हल्द्वानी: उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग (Uttarakhand Health Department) की ओर से परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत 28 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है. पखवाड़े का उद्देश्य परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी को बढ़ाना है. लेकिन सवाल खड़े हो रहे हैं कि पुरुष नसबंदी को लेकर सरकार हर साल जन जागरूकता अभियान के साथ-साथ योजना के नाम पर लाखों रुपये खर्च करती है. इसके बावजूद पुरुष नसबंदी के मामले में विभाग को केवल नाकामयाबी मिल रही है.
पुरुषों की तुलना में नसबंदी के मामले में महिलाएं सबसे आगे हैं. बात नैनीताल जनपद की करें तो इस वर्ष अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक परिवार नियोजन के नाम पर 305 महिलाओं और 5 पुरुषों की नसबंदी की गई है.
आंकड़ों की बात करें तो पिछले 5 सालों में नैनीताल जनपद में पुरुष नसबंदी के मामले में स्वास्थ्य और कल्याण विभाग पूरी तरह से फेल साबित हुआ है. नसबंदी की भागीदारी में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या नाममात्र है. विभाग द्वारा 5 सालों में 259 पुरुषों की ही नसबंदी की गयी है, जबकि 6,877 महिलाओं की नसबंदी की गयी है.
महिलाओं और पुरुष नसबंदी के आंकड़े-
वर्ष | महिला नसबंदी | पुरुष नसबंदी |
2016-17 | 1,981 | 110 |
2017-18 | 1,721 | 71 |
2018-19 | 1,349 | 29 |
2019-20 | 1,036 | 35 |
2020-2021 | 477 | 9 |
2021-22 | 305 | 5 |
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डिप्टी सीएमओ रश्मि पंत का कहना है कि पुरुष नसबंदी को लेकर जन जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं. इस समय पुरुष नसबंदी पखवाड़ा चल रहा है. जिसको लेकर जगह-जगह कार्यक्रम का आयोजन किये जा रहे हैं. जिससे कि नसबंदी में पुरुषों की ज्यादा भागीदारी हो सके. उन्होंने बताया कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों की नसबंदी बेहद आसान और सुरक्षित है. इसमें समय भी कम लगता है, जबकि महिलाओं को नसबंदी के दौरान प्रोत्साहन के तौर पर 14 हजार दिए जाते हैं. जबकि पुरुषों को 2 हजार दिए जाते हैं. ऐसे में पुरुषों को चाहिए कि वह नसबंदी के मामले में अपनी भागीदारी ज्यादा से ज्यादा निभाएं. जिससे कि परिवार नियोजन को आसान किया जा सके.