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छा गया नैनीताल का सेब, दिल्ली-महाराष्ट्र समेत बड़े महानगरों से आ रही डिमांड - demand for nainital apples

नैनीताल को पर्यटन के साथ-साथ फल उत्पादन के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. नैनीताल के मुक्तेश्वर समेत आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के फलों का उत्पादन होता है. इन दिनों नैनीताल के मुक्तेश्वर क्षेत्र में सेब की बंपर पैदावार से काश्तकार काफी खुश हैं. यहां के सेब की महानगरों में खूब डिमांड है.

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Published : Aug 11, 2021, 12:21 PM IST

Updated : Aug 11, 2021, 2:22 PM IST

नैनीताल: एक ओर पहाड़ की जमीन पलायन से खाली होती जा रही है वहीं, दूसरी ओर कई लोग ऐसे भी हैं जो गांवों में लौटकर अपनी लगी लगाई नौकरी छोड़कर कुछ अलग करने में जुटे हैं. इन दिनों नैनीताल के मुक्तेश्वर क्षेत्र में सेब की बंपर पैदावार हो रही है. सेब की खेती करने वाले काश्तकार इससे काफी खुश नजर आ रहे हैं. प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर के महानगरों से सेब खरीद की मांग आ रही है.

बता दें कि, सरोवर नगरी नैनीताल को पर्यटन के साथ-साथ फल उत्पादन के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. नैनीताल के मुक्तेश्वर समेत आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के फलों का उत्पादन होता है. इनमें सेब मुख्य है. इन दिनों मुक्तेश्वर, रामगढ़, खपरॉड समेत आसपास के क्षेत्रों में बंपर सेब का उत्पादन हुआ है. इससे पहाड़ के काश्तकार खुश नजर आ रहे हैं.

छा गया नैनीताल का सेब, दिल्ली-महाराष्ट्र समेत बड़े महानगरों से आ रही डिमांड.

क्षेत्रीय काश्तकार विद्यासागर का कहना है कि इस बार पूरी फल पट्टी में सेब की बंपर पैदावार हुई है. सेब की मांग दिल्ली, महाराष्ट्र, कोलकाता समेत कई बड़े महानगरों में हो रही है. रोजाना उनके पास सेब मंगवाने के ऑर्डर आ रहे हैं.

काश्तकार विद्यासागर का कहना है कि उनके द्वारा अपने खेतों में डिलीशियस, फैनी, स्काटा स्कर्ट लेट स्पर (इटली ), ग्रेनी स्मिथ (ग्रीन स्वीट), जर्मनी, रेड चीफ, (हॉलैंड) रेड स्पर डिलीशियस, रेड कॉर्न, मिजगाला, किंग रॉड, रेड लमगाला प्रजातियों का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे काश्तकारों को काफी फायदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय पहले जो युवा रोजगार की तलाश में महानगरों की तरफ जा रहे थे, अब वो पहाड़ों पर सेब उत्पादन की तरफ बढ़ रहे हैं. इससे पहाड़ों से हो रहे पलायन पर रोक लगी है.

पढ़ें: चमोली: गांव लौटे प्रवासी युवा मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर, कहा- 204 रुपये नाकाफी

युवा काश्तकार बृजेश का कहना है कि वह कई सालों तक दिल्ली में एक कंपनी में काम किया करते थे. कुछ समय पहले वह वापस अपने घर लौटे और उन्होंने सेब की खेती करने का फैसला किया. आज उन्हें सेब की खेती में काफी फायदा हो रहा है. उनके द्वारा अपने गांव के कई युवाओं को रोजगार भी दिया गया है. बता दें कि, नैनीताल का फल पट्टी क्षेत्र सेब के अलावा आड़ू, पुलम, खुमानी समेत विभिन्न प्रकार के पहाड़ी फलों के लिए जाना जाता है.

नैनीताल: एक ओर पहाड़ की जमीन पलायन से खाली होती जा रही है वहीं, दूसरी ओर कई लोग ऐसे भी हैं जो गांवों में लौटकर अपनी लगी लगाई नौकरी छोड़कर कुछ अलग करने में जुटे हैं. इन दिनों नैनीताल के मुक्तेश्वर क्षेत्र में सेब की बंपर पैदावार हो रही है. सेब की खेती करने वाले काश्तकार इससे काफी खुश नजर आ रहे हैं. प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर के महानगरों से सेब खरीद की मांग आ रही है.

बता दें कि, सरोवर नगरी नैनीताल को पर्यटन के साथ-साथ फल उत्पादन के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. नैनीताल के मुक्तेश्वर समेत आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के फलों का उत्पादन होता है. इनमें सेब मुख्य है. इन दिनों मुक्तेश्वर, रामगढ़, खपरॉड समेत आसपास के क्षेत्रों में बंपर सेब का उत्पादन हुआ है. इससे पहाड़ के काश्तकार खुश नजर आ रहे हैं.

छा गया नैनीताल का सेब, दिल्ली-महाराष्ट्र समेत बड़े महानगरों से आ रही डिमांड.

क्षेत्रीय काश्तकार विद्यासागर का कहना है कि इस बार पूरी फल पट्टी में सेब की बंपर पैदावार हुई है. सेब की मांग दिल्ली, महाराष्ट्र, कोलकाता समेत कई बड़े महानगरों में हो रही है. रोजाना उनके पास सेब मंगवाने के ऑर्डर आ रहे हैं.

काश्तकार विद्यासागर का कहना है कि उनके द्वारा अपने खेतों में डिलीशियस, फैनी, स्काटा स्कर्ट लेट स्पर (इटली ), ग्रेनी स्मिथ (ग्रीन स्वीट), जर्मनी, रेड चीफ, (हॉलैंड) रेड स्पर डिलीशियस, रेड कॉर्न, मिजगाला, किंग रॉड, रेड लमगाला प्रजातियों का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे काश्तकारों को काफी फायदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय पहले जो युवा रोजगार की तलाश में महानगरों की तरफ जा रहे थे, अब वो पहाड़ों पर सेब उत्पादन की तरफ बढ़ रहे हैं. इससे पहाड़ों से हो रहे पलायन पर रोक लगी है.

पढ़ें: चमोली: गांव लौटे प्रवासी युवा मनरेगा में मजदूरी करने को मजबूर, कहा- 204 रुपये नाकाफी

युवा काश्तकार बृजेश का कहना है कि वह कई सालों तक दिल्ली में एक कंपनी में काम किया करते थे. कुछ समय पहले वह वापस अपने घर लौटे और उन्होंने सेब की खेती करने का फैसला किया. आज उन्हें सेब की खेती में काफी फायदा हो रहा है. उनके द्वारा अपने गांव के कई युवाओं को रोजगार भी दिया गया है. बता दें कि, नैनीताल का फल पट्टी क्षेत्र सेब के अलावा आड़ू, पुलम, खुमानी समेत विभिन्न प्रकार के पहाड़ी फलों के लिए जाना जाता है.

Last Updated : Aug 11, 2021, 2:22 PM IST
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