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मौत का अस्पताल: इलाज के दौरान 9 सालों में 13187 लोगों ने गंवाई जान - सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया

कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल में बीते 9 सालों में 13187 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, इस अस्पताल में अब तक अरबों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन, आज भी ये अस्पताल सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है.

इलाज के दौरान 9 सालों में 13187 लोगों ने गंवाई जान.
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Published : Jul 25, 2019, 10:03 AM IST

हल्द्वानी: जिले के कुमाऊं में स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल मौत का अड्डा बनता जा रहा है. बीते 9 सालों में अस्पताल में उपचार के दौरान 13187 लोगों की मौत हो चुकी है. ये खुलासा आरटीआई से मांगी गई जानकारी के बाद हुआ. कुमाऊं क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल में अरबों रुपये खर्च होने के बाद भी ये अस्पताल आज भी बदहाली के आलम से गुजर रहा है.

इलाज के दौरान 9 सालों में 13187 लोगों ने गंवाई जान.

हल्द्वानी के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल सुशीला तिवारी अस्पताल से जानकारी मांगी. जानकारी में प्रदेश बनने से अभी तक कितने मरीजों की इलाज के दौरान मौत हुई. साथ ही अस्पताल की व्यवस्था में कितने रुपये खर्च किए गए. लेकिन, आरटीआई में बीते 9 सालों का ही आंकड़ा दिया गया.

ये भी पढ़ें: लक्ष्मण झूला पुल बंद होने से राम झूला पर बढ़ा भार, हर पल मंडरा रहा खतरा

अस्पताल प्रशासन के अनुसार, 1 मई 2010 से अप्रैल 2019 तक अस्पताल में इलाज के दौरान 13187 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही व्यवस्था के नाम पर अरबों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. गौरतलब है कि सुशीला तिवारी अस्पताल में कुमाऊं क्षेत्र सहित नेपाल और उत्तर प्रदेश के भी मरीज इलाज के लिए आते हैं. वहीं, इस अस्पताल में अव्यवस्थाओं की बात करें तो यहां पर कई डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं. साथ ही कई मशीनें भी खराब पड़ी हुई हैं. यही कारण है कि राज्य बनने से अब तक 13187 मरीजों की मौत हो चुकी हैं.

हेमंत गोनिया ने बताया कि प्रतिदिन अस्पताल में उपचार के दौरान मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. जो कि एक चिंता का विषय बना हुआ है. अगर राज्य सरकार ने इस अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर जल्द ध्यान नहीं दिया तो लोग यहां उपचार कराना बंद कर देंगे.

हल्द्वानी: जिले के कुमाऊं में स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल मौत का अड्डा बनता जा रहा है. बीते 9 सालों में अस्पताल में उपचार के दौरान 13187 लोगों की मौत हो चुकी है. ये खुलासा आरटीआई से मांगी गई जानकारी के बाद हुआ. कुमाऊं क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल में अरबों रुपये खर्च होने के बाद भी ये अस्पताल आज भी बदहाली के आलम से गुजर रहा है.

इलाज के दौरान 9 सालों में 13187 लोगों ने गंवाई जान.

हल्द्वानी के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल सुशीला तिवारी अस्पताल से जानकारी मांगी. जानकारी में प्रदेश बनने से अभी तक कितने मरीजों की इलाज के दौरान मौत हुई. साथ ही अस्पताल की व्यवस्था में कितने रुपये खर्च किए गए. लेकिन, आरटीआई में बीते 9 सालों का ही आंकड़ा दिया गया.

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अस्पताल प्रशासन के अनुसार, 1 मई 2010 से अप्रैल 2019 तक अस्पताल में इलाज के दौरान 13187 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही व्यवस्था के नाम पर अरबों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. गौरतलब है कि सुशीला तिवारी अस्पताल में कुमाऊं क्षेत्र सहित नेपाल और उत्तर प्रदेश के भी मरीज इलाज के लिए आते हैं. वहीं, इस अस्पताल में अव्यवस्थाओं की बात करें तो यहां पर कई डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं. साथ ही कई मशीनें भी खराब पड़ी हुई हैं. यही कारण है कि राज्य बनने से अब तक 13187 मरीजों की मौत हो चुकी हैं.

