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यहां पूरा किया जा रहा चाचा नेहरू का संकल्प, मुख्य धारा में शामिल हो रहे दृष्टिबाधित बच्चे - नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड

हल्द्वानी में एक संस्था द्वारा चाचा नेहरू के संकल्प को पूरा किया जा रहा है. यहां दृष्टिबाधित बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जा रहा है. इसके साथ ही बच्चों को आधुनिक संगीत शिक्षा, नृत्य और शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष रूप से प्रयास हो रहा है.

हल्द्वानी
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Published : Nov 14, 2019, 3:17 PM IST

हल्द्वानी: देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. क्योंकि नेहरू को बच्चे बहुत पसंद थे. बच्चे प्यार से नेहरू को चाचा बुलाते थे. नेहरू बच्चों को देश का भविष्य मानते थे, इसी लिए उनके प्रति उनका बड़ा लगाव था. इसी संकल्प को हल्द्वानी के गौलापार स्थित नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (नैब) पूरा कर रहा है. नैब दृष्टिबाधित बच्चों को न सिर्फ आसरा दे रहा है, बल्कि उनकी पढ़ाई-लिखाई और उनके स्किल डेवलपमेंट के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है.

यहां पूरा हो रहा चाचा नेहरू का संकल्प

नैब की शुरुआत साल 2003 में 5 दृष्टिबाधित बच्चों के साथ हुई थी जो आज 100 के करीब पहुंच गई है. बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण कर समाज के अन्य बच्चों के साथ मिलकर अपनी दिव्यांगता को छोड़ मुख्यधारा से जुड़ गए हैं. यहां शिक्षा ग्रहण कर चुके कई छात्र कई बड़ी सरकारी नौकरियों में भी सेवाएं दे रहे हैं. इसके अलावा दूरदराज से दिव्यांग छात्रों की मदद के लिए आने वाले समाजसेवी लोगों ने भी नैब के उत्थान के लिए हर संभव मदद देकर दिव्यांग बच्चों को सहारा देने का काम किया है.

पढ़ें- 'चौकीदार चोर है' बयान पर राहुल को मिली राहत, नहीं चलेगा अवमानना का केस

संस्था के संस्थापक श्याम घानिक के मुताबिक नैब के छात्रों को कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके साथ ही आधुनिक संगीत शिक्षा, नृत्य और शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए विशेष रूप से प्रयास कर रहा है. जिसका परिणाम यह है कि यहां के दृष्टिहीन बच्चे किसी सामान्य बच्चे से कम नहीं हैं.

हल्द्वानी: देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. क्योंकि नेहरू को बच्चे बहुत पसंद थे. बच्चे प्यार से नेहरू को चाचा बुलाते थे. नेहरू बच्चों को देश का भविष्य मानते थे, इसी लिए उनके प्रति उनका बड़ा लगाव था. इसी संकल्प को हल्द्वानी के गौलापार स्थित नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (नैब) पूरा कर रहा है. नैब दृष्टिबाधित बच्चों को न सिर्फ आसरा दे रहा है, बल्कि उनकी पढ़ाई-लिखाई और उनके स्किल डेवलपमेंट के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है.

यहां पूरा हो रहा चाचा नेहरू का संकल्प

नैब की शुरुआत साल 2003 में 5 दृष्टिबाधित बच्चों के साथ हुई थी जो आज 100 के करीब पहुंच गई है. बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण कर समाज के अन्य बच्चों के साथ मिलकर अपनी दिव्यांगता को छोड़ मुख्यधारा से जुड़ गए हैं. यहां शिक्षा ग्रहण कर चुके कई छात्र कई बड़ी सरकारी नौकरियों में भी सेवाएं दे रहे हैं. इसके अलावा दूरदराज से दिव्यांग छात्रों की मदद के लिए आने वाले समाजसेवी लोगों ने भी नैब के उत्थान के लिए हर संभव मदद देकर दिव्यांग बच्चों को सहारा देने का काम किया है.

पढ़ें- 'चौकीदार चोर है' बयान पर राहुल को मिली राहत, नहीं चलेगा अवमानना का केस

संस्था के संस्थापक श्याम घानिक के मुताबिक नैब के छात्रों को कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके साथ ही आधुनिक संगीत शिक्षा, नृत्य और शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए विशेष रूप से प्रयास कर रहा है. जिसका परिणाम यह है कि यहां के दृष्टिहीन बच्चे किसी सामान्य बच्चे से कम नहीं हैं.

Intro:sammry- बाल दिवस -नेशनल एसोसिएशन फार द ब्लाइंड में दृष्टिहीन बच्चों को दी जाती है शिक्षा (बाल दिवस स्पेशल खबर)

एंकर- चाचा नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि चाचा नेहरू को बच्चे बहुत पसंद थे और बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए चाचा नेहरू हमेशा बच्चों के बीच बड़े लगाओ से रहते थे चाचा नेहरू के इसी संकल्प को हल्द्वानी के गौलापार स्थित नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड नैब पूरा कर रहा है समाज के दृष्टिहीन दिव्यांग बच्चों को न सिर्फ आसरा दे रहा है बल्कि उनकी पढ़ाई लिखाई और उनके स्किल डेवलपमेंट के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है।


Body:संस्था के संस्थापक श्याम घानिक ने सन 2003 में 5 दृष्टिहीन दिव्यांग बच्चों के साथ शुरू हुए नैब संस्था कीर्तिमान स्थापित करते हुए आज 100 के करीब दिव्यांग बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण करा समाज के अन्य बच्चों के साथ मिलकर अपनी दिव्यांग ता को छोड़ मुख्यधारा से जुड़ गए हैं। यहां शिक्षा ग्रहण कर चुके कई दिव्यांग छात्र कई बड़ी सरकारी नौकरियों में भी सेवाएं दे रहे हैं इसके अलावा दूरदराज से दिव्यांग छात्रों की मदद के लिए आने वाले समाजसेवी लोगों ने भी मैप के उत्थान के लिए हर संभव मदद देकर दिव्यांग बच्चों को सहारा देने का काम किया है। यहां के छात्रों में ऐसी प्रतिभा देखने को मिल रही है जैसे कि सामान्य बच्चों से भी अधिक है । डिवाइस सिस्टम और कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से दिव्यांग छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाता है। यही नहीं आधुनिक संगीत शिक्षा से लेकर नृत्य और शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए विशेष रूप से प्रयास कर रहा है जिसका परिणाम यह है कि यहां के दृष्टिहीन दिव्यांग बच्चे किसी सामान्य बच्चे से कम नहीं है ।

बाइट दीपक कोऑर्डिनेटर नैब संस्था

बाइट- हरिद्र क्योरा स्थानीय निवासी


Conclusion:चाचा नेहरू के जन्म दिवस के मौके पर ईटीवी भारत नैब संस्था को सलाम कर रहा है और दृष्टिहीन बच्चों की भविष्य उज्जवल की कामना करता है।
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