नैनीताल: राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में खुदाई के दौरान 22 मार्च 2018 को बाघ और गुलदार के अंग बरामद किये गये थे. मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर मामले में वास्तविक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
मामले की सुनवाई करते हुए सरकार की तरफ से बाघों की मौत पर रिपोर्ट पेश करने पर कुछ समय मांगा गया. जिसका याचिकाकर्ता ने विरोध किया और कहा कि सरकार जानबूझकर मौत की रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं कर रही है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार जांच अधिकारी मनोज चंद्रन की वास्तविक रिपोर्ट दबाना चाहती है. बाघों और गुलदार के अंग मिलने के मामले में एसआईटी द्वारा 52 विभागीय व अन्य लोगों से पूछताछ भी की गई है. जिसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की पुष्टि हुई है. जिस वजह से सरकार मनोज चंदन की रिपोर्ट को दबाना चाहती है.
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बता दें कि दिनेश चंद्र पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि कि 22 मार्च 2018 को मुखबिर द्वारा वन विभाग को सूचना दी गई थी कि राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में कुछ तस्करों द्वारा बाघ और गुलदार का शिकार करके उसके अंगों को जमीन में दफना दिया गया है. इस शिकायत पर वन विभाग द्वारा खुदाई कर बाघ और गुलदार के अंगों को निकाला गया. जिसके बाद इन अंगों की जांच कराने के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून भेजा गया.
जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि यह अंग बाघ और गुलदार के ही हैं. मामले की जांच आईएफएस मानोज चंदन ने की. उन्होंने वन विभाग के 11 अधिकारी और 15 शिकारियों समेत विभाग के कई कर्मचारियों की मिलीभगत होने की बात कही है.