हल्द्वानी: देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. क्योंकि नेहरू को बच्चे बहुत पसंद थे. बच्चे प्यार से नेहरू को चाचा बुलाते थे. नेहरू बच्चों को देश का भविष्य मानते थे, इसी लिए उनके प्रति उनका बड़ा लगाव था. इसी संकल्प को हल्द्वानी के गौलापार स्थित नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (नैब) पूरा कर रहा है. नैब दृष्टिबाधित बच्चों को न सिर्फ आसरा दे रहा है, बल्कि उनकी पढ़ाई-लिखाई और उनके स्किल डेवलपमेंट के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है.
नैब की शुरुआत साल 2003 में 5 दृष्टिबाधित बच्चों के साथ हुई थी जो आज 100 के करीब पहुंच गई है. बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण कर समाज के अन्य बच्चों के साथ मिलकर अपनी दिव्यांगता को छोड़ मुख्यधारा से जुड़ गए हैं. यहां शिक्षा ग्रहण कर चुके कई छात्र कई बड़ी सरकारी नौकरियों में भी सेवाएं दे रहे हैं. इसके अलावा दूरदराज से दिव्यांग छात्रों की मदद के लिए आने वाले समाजसेवी लोगों ने भी नैब के उत्थान के लिए हर संभव मदद देकर दिव्यांग बच्चों को सहारा देने का काम किया है.
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संस्था के संस्थापक श्याम घानिक के मुताबिक नैब के छात्रों को कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके साथ ही आधुनिक संगीत शिक्षा, नृत्य और शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए विशेष रूप से प्रयास कर रहा है. जिसका परिणाम यह है कि यहां के दृष्टिहीन बच्चे किसी सामान्य बच्चे से कम नहीं हैं.