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HC On Women Reservation: उत्तराखंड महिला क्षैतिज आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई, HC ने मांगा जवाब - Uttarakhand Upper PCS Exam 2021

उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने का मामला फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस बार नैनीताल हाईकोर्ट में उत्तराखंड की महिलाओं को आरक्षण देने के विधेयक को चुनौती दी गई है. जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार से 6 हफ्ते में मांगा जवाब पेश करने को कहा है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Feb 14, 2023, 5:02 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड सरकार की ओर से महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का अधिनियम पास करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जिसकी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 6 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कहा है कि पीसीएस परीक्षा का परिणाम इस याचिका के अंतिम फैसले के अधीन होगा. आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की खंडपीठ में हुई.

गौर हो कि उत्तर प्रदेश निवासी आलिया ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने संबंधी अधिनियम को चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि वो उत्तराखंड की स्थायी निवासी नहीं है. उत्तराखंड अपर पीसीएस परीक्षा 2021 में उत्तराखंड की अभ्यर्थियों से ज्यादा अंक लाने के बाद भी अनुत्तीर्ण हो गई.

सरकार के साल 2006 के उस आदेश पर हाईकोर्ट ने 24 अगस्त 2022 को रोक लगा दी थी. इस रोक के बाद याचिकाकर्ता का पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में चयन हुआ है, लेकिन हाईकोर्ट की ओर से क्षैतिज आरक्षण में रोक के बाद राज्य सरकार ने 10 जनवरी 2023 को उत्तराखंड की महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का अध्यादेश पारित कर दिया. जिसके बाद याचिकाकर्ता को पीसीएस मुख्य परीक्षा के लिए अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया.
ये भी पढ़ेंः सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत Reservation का रास्ता साफ, राज्यपाल ने महिला आरक्षण बिल को दी मंजूरी

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि याचिका में हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी है कि उत्तराखंड के पास डोमिसाइल आधारित महिला आरक्षण प्रदान करने के लिए ऐसा कानून बनाने की कोई विधायी शक्ति या अधिकार नहीं है. यह अधिनियम केवल उच्च हाईकोर्ट के आदेश के प्रभाव को समाप्त करने के लिए लाया गया है, जो कि वैधानिक नहीं है. भारत के संविधान में इसकी अनुमति नहीं है. यह अधिनियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करता है.

वहीं, मामले को सुनने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को 6 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया वर्तमान रिट याचिका के अगले आदेशों के अधीन होगी. मामले की अगली सुनवाई की तिथि 4 जुलाई तय की गई.

नैनीतालः उत्तराखंड सरकार की ओर से महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का अधिनियम पास करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जिसकी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 6 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कहा है कि पीसीएस परीक्षा का परिणाम इस याचिका के अंतिम फैसले के अधीन होगा. आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की खंडपीठ में हुई.

गौर हो कि उत्तर प्रदेश निवासी आलिया ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने संबंधी अधिनियम को चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि वो उत्तराखंड की स्थायी निवासी नहीं है. उत्तराखंड अपर पीसीएस परीक्षा 2021 में उत्तराखंड की अभ्यर्थियों से ज्यादा अंक लाने के बाद भी अनुत्तीर्ण हो गई.

सरकार के साल 2006 के उस आदेश पर हाईकोर्ट ने 24 अगस्त 2022 को रोक लगा दी थी. इस रोक के बाद याचिकाकर्ता का पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में चयन हुआ है, लेकिन हाईकोर्ट की ओर से क्षैतिज आरक्षण में रोक के बाद राज्य सरकार ने 10 जनवरी 2023 को उत्तराखंड की महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का अध्यादेश पारित कर दिया. जिसके बाद याचिकाकर्ता को पीसीएस मुख्य परीक्षा के लिए अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया.
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉक्टर कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि याचिका में हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी है कि उत्तराखंड के पास डोमिसाइल आधारित महिला आरक्षण प्रदान करने के लिए ऐसा कानून बनाने की कोई विधायी शक्ति या अधिकार नहीं है. यह अधिनियम केवल उच्च हाईकोर्ट के आदेश के प्रभाव को समाप्त करने के लिए लाया गया है, जो कि वैधानिक नहीं है. भारत के संविधान में इसकी अनुमति नहीं है. यह अधिनियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करता है.

वहीं, मामले को सुनने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को 6 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया वर्तमान रिट याचिका के अगले आदेशों के अधीन होगी. मामले की अगली सुनवाई की तिथि 4 जुलाई तय की गई.

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