हेमंत गोनिया ने बताया कि प्रतिदिन अस्पताल में उपचार के दौरान मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. जो कि एक चिंता का विषय बना हुआ है. अगर राज्य सरकार ने इस अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर जल्द ध्यान नहीं दिया तो लोग यहां उपचार कराना बंद कर देंगे.

Intro:sammry- सुशीला तिवारी अस्पताल बन रहा है मौत का अस्पताल 9 साल में 13147 लोगों को हुई मौत। एंकर -हल्द्वानी स्थित कुमाऊ का सबसे बड़ा सुशीला तिवारी अस्पताल मौत का अड्डा बनते जा रहा है। 9 सालों में अस्पताल में उपचार के दौरान 13147 लोगों की मौत हुई है। आरटीआई से मांगी गई जानकारी से यह भी खुलासा हुआ है कि सुशीला तिवारी अस्पताल की व्यवस्था मेंअरबों रुपए खर्च किए गए हैं। अब सुशीला तिवारी महज रेफर सेंटर हॉस्पिटल बनकर गया हैं।


Body:दरअसल हल्द्वानी के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कुमाऊ के सबसे बड़े अस्पताल सुशीला तिवारी अस्पताल से जानकारी मांगी कि उत्तराखंड बनने से अभी तक कितने मरीजों की इलाज के दौरान मौत हुई और अस्पताल की व्यवस्था में कितने रुपए खर्च किए गए। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए हैं।, अस्पताल प्रशासन ने बताया है कि सन 1 मई 2010 से अप्रैल 2019 तक अस्पताल में इलाज के दौरान 13187 लोगों की मौत हुई है। जबकि व्यवस्था के नाम पर अरबों रुपए खर्च किए गए हैं। गौरतलब है कि कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल में कुमाऊ सहित नेपाल और उत्तर प्रदेश के बरेली रामपुर के भी मरीज बेहतर इलाज के लिए यह पहुंचते हैं लेकिन अब मौत के नाम से जाने जाने वाला अस्पताल में धीरे-धीरे मरीज आने से कतरा रहा है। सुशीला तिवारी अस्पताल आज भी महज रेफर सेंटर बनकर रह गया है यहां कई डॉक्टर के पद खाली हैं तो कोई मशीनें खराब पड़ी हुई है। पहाड़ के दूरदराज के इलाकों में सुशीला तिवारी अस्पताल में उपचार कराने लोग आते तो है लेकिन उनके हाथ निराशा लगती। यही नहीं उपचार के दौरान सुविधाएं नहीं मिलने पर कई मरीज गंभीर तोड़ रहे हैं। यही वजह है कि राज्य बनने से अब तक 13147 मरीजों की मौत हो चुकी। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि सुशीला तिवारी अस्पताल में इलाज के नाम पर रोजाना 4 से अधिक मरीजों की मौत हो रही है जो अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।


Conclusion:राज्य सरकार अब तक सुशीला तिवारी अस्पताल में व्यवस्था के नाम पर और अरबों रुपए खर्च कर चुकी है और इसे राजकीय मेडिकल कॉलेज का हिस्सा भी बना चुकी है बावजूद इसके यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल भी नहीं सुधरी ।हेमंत गोनिया के अनुसार प्रतिदिन अस्पताल में उपचार के दौरान मौतों का आंकड़ा बढ़ते जा रहा है जो कि चिंता का विषय है अगर राज्य सरकार इन अस्पताल को जल्द ध्यान नहीं दिया तो यह लोग उपचार कराने आना बंद कर देंगे। अस्पताल अब मात्र रेफर सेंटर बनते जा रहा है और लोग इलाज के लिए निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं। बाइट -हेमंत गोनिया आरटीआई कार्यकर्ता
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