रामनगरः मैती आंदोलन के प्रणेता पर्यावरणविद् कल्याण सिंह रावत पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद पहली बार रामनगर पहुंचे. जहां पर प्रकृति प्रेमियों, समाज सेवियों और स्थानीय लोगों ने जोरदार स्वागत किया गया. इस दौरान कल्याण सिंह रावत ने कहा कि पद्मश्री मिलने के बाद उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है.
बता दें कि कि 'मैती' एक भावनात्मक पर्यावरण आंदोलन है. उत्तराखंड में जीव विज्ञान के प्रवक्ता रहे कल्याण सिंह रावत की सोच से इस मुहिम की शुरुआत हुई. आज यह आंदोलन चमोली जिले में एक अभियान का रूप ले चुकी है. मैती के तहत जब किसी बेटी की शादी होती है, तो वह विदाई से पहले एक पौधा रोपती है. इसके जरिए वह पर्यावरण संरक्षण के साथ ही अपने मायके में गुजारी यादों के साथ-साथ विदाई लेती है.
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इसी आंदोलन की वजह से कल्याण सिंह रावत 'मैंती' को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. रामनगर पहुंचे कल्याण सिंह रावत ने कहा कि पद्मश्री मिलने के बाद और भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. यह भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. इसे पाना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. हम मैती आंदोलन और पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहे हैं. ऐसे में अब हमारी एक और चुनौती बढ़ जाती है.