ETV Bharat / state

Makar Sankranti 2022: 14 जनवरी को है मकर संक्रांति, ऐसे करें पूजा और जानें शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पर्व आने वाला है. पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2022 को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा.

Makar Sankranti
Makar Sankranti
author img

By

Published : Jan 13, 2022, 11:49 AM IST

Updated : Jan 13, 2022, 1:24 PM IST

हल्द्वानी: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर आ जाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना के साथ-साथ गंगा स्नान, दान का विशेष महत्व है. शुक्रवार यानी (14 जनवरी) मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने से खरमास (काला माह) की समाप्ति भी होगी. जिसके बाद सभी तरह के शुभ कार्य के साथ-साथ मांगलिक कार्य की शुरुआत होगी.

मकर संक्रांति पर्व को लेकर इस बार लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. कुछ पंचांग के अनुसार 14 जनवरी तो कुछ के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति की तिथि मानी जा रही है. ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति का मुहूर्त 14 जनवरी को सुबह 7:15 बजे से शुरू होगा जो शाम 5:45 तक रहेगा.

ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के अनुसार सूर्य अस्त से पहले यदि मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे तो उसी दिन पूर्ण काल रहेगा. इसलिए मकर संक्रांति के लिए स्नान दान का विशेष महत्व 14 जनवरी को है. ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान दान कर भगवान सूर्य की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन हरि भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक से असुरों का संहार किया था. भगवान विष्णु की जीत मकर संक्रांति के रूप में मनाई जाती है.

14 जनवरी को है मकर संक्रांति.

मकर संक्रांति के दिन स्नान दान और ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और सूर्य दक्षिणायन में रहने के बाद उत्तरायण की ओर जाते हैं. इसलिए इस पर्व के बाद सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. मकर संक्रांति के दिन खासकर पवित्र नदियों में स्नान दान करने से सभी तरह की कष्टों से मुक्ति मिलती है. स्नान करने के बाद भगवान सूर्य के अर्घ्य देने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं. इस दौरान नदियों के किनारे भगवान सूर्य बीज मंत्र का जाप करने से सभी तरह के कष्टों का निवारण होता है.

पढ़ें: उत्तराखंड में अंदरूनी कलह से बचने के लिए कांग्रेस नए फॉर्मूले पर कर रही विचार

मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन का व्रत भगवान सूर्यनारायण को समर्पित है. इस दिन तांबे के पात्र में जल, गुड़, गुलाब के लाल फूल से भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से भगवान शिव प्रसन्न होंगे. गुड़, तिल, मूंग की खिचड़ी का सेवन करें और गरीबों को दान करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं. इस दिन गायत्री मंत्र जाप करने का भी विशेष महत्व है.

मकर राशि में बड़ी हलचल: मान्यता है कि वैसे तो हर महीने सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. लेकिन मकर राशि में आने से इसका महत्व बढ़ जाता है. मकर राशि में आकर सूर्य देव का मिलन अपने पुत्र शनि देव और बुध ग्रह से होता है. जहां वह एक महीने तक रहेंगे. क्योंकि शनिदेव भी इस वक्त मकर राशि में विराजमान हैं. इस कारण एक राशि में सूर्य शनि और बुध ग्रह की युति बन रही है. शनि जहां मेहनत और संघर्ष के प्रतीक हैं तो वहीं सूर्य देव अधिकार, शक्ति और यश के प्रतीक हैं. इस दौरान कई राशियों के जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनेगी.

हल्द्वानी: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर आ जाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना के साथ-साथ गंगा स्नान, दान का विशेष महत्व है. शुक्रवार यानी (14 जनवरी) मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने से खरमास (काला माह) की समाप्ति भी होगी. जिसके बाद सभी तरह के शुभ कार्य के साथ-साथ मांगलिक कार्य की शुरुआत होगी.

मकर संक्रांति पर्व को लेकर इस बार लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. कुछ पंचांग के अनुसार 14 जनवरी तो कुछ के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति की तिथि मानी जा रही है. ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति का मुहूर्त 14 जनवरी को सुबह 7:15 बजे से शुरू होगा जो शाम 5:45 तक रहेगा.

ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के अनुसार सूर्य अस्त से पहले यदि मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे तो उसी दिन पूर्ण काल रहेगा. इसलिए मकर संक्रांति के लिए स्नान दान का विशेष महत्व 14 जनवरी को है. ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान दान कर भगवान सूर्य की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन हरि भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक से असुरों का संहार किया था. भगवान विष्णु की जीत मकर संक्रांति के रूप में मनाई जाती है.

14 जनवरी को है मकर संक्रांति.

मकर संक्रांति के दिन स्नान दान और ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और सूर्य दक्षिणायन में रहने के बाद उत्तरायण की ओर जाते हैं. इसलिए इस पर्व के बाद सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. मकर संक्रांति के दिन खासकर पवित्र नदियों में स्नान दान करने से सभी तरह की कष्टों से मुक्ति मिलती है. स्नान करने के बाद भगवान सूर्य के अर्घ्य देने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं. इस दौरान नदियों के किनारे भगवान सूर्य बीज मंत्र का जाप करने से सभी तरह के कष्टों का निवारण होता है.

पढ़ें: उत्तराखंड में अंदरूनी कलह से बचने के लिए कांग्रेस नए फॉर्मूले पर कर रही विचार

मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन का व्रत भगवान सूर्यनारायण को समर्पित है. इस दिन तांबे के पात्र में जल, गुड़, गुलाब के लाल फूल से भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से भगवान शिव प्रसन्न होंगे. गुड़, तिल, मूंग की खिचड़ी का सेवन करें और गरीबों को दान करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं. इस दिन गायत्री मंत्र जाप करने का भी विशेष महत्व है.

मकर राशि में बड़ी हलचल: मान्यता है कि वैसे तो हर महीने सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. लेकिन मकर राशि में आने से इसका महत्व बढ़ जाता है. मकर राशि में आकर सूर्य देव का मिलन अपने पुत्र शनि देव और बुध ग्रह से होता है. जहां वह एक महीने तक रहेंगे. क्योंकि शनिदेव भी इस वक्त मकर राशि में विराजमान हैं. इस कारण एक राशि में सूर्य शनि और बुध ग्रह की युति बन रही है. शनि जहां मेहनत और संघर्ष के प्रतीक हैं तो वहीं सूर्य देव अधिकार, शक्ति और यश के प्रतीक हैं. इस दौरान कई राशियों के जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनेगी.

Last Updated : Jan 13, 2022, 1:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.