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उत्तराखंड में प्लास्टिक उत्पादों को बंद करने का मामले में HC में सुनवाई, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब - नैनीताल हाई कोर्ट न्यूज

स्नोपैक फर्म ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर राज्य सरकार के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सरकार ने उत्तराखंड में प्लास्टिक के सामान को बेचने और स्टोर करने समेत उत्पादन पर रोक लगाई है.

नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : May 27, 2021, 9:53 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में प्लास्टिक के उत्पादों की फैक्ट्रियों को बंद करने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि स्नोपैक फर्म ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी कर कहा गया है कि 16 अगस्त 2021 के बाद उत्तराखंड में प्लास्टिक के उद्योग पूर्ण रुप से बंद हो जाएंगे और उत्तराखंड में प्लास्टिक के सामान को बेचने और स्टोर करने समेत उत्पादन पर रोक रहेगी.

पढ़ें- इसी सत्र से शुरू होगी पहली कमर्शियल यूनिवर्सिटी: उच्च शिक्षा मंत्री

याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के इस फैसले के बाद उनका व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाएगा, क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा उत्तराखंड में डिस्पोजल बनाने का काम किया जाता है. उनके बनाए उत्पाद में से 95 प्रतिशत देश के अन्य राज्यों समेत नेपाल तक भेजे जाते हैं. सरकार के इस आदेश के बाद केवल उनका ही नहीं बल्कि सभी प्लास्टिक के व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाएंगे. जिसकी वजह से उत्तराखंड में बेरोजगारी बढ़ेगी और उत्तराखंड को आर्थिक नुकसान भी होगा. क्योंकि उनकी फैक्ट्री से करीब 10 सालों में करीब 10 करोड़ रुपए का टैक्स दिया है. उनकी फैक्ट्री के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी 2023 तक है, इसके बावजूद भी उनकी फैक्ट्री को बंद किया जा रहा है..

हाई कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा उत्तराखंड में प्लास्टिक के समान का उत्पादन करने, बेचने और स्टोर करने के लिए कोई नियम नहीं बनाए गए हैं. इसके बावजूद भी उनकी फैक्ट्रियों को नियम विरुद्ध तरीके से बंद किया जा रहा है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार फैक्ट्रियों को 2013 के एक्ट के आधार पर तब बंद कर सकती है, जब कंपनियों के द्वारा सरकार के नियमों का पालन न किया जाए, लेकिन जब उत्तराखंड में कोई नियम ही नहीं बने तो उनका उल्लंघन कैसे हो रहा है.

नैनीताल: उत्तराखंड में प्लास्टिक के उत्पादों की फैक्ट्रियों को बंद करने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि स्नोपैक फर्म ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी कर कहा गया है कि 16 अगस्त 2021 के बाद उत्तराखंड में प्लास्टिक के उद्योग पूर्ण रुप से बंद हो जाएंगे और उत्तराखंड में प्लास्टिक के सामान को बेचने और स्टोर करने समेत उत्पादन पर रोक रहेगी.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के इस फैसले के बाद उनका व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाएगा, क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा उत्तराखंड में डिस्पोजल बनाने का काम किया जाता है. उनके बनाए उत्पाद में से 95 प्रतिशत देश के अन्य राज्यों समेत नेपाल तक भेजे जाते हैं. सरकार के इस आदेश के बाद केवल उनका ही नहीं बल्कि सभी प्लास्टिक के व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाएंगे. जिसकी वजह से उत्तराखंड में बेरोजगारी बढ़ेगी और उत्तराखंड को आर्थिक नुकसान भी होगा. क्योंकि उनकी फैक्ट्री से करीब 10 सालों में करीब 10 करोड़ रुपए का टैक्स दिया है. उनकी फैक्ट्री के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी 2023 तक है, इसके बावजूद भी उनकी फैक्ट्री को बंद किया जा रहा है..

हाई कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा उत्तराखंड में प्लास्टिक के समान का उत्पादन करने, बेचने और स्टोर करने के लिए कोई नियम नहीं बनाए गए हैं. इसके बावजूद भी उनकी फैक्ट्रियों को नियम विरुद्ध तरीके से बंद किया जा रहा है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार फैक्ट्रियों को 2013 के एक्ट के आधार पर तब बंद कर सकती है, जब कंपनियों के द्वारा सरकार के नियमों का पालन न किया जाए, लेकिन जब उत्तराखंड में कोई नियम ही नहीं बने तो उनका उल्लंघन कैसे हो रहा है.

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