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उत्तराखंड में दूध उत्पादन में भारी गिरावट, सरकार का दावा हुआ फेल ! - Milk production decreased

राज्य सरकार भले ही उत्तराखंड में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने का लाख दावा कर ले, लेकिन हकीकत जमीन पर कुछ और ही है. सरकार की ओर से पशुपालन और दूध उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. बावजूद इसके साल 2021 के मुकाबले साल 2022 में पहाड़ों में दूध उत्पादन में भारी गिरावट आई है.

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Published : Sep 9, 2022, 5:15 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड में पशुपालन (animal husbandry in uttarakhand) और दूध उत्पादन को बढ़ावा (boost milk production) देने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. यहां तक कि उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन (Uttarakhand Dairy Federation) से जुड़े दूध उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए ₹4 प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. उसके बावजूद भी दूध उत्पादन को बढ़ावा देने में सरकार के सभी दावे फेल हो रहे हैं.

राज्य में दुग्ध उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है. यूसीडीएफ के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले वित्तीय वर्ष अप्रैल 2021 से अप्रैल 2022 तक दूध का प्रदेश में रोजाना उत्पादन 2,01,092 लीटर प्रतिदिन हुआ करता था, जो इस वित्तीय वर्ष अप्रैल 2022 से जुलाई माह तक घटकर रोजाना 1,93,224 लीटर रोजाना हो गया है. आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में रोजाना दूध का उत्पादन घटा (Daily milk production decreased) है.

ये भी पढ़ें: कुमाऊं कमिश्नर ने चोरगलिया वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का किया निरीक्षण, इको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के निदेशक संजय खेतवाल ने कहा कि प्रदेश में 11 दूध उत्पादन सरकारी संघ (milk production government association) द्वारा आंचल डेयरी (Aanchal Dairy) के लिए पूरे प्रदेश से दूध की खरीद की जाती है. जहां 2,545 दूध समितियों के माध्यम से 1,63,807 दूध उत्पादक जुड़े हुए हैं, जो आंचल डेयरी को दूध देने का काम करते हैं.

संजय खेतवाल ने कहा कि पहाड़ों में दूध का उत्पादन घटा (Milk production decreased in the mountains) है. सबसे ज्यादा दूध उत्पादन में कमी बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और टिहरी जनपदों में देखी गई है. जहां लगातार उपार्जन घट रहा है, ऐसे में उन क्षेत्रों में दूध के उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए डेयरी फेडरेशन द्वारा कार्य किया जा रहा है. उत्पादन क्यों घटा है, इसका कारण पता कर उसका निवारण किया जाएगा.

हल्द्वानी: उत्तराखंड में पशुपालन (animal husbandry in uttarakhand) और दूध उत्पादन को बढ़ावा (boost milk production) देने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. यहां तक कि उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन (Uttarakhand Dairy Federation) से जुड़े दूध उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए ₹4 प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. उसके बावजूद भी दूध उत्पादन को बढ़ावा देने में सरकार के सभी दावे फेल हो रहे हैं.

राज्य में दुग्ध उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है. यूसीडीएफ के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले वित्तीय वर्ष अप्रैल 2021 से अप्रैल 2022 तक दूध का प्रदेश में रोजाना उत्पादन 2,01,092 लीटर प्रतिदिन हुआ करता था, जो इस वित्तीय वर्ष अप्रैल 2022 से जुलाई माह तक घटकर रोजाना 1,93,224 लीटर रोजाना हो गया है. आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में रोजाना दूध का उत्पादन घटा (Daily milk production decreased) है.

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उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के निदेशक संजय खेतवाल ने कहा कि प्रदेश में 11 दूध उत्पादन सरकारी संघ (milk production government association) द्वारा आंचल डेयरी (Aanchal Dairy) के लिए पूरे प्रदेश से दूध की खरीद की जाती है. जहां 2,545 दूध समितियों के माध्यम से 1,63,807 दूध उत्पादक जुड़े हुए हैं, जो आंचल डेयरी को दूध देने का काम करते हैं.

संजय खेतवाल ने कहा कि पहाड़ों में दूध का उत्पादन घटा (Milk production decreased in the mountains) है. सबसे ज्यादा दूध उत्पादन में कमी बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और टिहरी जनपदों में देखी गई है. जहां लगातार उपार्जन घट रहा है, ऐसे में उन क्षेत्रों में दूध के उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए डेयरी फेडरेशन द्वारा कार्य किया जा रहा है. उत्पादन क्यों घटा है, इसका कारण पता कर उसका निवारण किया जाएगा.

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