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Gaula River mining approval: गौला नदी में खनन की अनुमति का आज आखिरी दिन, 31 मई तक बढ़ाने की मांग - गौला नदी खनन

कुमाऊं की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिली खनन की अनुमति आज शाम 5 बजे खत्म हो रही है. फिलहाल, सरकार ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से 31 मई तक स्वीकृति बढ़ाने की मांग की है.

mining in Gaula river
गौला नदी
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Published : Jan 22, 2023, 1:41 PM IST

Updated : Jan 22, 2023, 1:50 PM IST

गौला नदी सरकार को देती है मोटा राजस्व

हल्द्वानी: प्रदेश सरकार को खनन से सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी की खनन के लिए मिली केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्वीकृति आज शाम 5 बजे खत्म हो रही है. ऐसे में गौला नदी से भविष्य में खनन निकासी पर संकट खड़ा हो सकता है. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से गौला नदी से 10 सालों के लिए खनन निकासी की स्वीकृति प्राप्त हुई थी, जो आज खत्म हो रही है.

फिलहाल, खनन कारोबारियों के हड़ताल के चलते गौला नदी से खनन कारोबार प्रभावित है, लेकिन सरकार और खनन कारोबारियों के बीच अब खनन कार्य शुरू करने के लिए सहमति भी बन चुकी है. लेकिन अब केंद्र से मिली स्वीकृति खत्म होने के बाद अब खनन कारोबार पर भविष्य में संकट खड़ा होने जा रहा है. फिलहाल, सरकार शासन और वन विभाग केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति अस्थाई रूप से जल्द लाने की बात कह रहा है.

क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि फिर से स्वीकृति प्राप्त करने के लिए सरकार,शासन और विभागीय स्तर पर केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से कार्रवाई की गई है. इसके अलावा देहरादून और दिल्ली में कई दौर की बैठक भी हो चुकी है. उन्होंने बताया कि खनन कार्य को सुचारू करने के लिए शासन स्तर पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इस साल 31 मई तक के लिए अस्थाई स्वीकृति बढ़ाने की मांग की गई है, जिससे कि इस खनन सत्र में खनन कार्य प्रभावित ना हो.
ये भी पढ़ें- bad quality of dates: हल्द्वानी में मॉल में बिक रहे खजूर में निकले कीड़े, खाद्य विभाग ने लिए नमूने

गौरतलब है कुमाऊं की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी से हर साल सरकार को खनन से 200 करोड़ से अधिक की राजस्व की प्राप्ति होती है. इसके अलावा करीब 8 हजार खनन वाहन खनन कार्य से जुड़े हुए हैं, जहां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार भी मिलता है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण से गौला नदी से फिर से खनन की स्वीकृति प्रदान नहीं हुई तो लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा.

गौला नदी सरकार को देती है मोटा राजस्व

हल्द्वानी: प्रदेश सरकार को खनन से सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी की खनन के लिए मिली केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्वीकृति आज शाम 5 बजे खत्म हो रही है. ऐसे में गौला नदी से भविष्य में खनन निकासी पर संकट खड़ा हो सकता है. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से गौला नदी से 10 सालों के लिए खनन निकासी की स्वीकृति प्राप्त हुई थी, जो आज खत्म हो रही है.

फिलहाल, खनन कारोबारियों के हड़ताल के चलते गौला नदी से खनन कारोबार प्रभावित है, लेकिन सरकार और खनन कारोबारियों के बीच अब खनन कार्य शुरू करने के लिए सहमति भी बन चुकी है. लेकिन अब केंद्र से मिली स्वीकृति खत्म होने के बाद अब खनन कारोबार पर भविष्य में संकट खड़ा होने जा रहा है. फिलहाल, सरकार शासन और वन विभाग केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति अस्थाई रूप से जल्द लाने की बात कह रहा है.

क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद्र आर्य ने बताया कि फिर से स्वीकृति प्राप्त करने के लिए सरकार,शासन और विभागीय स्तर पर केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से कार्रवाई की गई है. इसके अलावा देहरादून और दिल्ली में कई दौर की बैठक भी हो चुकी है. उन्होंने बताया कि खनन कार्य को सुचारू करने के लिए शासन स्तर पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इस साल 31 मई तक के लिए अस्थाई स्वीकृति बढ़ाने की मांग की गई है, जिससे कि इस खनन सत्र में खनन कार्य प्रभावित ना हो.
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गौरतलब है कुमाऊं की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी से हर साल सरकार को खनन से 200 करोड़ से अधिक की राजस्व की प्राप्ति होती है. इसके अलावा करीब 8 हजार खनन वाहन खनन कार्य से जुड़े हुए हैं, जहां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार भी मिलता है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण से गौला नदी से फिर से खनन की स्वीकृति प्रदान नहीं हुई तो लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा.

Last Updated : Jan 22, 2023, 1:50 PM IST
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