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बाघ और गुलदार के अंग बरामद होने पर हाईकोर्ट सख्त, तीन हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश

कुछ समय पहले वन विभाग को बाघ और गुलदार के अंग बरामद हुए थे. जिस पर दिनेश चंद्र पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि कहा कि सरकार जानबूझकर मौत की रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं कर रही है. जिसके बाद सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को तीन हफ्ते के भीतर रिपोर्ट जमा कराने के निर्देश दिये हैं.

नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Sep 24, 2019, 11:42 PM IST

नैनीताल: राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में खुदाई के दौरान 22 मार्च 2018 को बाघ और गुलदार के अंग बरामद किये गये थे. मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर मामले में वास्तविक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

विवेक शुकला,अधिवक्ता याचिकाकर्ता

मामले की सुनवाई करते हुए सरकार की तरफ से बाघों की मौत पर रिपोर्ट पेश करने पर कुछ समय मांगा गया. जिसका याचिकाकर्ता ने विरोध किया और कहा कि सरकार जानबूझकर मौत की रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं कर रही है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार जांच अधिकारी मनोज चंद्रन की वास्तविक रिपोर्ट दबाना चाहती है. बाघों और गुलदार के अंग मिलने के मामले में एसआईटी द्वारा 52 विभागीय व अन्य लोगों से पूछताछ भी की गई है. जिसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की पुष्टि हुई है. जिस वजह से सरकार मनोज चंदन की रिपोर्ट को दबाना चाहती है.

पढे़ं- जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव मामले में हाई कोर्ट में फैसला सुरक्षित

बता दें कि दिनेश चंद्र पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि कि 22 मार्च 2018 को मुखबिर द्वारा वन विभाग को सूचना दी गई थी कि राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में कुछ तस्करों द्वारा बाघ और गुलदार का शिकार करके उसके अंगों को जमीन में दफना दिया गया है. इस शिकायत पर वन विभाग द्वारा खुदाई कर बाघ और गुलदार के अंगों को निकाला गया. जिसके बाद इन अंगों की जांच कराने के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून भेजा गया.

जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि यह अंग बाघ और गुलदार के ही हैं. मामले की जांच आईएफएस मानोज चंदन ने की. उन्होंने वन विभाग के 11 अधिकारी और 15 शिकारियों समेत विभाग के कई कर्मचारियों की मिलीभगत होने की बात कही है.

नैनीताल: राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में खुदाई के दौरान 22 मार्च 2018 को बाघ और गुलदार के अंग बरामद किये गये थे. मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर मामले में वास्तविक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

विवेक शुकला,अधिवक्ता याचिकाकर्ता

मामले की सुनवाई करते हुए सरकार की तरफ से बाघों की मौत पर रिपोर्ट पेश करने पर कुछ समय मांगा गया. जिसका याचिकाकर्ता ने विरोध किया और कहा कि सरकार जानबूझकर मौत की रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं कर रही है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार जांच अधिकारी मनोज चंद्रन की वास्तविक रिपोर्ट दबाना चाहती है. बाघों और गुलदार के अंग मिलने के मामले में एसआईटी द्वारा 52 विभागीय व अन्य लोगों से पूछताछ भी की गई है. जिसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की पुष्टि हुई है. जिस वजह से सरकार मनोज चंदन की रिपोर्ट को दबाना चाहती है.

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बता दें कि दिनेश चंद्र पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि कि 22 मार्च 2018 को मुखबिर द्वारा वन विभाग को सूचना दी गई थी कि राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में कुछ तस्करों द्वारा बाघ और गुलदार का शिकार करके उसके अंगों को जमीन में दफना दिया गया है. इस शिकायत पर वन विभाग द्वारा खुदाई कर बाघ और गुलदार के अंगों को निकाला गया. जिसके बाद इन अंगों की जांच कराने के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून भेजा गया.

जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि यह अंग बाघ और गुलदार के ही हैं. मामले की जांच आईएफएस मानोज चंदन ने की. उन्होंने वन विभाग के 11 अधिकारी और 15 शिकारियों समेत विभाग के कई कर्मचारियों की मिलीभगत होने की बात कही है.

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राजाजी नेशनल पार्क में बाघ और गुलदार के शव के अंग बरामद होने पर हाईकोर्ट सख्त,16 अक्टूबर को होगी मामले की सुनवाई।

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राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में खुदाई के दौरान 22 मार्च 2018 को लेपर्ड व टाइगर के अंग बरामद होने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए राज्य सरकार को 3 सप्ताह के भीतर बाघ और गुलदार की मौत के मामले में वास्तविक जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं,
आज मामले में सुनवाई करते हुए सरकार की तरफ से बाघों की मौत पर रिपोर्ट पेश करने पर कुछ समय मांगा जिसका याचिकाकर्ता ने विरोध किया और कहा कि सरकार जानबूझकर मौत की रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं कर रही है क्योंकि सरकार जांच अधिकारी मनोज चंद्रन की वास्तविक रिपोर्ट दबाना चाहती है, और बाघों और गुलदार के अंग मिलने के मामले में एसआईटी द्वारा 52 विभागीय व अन्य लोगों से पूछताछ की है जबकि 18 संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ की है जिसमें विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत की पुष्टि हुई जिस वजह से सरकार मनोज चंदन की रिपोर्ट को दबाना चाहती है।


Body:आपको बता दें कि दिनेश चंद्र पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 22 मार्च 2018 को मुखबिर द्वारा वन विभाग को सूचना दी गई थी कि राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में तस्करों द्वारा लेपर्ड पर टाइगर का शिकार करके उसके अंगों को जमीन में दफना रखा है इस शिकायत पर वन विभाग द्वारा खुदाई कर टाइगर और लेपड के अंगों को निकाला गया,, जिसके बाद इन अंगों की जांच कराने के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून भेजा जिसमें स्पष्ट हुआ कि बरामद किए गए अंग लेपर्ड व टाइगर के हैं इस मामले की जांच आई एफ एस मानोज चन्द्रन द्वारा की गई जिसमें उन्होंने वन विभाग के 11 अधिकारी,और 15 शिकारीयो समेत विभाग के कई कर्मचारीयो कि मिली भगत होने की बात कही।


Conclusion:इस रिपोर्ट को उनके द्वारा सीजीएम कोर्ट देहरादून को भी सौंपी गई,,,और मनोज चंद्रन द्वारा जानवरो के शिकार के मामले मे संदिग्ध कई आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी,, परंतु राज्य सरकार द्वारा मामले में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति नहीं दी साथ ही सरकार ने इन बाघों के मौत के मामले में शामिल अधिकारियों को बचाने के लिए अधिकारी मनोज चंद्रन से जांच हटाकर नई एसटीएफ गठित कर डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल से कराने के आदेश दिए,,,
क्योंकि विभाग मनोज चंदन की जांच से संतुष्ट नहीं था वही आज मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार से एस आई टी की सीलबंद सही रिपोर्ट कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए है।

बाइट-विवेक शुकला,अधिवक्ता याचिकाकर्ता
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