाइस चांसलर आयुर्वेद और रजिस्ट्रार आयुर्वेद से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने की. बता दें कि दीपक कुमार सेमवाल व अन्य ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला देहरादून में एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोसेसर, टेक्निकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ सहित विभिन्न पदों के लिए 27 जुलाई 2017 को विज्ञप्ति जारी की थी.

ये भी पढ़ें: UKSSSC इन पदों के लिए करा रहा ऑनलाइन परीक्षा, जानें तिथि और परीक्षा केंद्र

इस विज्ञप्ति में विश्वविद्यालय द्वारा 90 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति की गई. वहीं, 2019 में सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने के लिए एक्ट लायी, जिसके तहत विश्वविद्यालय ने यह कर विज्ञप्ति को निरस्त कर दिया था कि उनके पदों पर अभी आरक्षण की गणना नहीं हुई है.

इसको याचिकर्ताओं ने कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि यह एक्ट उन पर लागू नहीं होता है. क्योंकि सरकार इस एक्ट को 2019 में लाई और विज्ञप्ति 2017 में जारी हुई. विश्वविद्यालय ने 90 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति कर दी है. ऐसे में उन पर यह एक्ट कैसे लागू हो सकता है. लिहाजा निरस्त की गई विज्ञप्ति पर रोक लगाई जाए.

नैनीताल: हाईकोर्ट ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति 2017 की विज्ञप्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. मामले में कोर्ट ने विश्वविद्यालय द्वारा निरस्त की गई विज्ञप्ति पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने सेक्रेट्री आयुष, वाइस चांसलर आयुर्वेद और रजिस्ट्रार आयुर्वेद से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने की. बता दें कि दीपक कुमार सेमवाल व अन्य ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला देहरादून में एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोसेसर, टेक्निकल स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ सहित विभिन्न पदों के लिए 27 जुलाई 2017 को विज्ञप्ति जारी की थी.

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इस विज्ञप्ति में विश्वविद्यालय द्वारा 90 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति की गई. वहीं, 2019 में सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने के लिए एक्ट लायी, जिसके तहत विश्वविद्यालय ने यह कर विज्ञप्ति को निरस्त कर दिया था कि उनके पदों पर अभी आरक्षण की गणना नहीं हुई है.

इसको याचिकर्ताओं ने कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि यह एक्ट उन पर लागू नहीं होता है. क्योंकि सरकार इस एक्ट को 2019 में लाई और विज्ञप्ति 2017 में जारी हुई. विश्वविद्यालय ने 90 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति कर दी है. ऐसे में उन पर यह एक्ट कैसे लागू हो सकता है. लिहाजा निरस्त की गई विज्ञप्ति पर रोक लगाई जाए.

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