ETV Bharat / state

धूमधाम से मनाया गया मां नैना देवी का स्थापना दिवस, हजारों श्रद्धालुओं ने किये दर्शन

उन्नीसवीं शताब्दी में नैनीताल की खोज होने के बाद यहां के स्थानीय निवासी मोतीराम साह ने सरोवर किनारे मां नैना देवी का मंदिर बनाया. जिसके बाद से हर साल मंदिर का स्थापना दिवस बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस मौके पर हजारों श्रद्धालु मां नैना देवी के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं.

नैना देवी मंदिर
author img

By

Published : Jun 9, 2019, 9:30 AM IST

Updated : Jun 9, 2019, 12:18 PM IST

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल में मां नैना देवी मंदिर का 134वां स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया. जो अगले तीन दिनों तक मनाया जाएगा. जिसमें श्रद्धालु मां की उपासना के साथ ही पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिर मां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है. साथ ही मंदिर में मां सती के दोनों नेत्रों की पूजा की जाती है.

मां नैना देवी का स्थापना दिवस

नैना देवी मंदिर नैनी झील किनारे स्थित है. धर्म ग्रंथों के अनुसार जब शिव सती के मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां मां सती के शरीर के अंग गिरे वहां शक्तिपीठ स्‍थापित हो गए. नैनी झील के समीप मां सती का दायां नेत्र गिरा था. नयनों की अश्रुधार ने यहां पर ताल का रूप ले लिया. जिसके बाद से यहां नन्दा (पार्वती) की पूजा नैनादेवी के रूप में होती है.

पढ़ें- यादों में 'प्रकाश': एकजुट नजर आया पक्ष-विपक्ष, मुख्यमंत्री ने दिया 'दोस्त' को कंधा

उन्नीसवीं शताब्दी में नैनीताल की खोज होने के बाद यहां के स्थानीय निवासी मोतीराम साह ने सरोवर किनारे मां नैना देवी का मंदिर बनाया. जिसके बाद से हर साल मंदिर का स्थापना दिवस बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस मौके पर हजारों श्रद्धालु मां नैना देवी के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं.

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल में मां नैना देवी मंदिर का 134वां स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया. जो अगले तीन दिनों तक मनाया जाएगा. जिसमें श्रद्धालु मां की उपासना के साथ ही पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिर मां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है. साथ ही मंदिर में मां सती के दोनों नेत्रों की पूजा की जाती है.

मां नैना देवी का स्थापना दिवस

नैना देवी मंदिर नैनी झील किनारे स्थित है. धर्म ग्रंथों के अनुसार जब शिव सती के मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां मां सती के शरीर के अंग गिरे वहां शक्तिपीठ स्‍थापित हो गए. नैनी झील के समीप मां सती का दायां नेत्र गिरा था. नयनों की अश्रुधार ने यहां पर ताल का रूप ले लिया. जिसके बाद से यहां नन्दा (पार्वती) की पूजा नैनादेवी के रूप में होती है.

पढ़ें- यादों में 'प्रकाश': एकजुट नजर आया पक्ष-विपक्ष, मुख्यमंत्री ने दिया 'दोस्त' को कंधा

उन्नीसवीं शताब्दी में नैनीताल की खोज होने के बाद यहां के स्थानीय निवासी मोतीराम साह ने सरोवर किनारे मां नैना देवी का मंदिर बनाया. जिसके बाद से हर साल मंदिर का स्थापना दिवस बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस मौके पर हजारों श्रद्धालु मां नैना देवी के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं.

Intro:स्लग- नयना देवी मंदिर

स्थान- नैनीताल

रिपोर्ट- गौरव जोशी

एंकर- नैनीताल आज माँ नयना देवी मंदिर का 134 वा स्थापना दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया,,स्थापना दिवश का कार्यक्रम 4दिनो तक चलता रहेगा,,,ओर हर दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते रहेगे,,,
नैनीझील के किनारे स्थित माँ नयना देवी मंदिर भारत के 51 शक्तितपीठो में से एक पिठ माना जाता है। पुराणो में यह भी वर्णित है कि देवी सती के पिता प्रजापति ने एक दक्ष विशाल यज्ञ का आयोजन किया था लेकिन अपने जमाता भगवान शिव को आमंत्रित नही करा। 




Body:जिस बात से नाराज होकर अगले जन्म में शिव की पत्नी बन्ने की कामना के साथ देवी सती ने यज्ञ कुड में अपने प्राणो का उत्सर्जन कर दिया। इस घटना से दुखी होकर भगवान शिव अपने सारे कर्तव्यो से विमुख हो देवी सती का पार्थीव शरीर अपने कंधे पर रख ब्रम्हाण में भटकने लगे। 
जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से सती के शव के खंड खंड कर दिए और देवाधिदेव शिव को इस दुख से मुक्ती दी और जहा जहा देवी सती के शरीर के अंश गीरे वहा वहा 51 शक्तिी पीठ का निर्माण हुआ इस घटना में देवी सती की नैनीताल में आखे गीरी जिसके बाद से नैनीताल में




Conclusion:उन्नीसवीं शताब्दी में नैनीताल की खोज होने के बाद यहाँ के प्रमुख निवासी मोतीराम साह ने सरोवर किनारे माँ नयना देवी मंदिर को बनाया और तभी से प्रति वर्ष आज के दिन मंदिर का स्थापना दिवश बढे धुम-धाम के साथ मनाया जाता है जिस मौके पर आज हजारो पर्यटकों समेत स्थानीय लोगों ने माँ नयना देवी के दर्शन किये कार्यक्रम के दौरान माँ नयना देवी मन्दिर प्रागण में माँ के भक्तों द्वारा हवन और भजन कीर्तन का आयोजन किया गया।


बाईट- राजीव लोचन साह,आयोजक सदस्य।
बाईट- भुवन चंद्र त्रिपाठी, पुजारी।

Last Updated : Jun 9, 2019, 12:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.