हल्द्वानी: जिले के कुमाऊं में स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल मौत का अड्डा बनता जा रहा है. बीते 9 सालों में अस्पताल में उपचार के दौरान 13187 लोगों की मौत हो चुकी है. ये खुलासा आरटीआई से मांगी गई जानकारी के बाद हुआ. कुमाऊं क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल में अरबों रुपये खर्च होने के बाद भी ये अस्पताल आज भी बदहाली के आलम से गुजर रहा है.
हल्द्वानी के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल सुशीला तिवारी अस्पताल से जानकारी मांगी. जानकारी में प्रदेश बनने से अभी तक कितने मरीजों की इलाज के दौरान मौत हुई. साथ ही अस्पताल की व्यवस्था में कितने रुपये खर्च किए गए. लेकिन, आरटीआई में बीते 9 सालों का ही आंकड़ा दिया गया.
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अस्पताल प्रशासन के अनुसार, 1 मई 2010 से अप्रैल 2019 तक अस्पताल में इलाज के दौरान 13187 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही व्यवस्था के नाम पर अरबों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. गौरतलब है कि सुशीला तिवारी अस्पताल में कुमाऊं क्षेत्र सहित नेपाल और उत्तर प्रदेश के भी मरीज इलाज के लिए आते हैं. वहीं, इस अस्पताल में अव्यवस्थाओं की बात करें तो यहां पर कई डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं. साथ ही कई मशीनें भी खराब पड़ी हुई हैं. यही कारण है कि राज्य बनने से अब तक 13187 मरीजों की मौत हो चुकी हैं.
हेमंत गोनिया ने बताया कि प्रतिदिन अस्पताल में उपचार के दौरान मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. जो कि एक चिंता का विषय बना हुआ है. अगर राज्य सरकार ने इस अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर जल्द ध्यान नहीं दिया तो लोग यहां उपचार कराना बंद कर देंगे.