ETV Bharat / state

नरेंद्र की मेहनत लाई रंग, मशरूम के वेस्ट से तैयार की ऑर्गेनिक खाद - हल्द्वानी ऑर्गेनिक खाद

हल्द्वानी के किसान नरेंद्र मेहरा इन दिनों काफी चर्चा में हैं. नरेंद्र मशरूम के वेस्ट से ऑर्गेनिक खाद बनाकर किसानों को फायदा पहुंचा रहे हैं.

haldwani news
mushrooms Wast
author img

By

Published : Dec 15, 2019, 1:06 PM IST

Updated : Dec 15, 2019, 3:19 PM IST

हल्द्वानी: 'आम के आम गुठलियों के दाम' के दाम वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी. इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं हल्द्वानी के नरेंद्र मेहरा, जो मशरूम के वेस्ट से आर्गेनिक खाद तैयार कर रहे हैं. साथ ही अन्य किसानों को भी जागरूक कर रहे हैं.

नरेंद्र ने मशरूम के वेस्ट से तैयार की ऑर्गेनिक खाद

मशरूम की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. किसान मशरूम उत्पादन के बाद उसके वेस्ट (सड़े भूसे) को इधर-उधर फेंक देते हैं. हल्द्वानी में अभी तक मशरूम का वेस्ट सिर्फ प्रदूषण फैलाने का काम करता था, लेकिन नरेंद्र इस वेस्ट को रिसाइकिल कर ऑर्गेनिक खाद तैयार कर रहे हैं.

गौलापार के प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा बताते हैं कि मशरूम की खेती करने वाले किसान उसके के वेस्ट को फेंक देते हैं, जो खेतों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा था. ऐसे में उन्होंने आसपास के मशरूम उत्पादों के वेस्ट को इकट्ठा कर उसे डीकंपोज कर ऑर्गेनिक खाद तैयार कर रहे हैं.

उनका कहना है कि वेस्ट में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की भरपूर मात्रा होती है, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाती है. वेस्ट को रिसाइकिल करने बाद 3 महीने में ऑर्गेनिक खाद तैयार हो जाती है.

पढ़ें- स्विफ्ट कार लूट मामले में चार गिरफ्तार, आरोपियों से मिले दो तमंचे

फिलहाल, नरेंद्र मेहरा की इस पहल से जहां मशरूम उत्पादकों को फायदा पहुंच रहा है. तो वहीं किसानों को भी ऑर्गेनिक खाद उपलब्ध हो रही है, जो खेती के लिए वरदान साबित हो रही है.

हल्द्वानी: 'आम के आम गुठलियों के दाम' के दाम वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी. इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं हल्द्वानी के नरेंद्र मेहरा, जो मशरूम के वेस्ट से आर्गेनिक खाद तैयार कर रहे हैं. साथ ही अन्य किसानों को भी जागरूक कर रहे हैं.

नरेंद्र ने मशरूम के वेस्ट से तैयार की ऑर्गेनिक खाद

मशरूम की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. किसान मशरूम उत्पादन के बाद उसके वेस्ट (सड़े भूसे) को इधर-उधर फेंक देते हैं. हल्द्वानी में अभी तक मशरूम का वेस्ट सिर्फ प्रदूषण फैलाने का काम करता था, लेकिन नरेंद्र इस वेस्ट को रिसाइकिल कर ऑर्गेनिक खाद तैयार कर रहे हैं.

गौलापार के प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा बताते हैं कि मशरूम की खेती करने वाले किसान उसके के वेस्ट को फेंक देते हैं, जो खेतों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा था. ऐसे में उन्होंने आसपास के मशरूम उत्पादों के वेस्ट को इकट्ठा कर उसे डीकंपोज कर ऑर्गेनिक खाद तैयार कर रहे हैं.

उनका कहना है कि वेस्ट में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की भरपूर मात्रा होती है, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाती है. वेस्ट को रिसाइकिल करने बाद 3 महीने में ऑर्गेनिक खाद तैयार हो जाती है.

पढ़ें- स्विफ्ट कार लूट मामले में चार गिरफ्तार, आरोपियों से मिले दो तमंचे

फिलहाल, नरेंद्र मेहरा की इस पहल से जहां मशरूम उत्पादकों को फायदा पहुंच रहा है. तो वहीं किसानों को भी ऑर्गेनिक खाद उपलब्ध हो रही है, जो खेती के लिए वरदान साबित हो रही है.

Intro:sammry- प्रगतिशील किसान मशरूम के वेस्टमैट्रियल से तैयार किया ऑर्गेनिक खाद।


एंकर- मशरूम की खेती का उत्पादन किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। लेकिन मशरूम उत्पादन के बाद उसका वेस्ट मटेरियल को मशरूम उत्पादक इधर-उधर फेंक दिया करता है ऐसे में मशरूम का बेस्ट मटेरियल जमीन की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंचाने का काम करता है। गौलापार के प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा मशरूम के वेस्टमैट्रियल को अब मशरुम उत्पादकों से खरीद उससे ऑर्गेनिक खाद तैयार कर बागवानी और खेती के काम मे ला रहे हैं । यही नहीं दूसरों किसानों को भी मशरूम के वेस्ट मटेरियल से ऑर्गेनिक खाद तैयार करने के लिए जागरूक भी कर रहे हैं।


Body: हल्द्वानी के गौलापार के प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने बताया कि उनके क्षेत्र में मशरूम उत्पादन के काम करने वाले किसान मशरूम के वेस्टमैट्रियल को इधर-उधर खेतों में फेंक दिया करते थे जो खेतों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा था ऐसे में उन्होंने अब आसपास के मशरूम उत्पाद को से वह वेस्टमैट्रियल को इकट्ठा कर डी कंपोस्ट के माध्यम से रेस साइकिल कर ऑर्गेनिक खाद तैयार कर रहे हैं । उन्होंने बताया कि मशरूम के वेस्टमैट्रियल में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की भरपूर मात्रा प्राप्त हो रही है जो मिट्टी को उपजाऊ बनाती है।
उन्होंने बताया कि री साइकिल के माध्यम से 3 महीने में ऑर्गेनिक खाद तैयार हो जाता है।
उन्होंने बताया कि जागरूकता के अभाव में अभी तक लोग इस वेस्ट मटेरियल को फेंक दिया करते थे। मशरूम के बेस्ट मेडिकल को खुले में फेंकने से पर्यावरण को नुकसान के साथ-साथ खेतों की उपजाऊ भूमि को भी नष्ट किया करता था।
लेकिन अब इस नई तकनीकी के माध्यम से खुद ऑर्गेनिक खाद तैयार कर रहे हैं और दूसरों को भी ऑर्गेनिक खाद के लिए जागरूक कर रहे हैं।

बाइट-नरेंद्र मेहरा प्रगतिशील किसान


Conclusion:फिलहाल नरेंद्र मेहरा की इस पहल से जहां मशरूम उत्पादन करने वाले लोगों की आय में अब दुगनी वृद्धि हो रही है। क्योंकि पहले मशरुम उत्पादन उस वेस्ट मटेरियल को फेंक दिया करते थे तो वहीं किसानों को भी ऑर्गेनिक खाद उपलब्ध हो रहा है जो खेती के लिए वरदान साबित होगा।
Last Updated : Dec 15, 2019, 3:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.