हल्द्वानी: गौला संघर्ष समिति (Gaula Sangharsh Samiti) के बैनर तले सैकड़ों खनन वाहन स्वामियों ने बुध पार्क में प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. गौला नदी में खनन में (mining in gaula river) लगे वाहनों के स्वामियों ने सरकार पर दोहरे मापदंड बनाने का आरोप (Government accused of creating double standards) लगाया.
गौला संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि खनन रॉयल्टी (mining royalties) को लेकर सरकार ने दो तरह के मानक बनाए हैं. उधम सिंह नगर के बाजपुर की खनन रॉयल्टी (Bajpur mining royalty) अलग है. जबकि गौला नदी की खनन रॉयल्टी बढ़ाई गई है. ऐसे में गौला नदी में लगे वाहन स्वामियों का उत्पीड़न हो रहा है.
इसके अलावा वाहन स्वामियों ने सरकार द्वारा समतलीकरण के नाम पर पट्टे दिए जाने का विरोध किया है. वाहन स्वामियों ने कहा कि या तो समतलीकरण के परमिशन और पट्टे रद्द किए जाएं, या फिर समतलीकरण की रॉयल्टी और गौला नदी में खनन की रॉयल्टी बराबर की जाए. नहीं तो 1 अक्टूबर से खनन के लिए इस बार एक भी वाहन गौला नदी में नहीं उतारा जाएगा.
ये भी पढ़ें: जहरीली गैस का शिकार हुए मजदूर ने तोड़ा दम, फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ बढ़ाई गईं धाराएं
गौरतलब है कि गोला नदी में 11 खनन निकासी गेट में 7000 वाहन पंजीकृत हैं. गौला नदी रोजाना करोड़ों रुपए का राजस्व सरकार को देती है. ऐसे में अगर वाहन स्वामी खनन कार्य करने नहीं उतरे तो सरकार के सामने राजस्व का संकट खड़ा होगा. खनन कारोबारियों का कहना है कि गौला नदी का खनन रॉयल्टी ₹38 है. वही अन्य जिलों में रॉयल्टी करीब ₹9 है. सरकार द्वारा खनन कारोबारियों के साथ दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है.