हल्द्वानी: कुमाऊं की लाइफ लाइन (Lifeline of Kumaon) कही जाने वाली गौला नदी से खनन (Haldwani Gaula River) कार्य नहीं होने से अभी भी सन्नाटा पसरा हुआ है. नदियों से उप खनिज निकासी नहीं होने से सरकार को रोजाना करोड़ों रुपए का राजस्व का नुकसान हो रहा है. उप खनिज निकासी की कार्यदायी संस्था वन विकास निगम ने गौला नदी के 11 खनन निकासी गेटों में 8 गेटों को खनिज निकासी के लिए खोल दिया है. लेकिन गेट खुलने के 10 दिन बाद भी उप खनिज खरीदने के लिए एक भी वाहन नदी में पहुंच रहा है. इसके चलते सरकार को भी रोजाना करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
खनन निकासी गेटों पर वन विकास निगम अपने कर्मचारियों के अलावा वहां पर सीसीटीवी कैमरा, कंप्यूटर नेटवर्किंग सिस्टम सहित अन्य व्यवस्थाओं को ठीक कर उप खनिज खरीदने वाले वाहनों का इंतजार कर रहा है. लेकिन खनन कारोबारी खनन निकासी (Haldwani Gaula River Mining) नहीं होने की वजह से हड़ताल पर चले गए हैं. खनन निकासी नहीं होने से सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. 10 दिन से अधिक समय गेटों को खुले हुए हो गए, लेकिन वाहनों के नहीं आने से रोजाना लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि वन विकास निगम ने मुख्य नदी गौला नदी के 11 खनन निकासी गेटों में आंवला चौकी, शीशमहल, बेरीपड़ाव, गोरापड़ाव, देवरामपुर, लालकुआं, हल्दूचौड़, शांतिपुरी गेट को उप खनिज खरीद निकासी के लिए खोल दिया गया है. लेकिन खनन कारोबारियों की हड़ताल के चलते नदी से खनन निकासी नहीं हो रही है. हड़ताली खनन कारोबारियों के साथ कई दौर की बैठक भी हो चुकी है. लेकिन हड़ताली कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि नदी से खनन निकासी नहीं होने से जहां सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है तो खनन कारोबार से जुड़े प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को नुकसान हो रहा है.
गौला नदी के खनन कार्य में करीब आठ हजार से अधिक वाहन कार्य करते हैं. इसके अलावा भारी संख्या में यूपी बिहार सहित कई राज्यों के मजदूर यहां पर आकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं. लेकिन हड़ताल के चलते गौला नदी और नंधौर नदी बंद पड़ी हैं. जिसके चलते लोगों के सामने रोजी-रोटी का भी संकट पैदा हो गया है. गौरतलब है कि खनन कारोबारी एक प्रदेश एक रॉयल्टी, वाहनों से ग्रीन टैक्स हटाने सहित सात सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. हर साल गौला नदी से 1 अक्टूबर से खनन निकासी का कार्य शुरू हो जाता है.