हल्द्वानी: उत्तराखंड का इतिहास हमेशा से ही गौरवशाली रहा है. उत्तराखंड देवी देवताओं के निवास के साथ ही ऋषि मुनियों की तपोस्थली भी मानी जाती है. यहां की संस्कृति और विरासत पूरे देश विदेश में जानी जाती है. इसी को देखते हुए डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने नैनीताल जिले को कुमाऊंनी और पारंपरिक शैली में संवारने का बीड़ा उठाया है, जिससे लोग यहां की परंपरा और विरासत से रूबरू हो सकें.
कुमाऊंनी शैली में संवारने की कवायद: जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल का कहना है कि पहाड़ से जुड़े हर व्यक्ति के मन के अंदर अपनी पुरानी यादें जुड़ी हुई हैं. इसी को देखते हुए कुमाऊं की लोक कला और लोक संस्कृति को जीवंत करने के लिए पेंटिंग के माध्यम से संवारने का काम किया जा रहा है. पहले चरण में सरोवर नगरी नैनीताल में मार्केट को कुमाऊंनी संस्कृति के साथ ही कुमाऊंनी शैली में विकसित किया गया है. जिसके बाद अब भीमताल, भवाली और रामनगर के के साथ हल्द्वानी के बाजारों और पर्यटन से जुड़े स्थलों पर पेंटिंग के माध्यम से यहां की विरासत को संवारने और उसकी पहचान लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
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जिलाधिकारी ने उठाया बीड़ा: जिलाधिकारी का कहना है कि रामनगर, हल्द्वानी और पहाड़ के बाजारों को कुमाऊंनी शैली में पेंटिंग के माध्यम से सजाने का काम किया जा रहा है. इससे पहाड़ों को आने-जाने वाले सैलानियों को कुमाऊंनी कल्चर के बारे में पता चलेगा. इसके साथ ही युवा भी कुमाऊंनी कल्चर के करीब आ पाएंगे. यही नहीं पेंटिंग को लोग फोटो और सेल्फी के साथ यहां की संस्कृति को कैमरे में कैद कर यादगार कर सकेंगे. जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल का कहना है कि जिला विकास प्राधिकरण बोर्ड की स्वीकृति के बाद अब रामनगर की ऐतिहासिक नंदा मार्केट, हल्द्वानी के पटेल चौक बाजार को भी आधुनिक सुविधाओं के साथ पारंपरिक शैली में विकसित करने का कार्य किया जाएगा. ये कार्य शीघ्र ही प्रारम्भ होने जा रहा है.
सैलानी कुमाऊं मंडल से होंगे रूबरू: उन्होंने कहा कि देश-विदेश से आने वाले सैलानियों को कुमाऊंनी संस्कृति से रूबरू कराने के साथ ही उन्हें स्वतः ही कुमाऊं क्षेत्र आने की अनुभूति प्राप्त होगी. कुमाऊंनी शैली में सड़क किनारे सौंदर्यीकरण हेतु जागर, कुमाऊंनी ऐपण आदि पर आधारित गांव की महिलाओं की पारम्परिक वेशभूषा, ग्रामीण रहन-सहन, रणसिंगा आदि पर आधारित थीम पर काम किया जा रहा है. फिलहाल जिलाधिकारी की इस पहल की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सराहना कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि इस मुहिम में जिला प्रशासन के स्थानीय कल्चर में काम करने वाले लोगों का भी साथ मिल रहा है. युवा पेंटिंग के माध्यम से अपनी संस्कृति और कला को दीवारों पर उकेरने का काम कर रहे हैं.