हल्द्वानीः गौला नदी से इस साल खनन सत्र संकट के दौर से गुजर रहा है. हर साल करीब 54 लाख घन मीटर उप खनिज नदी से निकला जाता है, लेकिन अभी तक 29 लाख घन मीटर की निकासी हुई है. ऐसे में प्रदेश सरकार को इस साल कम राजस्व की आमदनी होने की संभावना है. वहीं, खनन से जुड़े कई लोगों के सामने भी संकट आ सकता है.
बता दें कि कुमाऊं की लाइफलाइन कही जाने वाली गौला नदी में इस बार खनन सत्र धीमी गति से चल रहा है. बीते मानसून सत्र में गौला नदी में कम उप खनिज आया था. इसे देखते हुए सरकार ने 2018-19 के लिए नदी से 34 लाख 50 हजार घन मीटर का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक मात्र 29 लाख घन मीटर ही नदी से खनन की निकासी हो पाई है. जबकि राजस्व के तौर पर 1 अरब 51 करोड़ रुपये की राजस्व की प्राप्ति हुई है. ऐसे में पिछले 10 सालों की तुलना में इस साल गौला नदी से सरकार को सबसे कम राजस्व ही मिला है. बीते साल भी सरकार को गौला नदी से खनन के तौर पर 2 अरब का राजस्व मिला था. वहीं, 40 लाख घन मीटर उपखनिज गौला नदी से निकाला गया था.
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गौर हो कि केंद्रीय मृदा और जल संरक्षण की टीम ने गौला नदी का सर्वे कर शासन को रिपोर्ट भेजी है. जिसमें बताया गया है कि इस साल कम बरसात होने से गौला नदी में खनिज कम मात्रा में पहुंचा है. ऐसे में नदी से खनिज नहीं निकाला जाए.
वहीं, मामले पर वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक एमपीएस रावत का कहना है कि गौला नदी से खनन सुचारू चल रहा है. केंद्रीय मृदा और जल संरक्षण की रिपोर्ट को शासन को भेज दिया गया है. शासन से निर्देश मिलने के बाद इस साल खनन क्षेत्र के बंद करने पर विचार किया जाएगा.