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टिहरी में फ्लोटिंग हट्स से गंगा में गंदगी डालने के मामले में सुनवाई, HC ने मांगी लैब रिपोर्ट

Floating Huts in Tehri नैनीताल हाईकोर्ट ने टिहरी झील में फ्लोटिंग हट्स की ओर से गंदगी डालने के मामले पर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को लैब रिपोर्ट पेश करने को कहा है. ऐसे में यूकेपीसीबी को हर हाल में 5 जनवरी तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का लैब रिपोर्ट पेश करना होगा. आज मामले में हाईकोर्ट में यूकेपीसीबी ने अपना पक्ष रखा.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 28, 2023, 4:20 PM IST

नैनीताल: टिहरी में भागीरथी नदी में फ्लोटिंग हट्स और रेस्टोरेंटों की ओर से गंदगी आदि डाले जाने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 5 जनवरी तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की लैब रिपोर्ट पेश करने को कहा है. कोर्ट ने ये भी बताने को कहा है कि वहां पर कोई ऐसी गतिविधियां तो नहीं चल रही है, जिसकी वजह से लोगों की भावनाएं आहत हो रही हों?

आज मामले में सुनवाई के दौरान उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा. इस दौरान कहा गया कि पीसीबी ने 15 और 16 दिसंबर को इसका औचक निरीक्षण किया था, लेकिन वहां पर स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की लैब रिपोर्ट अभी तक नहीं आई. रिपोर्ट आने के बाद भी अगर दोबारा निरीक्षण की जरूरत पड़ती है तो बोर्ड जांच करने को तैयार है. मामले में अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी.
ये भी पढ़ेंः टिहरी में फ्लोटिंग हट से सीधे गंगा में डाली जा रही गंदगी का मामला, नैनीताल हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

दरअसल, पौड़ी जिले के स्वर्गाश्रम जोंक निवासी नवीन सिंह राणा ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी में भागीरथी नदी (गंगा) में फ्लोटिंग हट्स और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट चलाने की अनुमति दी है, लेकिन उनकी ओर से इस अनुमति का गलत उपयोग किया जा रहा है. याचिकाकर्ता का आरोप था कि कई रेस्टोरेंटों मांसाहारी भोजन बनाकर उसका वेस्ट पवित्र नदी में डाल रहे हैं. इसके अलावा फ्लोटिंग हट्स की ओर से मल मूत्र भी डालने का आरोप है.

वहीं, जनहित याचिका में ये भी कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उन्हें जो लाइसेंस दिया है, उनकी ओर से करोड़ों सनातनियों की भावनाओं के साथ खिलवाड किया जा रहा है. जहां सनातनी गंगा में नहाने से पहले उसकी पूजा करते हैं. बकायदा जूते और चप्पल उतारकर स्नान करते हैं, वहीं फ्लोटिंग हट्स और रेस्टोरेंट इसे अपवित्र कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने इस पर रोक लगाने को लेकर जिलाधिकारी, केंद्र सरकार और मुख्य सचिव को पत्र भेजा, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में उन्हें हाईकोर्ट की शरण में आना पड़ा.

नैनीताल: टिहरी में भागीरथी नदी में फ्लोटिंग हट्स और रेस्टोरेंटों की ओर से गंदगी आदि डाले जाने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 5 जनवरी तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की लैब रिपोर्ट पेश करने को कहा है. कोर्ट ने ये भी बताने को कहा है कि वहां पर कोई ऐसी गतिविधियां तो नहीं चल रही है, जिसकी वजह से लोगों की भावनाएं आहत हो रही हों?

आज मामले में सुनवाई के दौरान उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा. इस दौरान कहा गया कि पीसीबी ने 15 और 16 दिसंबर को इसका औचक निरीक्षण किया था, लेकिन वहां पर स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की लैब रिपोर्ट अभी तक नहीं आई. रिपोर्ट आने के बाद भी अगर दोबारा निरीक्षण की जरूरत पड़ती है तो बोर्ड जांच करने को तैयार है. मामले में अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी.
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दरअसल, पौड़ी जिले के स्वर्गाश्रम जोंक निवासी नवीन सिंह राणा ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी में भागीरथी नदी (गंगा) में फ्लोटिंग हट्स और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट चलाने की अनुमति दी है, लेकिन उनकी ओर से इस अनुमति का गलत उपयोग किया जा रहा है. याचिकाकर्ता का आरोप था कि कई रेस्टोरेंटों मांसाहारी भोजन बनाकर उसका वेस्ट पवित्र नदी में डाल रहे हैं. इसके अलावा फ्लोटिंग हट्स की ओर से मल मूत्र भी डालने का आरोप है.

वहीं, जनहित याचिका में ये भी कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उन्हें जो लाइसेंस दिया है, उनकी ओर से करोड़ों सनातनियों की भावनाओं के साथ खिलवाड किया जा रहा है. जहां सनातनी गंगा में नहाने से पहले उसकी पूजा करते हैं. बकायदा जूते और चप्पल उतारकर स्नान करते हैं, वहीं फ्लोटिंग हट्स और रेस्टोरेंट इसे अपवित्र कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने इस पर रोक लगाने को लेकर जिलाधिकारी, केंद्र सरकार और मुख्य सचिव को पत्र भेजा, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में उन्हें हाईकोर्ट की शरण में आना पड़ा.

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