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कुमाऊं की नदियों में अगले साल बंद हो सकता है खनन, जानिए कारण - उत्तराखंड ताजा समाचार टुडे

कुमाऊं में खनन कारोबार रोजगार का बड़ा साधन है. वहीं सरकारी खजाना भरने में भी इससे मिलने वाला राजस्व अहम माना जाता है. अब इस खनन रोजगार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. सभी की निगाहें केंद्र सरकार पर ठिकी हुई हैं. यदि जल्द ही केंद्र सरकार ने परमिशन नहीं दी तो आगामी सत्र से कुमाऊं की चार मुख्य नदियों में फावड़े-बेलचों की खनक बंद हो जाएगी.

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Published : May 12, 2022, 11:27 AM IST

हल्द्वानी: प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व खनन से प्राप्त होता है. लेकिन कुमाऊं मंडल की नदियों से अब खनन कारोबार पर संकट मंडराने लगा है. ऐसे में अब प्रदेश सरकार और वन विभाग की निगाह केंद्र सरकार के ऊपर है. केंद्र सरकार अगर अनुमति देती है तो अगले सत्र में प्रदेश की नदियों से खनन हो पाएगा. नहीं तो अगले साल खनन कार्य पर संकट खड़ा हो सकता है.

बताया जा रहा है कि फरवरी 2023 में कुमाऊं मंडल की 4 नदियों से होने वाली खनन कारोबार की अवधि समाप्त हो रही है. ऐसे में अगर केंद्र सरकार अनुमति देती है, तभी खनन हो पाएगा. अगले साल खनन कार्य में बाधा उत्पन्न न हो इसको लेकर विभागीय अधिकारियों अभी से कार्रवाई शुरू कर दी है.
पढ़ें- जुमला साबित हुआ उत्तराखंड का 'ऊर्जा प्रदेश' का नारा, 17 परियोजनाओं के बावजूद बेहाल

क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम केएन भारती ने बताया कि कुमाऊं मंडल में शारदा नदी, गौला नदी, कोसी और दाबका नदी से होने वाले खनन की केंद्र सरकार से मिलने वाली अवधि फरवरी 2023 में समाप्त हो रही है. केंद्र सरकार ने 10 सालों के लिए खनन आवंटित किया था. फरवरी 2023 में इन नदियों से खनन सामग्री निकालने की समय अवधि समाप्त हो रही है. ऐसे में फिर से इन नदियों से खनन कार्य सुचारू करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति जरूरी है.

उन्होंने बताया कि अगले सत्र में इन चारों नदियों से खनन कार्य सुचारू रहे इसको लेकर विभाग द्वारा अभी से कार्रवाई शुरू कर दी गई है. अनुमति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की टीम नदी का सर्वे करेगी, जिसके बाद ही खनन की अनुमति देगी.
पढ़ें- चारधाम यात्रा से हेली सेवा कर रही छप्पर फाड़ कमाई, रोजाना मिल रहा 15 लाख का राजस्व

केएन भारती के मुताबिक इस साल 31 मई तक इन नदियों में खनन कार्य होना है. जिसके बाद मॉनसून सीजन शुरू हो जाएगा. मॉनसून में नदी को खनन कार्य के लिए बंद कर दिया जाएगा. लेकिन अगले सत्र में नदी को फिर से खनन के लिए चालू करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की जरूरत है, जिसकी कार्रवाई शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि बिना केंद्र सरकार की अनुमति के नदियों से खनन कार्य नहीं हो सकता है. ऐसे में अगर समय रहते केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिली तो अगले साल खनन सत्र में परेशानी आ सकती है.

हल्द्वानी: प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व खनन से प्राप्त होता है. लेकिन कुमाऊं मंडल की नदियों से अब खनन कारोबार पर संकट मंडराने लगा है. ऐसे में अब प्रदेश सरकार और वन विभाग की निगाह केंद्र सरकार के ऊपर है. केंद्र सरकार अगर अनुमति देती है तो अगले सत्र में प्रदेश की नदियों से खनन हो पाएगा. नहीं तो अगले साल खनन कार्य पर संकट खड़ा हो सकता है.

बताया जा रहा है कि फरवरी 2023 में कुमाऊं मंडल की 4 नदियों से होने वाली खनन कारोबार की अवधि समाप्त हो रही है. ऐसे में अगर केंद्र सरकार अनुमति देती है, तभी खनन हो पाएगा. अगले साल खनन कार्य में बाधा उत्पन्न न हो इसको लेकर विभागीय अधिकारियों अभी से कार्रवाई शुरू कर दी है.
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क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम केएन भारती ने बताया कि कुमाऊं मंडल में शारदा नदी, गौला नदी, कोसी और दाबका नदी से होने वाले खनन की केंद्र सरकार से मिलने वाली अवधि फरवरी 2023 में समाप्त हो रही है. केंद्र सरकार ने 10 सालों के लिए खनन आवंटित किया था. फरवरी 2023 में इन नदियों से खनन सामग्री निकालने की समय अवधि समाप्त हो रही है. ऐसे में फिर से इन नदियों से खनन कार्य सुचारू करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति जरूरी है.

उन्होंने बताया कि अगले सत्र में इन चारों नदियों से खनन कार्य सुचारू रहे इसको लेकर विभाग द्वारा अभी से कार्रवाई शुरू कर दी गई है. अनुमति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की टीम नदी का सर्वे करेगी, जिसके बाद ही खनन की अनुमति देगी.
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केएन भारती के मुताबिक इस साल 31 मई तक इन नदियों में खनन कार्य होना है. जिसके बाद मॉनसून सीजन शुरू हो जाएगा. मॉनसून में नदी को खनन कार्य के लिए बंद कर दिया जाएगा. लेकिन अगले सत्र में नदी को फिर से खनन के लिए चालू करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की जरूरत है, जिसकी कार्रवाई शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि बिना केंद्र सरकार की अनुमति के नदियों से खनन कार्य नहीं हो सकता है. ऐसे में अगर समय रहते केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिली तो अगले साल खनन सत्र में परेशानी आ सकती है.

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