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गवाह सुरक्षा समिति के गठन को लेकर हाईकोर्ट सख्त, सरकार को किया तलब

उत्तराखंड में गवाह सुरक्षा समिति बनाने के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. उच्च अदालत ने राज्य सरकार, उत्तराखंड के डीजीपी समेत गृह सचिव को नोटिस जारी कर 18 नवंबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

गवाहों की सुरक्षा को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका
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Published : Oct 23, 2019, 9:19 PM IST

नैनीताल: प्रदेश के फौजदारी के मामले में जो गवाह कोर्ट में पेश किए जाते हैं, वो किसी भी मामले में कोर्ट की आंख और कान होते हैं. लंबे समय से अपराधिक मामलों के ट्रायल होने के दौरान आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए गवाह सुरक्षा समिति के गठन की मांग की गई थी. जिस पर अब हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है.

गवाहों की सुरक्षा को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका


दरअसल, हरिद्वार निवासी रूहानी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 2018 में केंद्र सरकार द्वारा महेंद्र चावला के मामले में फैसला सुनाते हुए देश भर की सभी राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि सभी राज्य सरकार अपने प्रदेश के हर जिले में गवाह सुरक्षा समिति का गठन करें. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले के बाद भी उत्तराखंड राज्य सरकार ने आज तक कोर्ट के इस आदेश पर अमल नहीं किया. याचिकाकर्ता रूहानी का कहना है कि उनके पति द्वारा उन पर जानलेवा हमला कराया गया था और वह उस हमले की खुद गवाह हैं. उन पर गवाही न देने का दबाव बनाया जा रहा था, यहां तक की जान से मारने की धमकी भी दी गई. इसे लेकर उन्होंने कई बार जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत प्रदेश के बड़े अधिकारियों के पास अपनी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उनकी किसी ने भी मदद नहीं की.

पढ़ेंः पंचायत चुनाव आचार संहिता हटते ही अल्मोड़ा में हुई पहली कैबिनेट, 15 प्रस्तावों पर लगी मुहर


जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि महिलाएं हाईकोर्ट से पुलिस सुरक्षा लेने में असक्षम रहती है या उनके लिए हाईकोर्ट आकर सुरक्षा मांगना बहुत महंगा पड़ता है. इसीलिए उत्तराखंड के हर जिले में जिला जज की अध्यक्षता में गवाह सुरक्षा समिति का गठन किया जाए. मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, डीजीपी समेत गृह सचिव को नोटिस जारी कर 18 नवंबर से पहले जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: प्रदेश के फौजदारी के मामले में जो गवाह कोर्ट में पेश किए जाते हैं, वो किसी भी मामले में कोर्ट की आंख और कान होते हैं. लंबे समय से अपराधिक मामलों के ट्रायल होने के दौरान आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए गवाह सुरक्षा समिति के गठन की मांग की गई थी. जिस पर अब हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है.

गवाहों की सुरक्षा को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका


दरअसल, हरिद्वार निवासी रूहानी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 2018 में केंद्र सरकार द्वारा महेंद्र चावला के मामले में फैसला सुनाते हुए देश भर की सभी राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि सभी राज्य सरकार अपने प्रदेश के हर जिले में गवाह सुरक्षा समिति का गठन करें. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले के बाद भी उत्तराखंड राज्य सरकार ने आज तक कोर्ट के इस आदेश पर अमल नहीं किया. याचिकाकर्ता रूहानी का कहना है कि उनके पति द्वारा उन पर जानलेवा हमला कराया गया था और वह उस हमले की खुद गवाह हैं. उन पर गवाही न देने का दबाव बनाया जा रहा था, यहां तक की जान से मारने की धमकी भी दी गई. इसे लेकर उन्होंने कई बार जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत प्रदेश के बड़े अधिकारियों के पास अपनी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उनकी किसी ने भी मदद नहीं की.

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जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि महिलाएं हाईकोर्ट से पुलिस सुरक्षा लेने में असक्षम रहती है या उनके लिए हाईकोर्ट आकर सुरक्षा मांगना बहुत महंगा पड़ता है. इसीलिए उत्तराखंड के हर जिले में जिला जज की अध्यक्षता में गवाह सुरक्षा समिति का गठन किया जाए. मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, डीजीपी समेत गृह सचिव को नोटिस जारी कर 18 नवंबर से पहले जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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उत्तराखंड के सभी जिलों में जिला जज के अध्यक्षता में गवाह सुरक्षा समिति का गठन करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर।

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उत्तराखंड में गवाह सुरक्षा समिति बनाने के मामले पर हाईकोर्ट सख्त रुख अपनाते राज्य सरकार, उत्तराखंड के डीजीपी समेत गृह सचिव को नोटिस जारी कर 18 नवंबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।
प्रदेश के फौजदारी के मामले में जो गवाह कोर्ट में पेश किए जाते हैं, वो किसी भी मामले में कोर्ट की आंख और कान होते हैं भारत में लंबे समय से अपराधिक मामलों के ट्रायल होने में लंबा समय लगता है इसी बीच अपराधी लोग या तो गवाहों को खरीद लेते हैं या धमकाते हैं जिससे गवाह अपने बयान बदल देते हैं, इसी को लेकर


Body:हरिद्वार निवासी रूहानी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 2018 में केंद्र सरकार द्वारा महेंद्र चावला के मामले में फैसला सुनाते हुए देश भर की सभी राज्य सरकार को आदेश दिए थे की कि सभी राज्य सरकार अपने प्रदेश के हर जिले में गवाह सुरक्षा समिति का गठन करें, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले के बाद भी उत्तराखंड राज्य सरकार ने आज तक कोर्ट के इस आदेश पर अमल नहीं किया और ना ही इस मामले को कैबिनेट में रखा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उत्तराखंड में लागू नहीं होने को लेकर रूहानी ने नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली,


Conclusion:याचिकाकर्ता रूहानी का कहना है कि उनके पति द्वारा उन पर जानलेवा हमला करा गया था और वह उस हमले की खुद गवाह है और गवाही न देने को लेकर उनको लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही थी, जिसको लेकर उन्होंने कई बार जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत प्रदेश के बड़े अधिकारियों के पास अपनी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उनकी किसी भी मामले में मदद नहीं हुई।
जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि महिलाए हाईकोर्ट से पुलिस सुरक्षा लेने में अक्षमता रहती है या उनके लिए हाईकोर्ट आकर सुरक्षा मांगना बहुत महंगा पड़ता है, इसीलिए उत्तराखंड के हर जिले में जिला जज की अध्यक्षता में गवाह सुरक्षा समिति का गठन किया जाए।
आज मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, डीजीपी समेत गृह सचिव को नोटिस जारी कर 18 नवंबर से पहले जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- विवेक शुक्ला, याचिकाकर्ता अधिवक्ता।
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