ETV Bharat / state

सरकार पेंशन से हर माह स्वास्थ्य बीमा के नाम पर वसूली नहीं कर सकती, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिया आदेश

स्वास्थ्य बीमा (health insurance) के नाम पर उत्तराखंड में पेंशनधारियों से सरकार जो पैसा वसूल रही थी, उस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने बड़ा आदेश दिया है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को पेंशनधारियों के लिए विकल्प पत्र जारी करने का आदेश दिया है. ताकि पेंशनधारी खुद निर्णय ले सकें कि उन्हें इस योजना का लाभ लेना है या नहीं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jan 4, 2023, 5:11 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में रिटायर कर्मचारियों से स्वास्थ्य बीमा (health insurance) के नाम पर राज्य सरकार जबरन उनकी पेंशन से हर माह जो पैसा वसूल रही है, उस मामले पर सरकार के खिलाफ दायर याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज चार जनवरी को सुनवाई की. इस दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने राज्य सरकार से कहा कि प्रत्येक साल पेंशनधारियों के लिए विकल्प पत्र जारी करें और पेंशनधारियों की राय लें कि उन्हें इस योजना में बने रहना है या नहीं.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह तय करना पेंशनधारकों पर निर्भर होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत सम्पति है. सरकार उन पर इसे जबरन लागू नहीं कर सकती है. आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई.
पढ़ें- सीबीआई जांच का मामला: पूर्व CM त्रिवेंद्र को बड़ी राहत, SC ने उत्तराखंड HC के आदेश पर लगाई रोक

आज हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि इस योजना में यह भी प्रावधान है कि इसका लाभ कोई कर्मचारी ले या ना ले उसे बाध्य नहीं किया जा सकता है, लेकिन सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया, जो पेंशन अधिनियम की धारा 300 (अ) का उल्लंघन है.

याचिकाकर्ता ने बताया कि 7 जनवरी 2022 को सरकार ने कोर्ट के आदेश पर यह विकल्प जारी किया था. परन्तु 25 अगस्त 2022 को सरकार ने उन लोगों की पेंशन में से कटौती कर दी, जिन्होंने यह विकल्प नहीं भरा. उनको भी सरकार ने हां की श्रेणी में मान लिया.
पढ़ें- हाईकोर्ट की अपील के बावजूद नहीं जागे दूनवासी!, कूड़े की समस्या को लेकर नहीं कर रहे शिकायत

मामले के अनुसार देहरादून निवासी गणपत सिंह बिष्ठ व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य बीमा के नाम पर उनकी अनुमति के बिना 21 दिसंबर 2020 को एक शासनादेश जारी कर उनकी पेंशन से अनिवार्य कटौती 1 जनवरी 2021 से शुरू कर दी है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह उनकी व्यक्तिगत सम्पति है. सरकार इस तरह की कटौती नहीं कर सकती. यह असंवैधानिक है. पूर्व में यह व्यवस्था थी कि कर्मचारियों का स्वास्थ्य बीमा सरकार खुद वहन करती थी. परन्तु अब सरकार उनकी पेंशन से स्वास्थ्य बीमा के नाम पर हर महीने पैसा काट रही है. लिहाजा इस संबंध में जारी पूर्व व्यवस्था को लागू किया जाये.

नैनीताल: उत्तराखंड में रिटायर कर्मचारियों से स्वास्थ्य बीमा (health insurance) के नाम पर राज्य सरकार जबरन उनकी पेंशन से हर माह जो पैसा वसूल रही है, उस मामले पर सरकार के खिलाफ दायर याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज चार जनवरी को सुनवाई की. इस दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने राज्य सरकार से कहा कि प्रत्येक साल पेंशनधारियों के लिए विकल्प पत्र जारी करें और पेंशनधारियों की राय लें कि उन्हें इस योजना में बने रहना है या नहीं.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह तय करना पेंशनधारकों पर निर्भर होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत सम्पति है. सरकार उन पर इसे जबरन लागू नहीं कर सकती है. आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई.
पढ़ें- सीबीआई जांच का मामला: पूर्व CM त्रिवेंद्र को बड़ी राहत, SC ने उत्तराखंड HC के आदेश पर लगाई रोक

आज हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि इस योजना में यह भी प्रावधान है कि इसका लाभ कोई कर्मचारी ले या ना ले उसे बाध्य नहीं किया जा सकता है, लेकिन सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया, जो पेंशन अधिनियम की धारा 300 (अ) का उल्लंघन है.

याचिकाकर्ता ने बताया कि 7 जनवरी 2022 को सरकार ने कोर्ट के आदेश पर यह विकल्प जारी किया था. परन्तु 25 अगस्त 2022 को सरकार ने उन लोगों की पेंशन में से कटौती कर दी, जिन्होंने यह विकल्प नहीं भरा. उनको भी सरकार ने हां की श्रेणी में मान लिया.
पढ़ें- हाईकोर्ट की अपील के बावजूद नहीं जागे दूनवासी!, कूड़े की समस्या को लेकर नहीं कर रहे शिकायत

मामले के अनुसार देहरादून निवासी गणपत सिंह बिष्ठ व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य बीमा के नाम पर उनकी अनुमति के बिना 21 दिसंबर 2020 को एक शासनादेश जारी कर उनकी पेंशन से अनिवार्य कटौती 1 जनवरी 2021 से शुरू कर दी है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह उनकी व्यक्तिगत सम्पति है. सरकार इस तरह की कटौती नहीं कर सकती. यह असंवैधानिक है. पूर्व में यह व्यवस्था थी कि कर्मचारियों का स्वास्थ्य बीमा सरकार खुद वहन करती थी. परन्तु अब सरकार उनकी पेंशन से स्वास्थ्य बीमा के नाम पर हर महीने पैसा काट रही है. लिहाजा इस संबंध में जारी पूर्व व्यवस्था को लागू किया जाये.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.