नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल की शान और जीवनदायिनी नैनी झील का जल स्तर घट गया है. नैनी झील में हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक नौकायन करने आते हैं. झील का जल स्तर घटने से कोरोबारियों की चिंता भी बढ़ गई है. नैनी झील का जल स्तर कम होने की बड़ी वजह से मौसम की बेरुखी बताई जा रही हैं.
जल स्तर कम होने से नैनी झील के चारों तरफ डेल्टा उभरने लगे हैं, जो झील की सुंदरता पर ग्रहण लगा रहे हैं. अगर जल्द ही अच्छी बारिश नहीं हुई तो नैनी झील का जल स्तर और नीचे जा सकता है. इसे शहर में पानी की किल्लत भी हो सकती है. लंबे समय से नैनी झील पर अध्ययन कर रहे प्रोफेसर बीएस कौटिल्य की माने तो नैनीताल की पहाड़ियों के आसपास करीब 12 छोटे तालाब (वेट लेंड) पहाड़ियों पर स्थित है. जिनमें बरसात के दौरान पानी एकत्र होता था. साल भर इन्हीं छोटे तालाबों से पानी रीसकर नैनी झील में आता था और नैनी झील हमेशा पानी से लबालब भरी रहती थी. लेकिन इन छोटे-छोटे तालाबों में अभ मलबा भर चुका है. जिस कारण इन जिलों में पानी एकत्र नहीं हो पा रहा है और इसका खामियाजा नैनी झील का भुगतना पड़ रहा है.
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इसके अलावा प्रोफेसर कौटिल्य का कहना है कि लोगों ने जंगलों को खत्म कर उन्हें कंक्रीट से ढक दिया गया हैं, जबकि शहरों के आसपास अवैध अतिक्रमण हुए हैं. जंगलों का दायरा काम होने से नैनीताल की झील पर पानी का संकट मंडराने लगा है.
वहीं, जाने-माने पर्यावरणविद अजय रावत के अनुसार नैनीताल में पानी की खपत अपेक्षा से अधिक है. जिस वजह से नैनी झील का जलस्तर गर्मियों के दौरान कम हो जाता है. लिहाजा जल संस्थान को पानी की खपत कम करने के लिए पानी सप्लाई में कटौती करनी चाहिए. ताकि झील का जलस्तर बना रहे.
आंकड़ों पर नजर डाले तो नैनी झील का जल स्तर पूरी तरह के बारिश पर निर्भर है. यदि बारिश कम हुई तो नैनी झील का जल स्तर भी कम होगा. इसके शहर की जल आपूर्ति भी प्रभावित होगी.