नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किये गए 102 अधिक कर्मचारियों की बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय के कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश पर अग्रिम सुनवाई तक रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये कर्मचारी अपने पदों पर कार्य करते रहेंगे.
उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले की सुनवाई करते हुए विधान सभा सचिवालय के दिनांक 27, 28 व 29 सितंबर के बर्खास्तगी आदेश पर नैनीताल हाईकोर्ट ने अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने इस मामले में विधान सभा सचिवालय से चार सप्ताह के जवाब पेश करने को कहा है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये कर्मचारी अपने पदों पर कार्य करते रहेंगे. अगर, सचिवालय चाहे तो रेगुलर नियुक्ति की प्रक्रिया चालू कर सकती है. ऐसे में अब इस मामले कि अगली सुनवाई 19 दिसंबर नियत की गई है.
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बता दें कि अपनी बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ट व कुलदीप सिंह अन्य कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामत, वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत व रविन्द्र सिंह बिष्ट ने कोर्ट को अवगत कराया कि विधान सभा अध्यक्ष के द्वारा लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी है. बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर और किस वजह से हटाया गया, कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया न ही उन्हें सुना गया. जबकि, उनके द्वारा सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया. एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं है. यह आदेश विधि विरुद्ध है.
वहीं, विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैकडोर नियुक्तियां (assembly backdoor recruitment) 2002 से 2015 के बीच भी हुई है, जिनको नियमित किया जा चुका है. परन्तु उनको किस आधार पर बर्खास्त किया गया. याचिका में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई, किन्तु उन्हें 6 वर्ष के बाद भी स्थायी नहीं किया अब उन्हें हटा दिया गया.जबकि, पूर्व में भी उनकी नियुक्ति को जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी, जिसमें कोर्ट ने उनके हित में आदेश दिया था.
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उधर, नियमानुसार 6 माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था. विधानसभा सचिववालय का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता विजय भट्ट द्वारा कहा गया कि इनकी नियुक्ति बैकडोर के माध्यम से हुई है और इन्हें काम चलाऊ व्यवस्था के आधार पर रखा गया था. उसी के आधार पर इन्हें हटा दिया गया. ऐसे में आज इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एकलपीठ ने कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.