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वन विभाग में कर्मचारियों का टोटा, राम भरोसे वनों की सुरक्षा

वन्यजीवों की पनाहगाह के तौर पर उत्तराखंड की विशेष पहचान है. ऐसे में वनों का दोहन और वन्यजीवों के शिकार के लिए तस्कर उत्तराखंड का रुख करते हैं. वहीं, इन्हें रोकना वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.वन महकमा के पास मानव-संसाधनों का भारी अभाव है.

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Published : Sep 4, 2019, 2:45 PM IST

Updated : Sep 4, 2019, 2:52 PM IST

वनों की सुरक्षा राम भरोसे ही है

हल्द्वानी: सूबे की पहचान देशभर में पहाड़ों के साथ-साथ खूबसूरत वन क्षेत्र से होती है. ऐसे में वन संम्पदा के साथ वन्यजीवों की सुरक्षा करना वन विभाग के लिए चुनौती बना रहता है. महकमे के पास वनों की सुरक्षा के लिए न तो पर्याप्त कर्मचारी हैं और न ही आधुनिक हथियार. ऐसे में वनों की सुरक्षा राम भरोसे ही है.

वनों की सुरक्षा राम भरोसे.

बता दें कि उत्तराखंड का 71 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है. जहां एक ओर दुर्लभ वन संपदा और वन्यजीवों की पनाहगाह के तौर पर उत्तराखंड की विशेष पहचान है. ऐसे में वनों का दोहन और वन्यजीवों के शिकार के लिए तस्कर उत्तराखंड का रुख करते हैं. वहीं, इन्हें रोकना वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.वन महकमा के पास मानव-संसाधनों का भारी अभाव है.

वन विभाग में अलग-अलग पदों पर करीब 40% वन कर्मियों की कमी है. ऐसे में वनों की सुरक्षा भी पुराने ढर्रे के हथियारों और डंडे के सहारे ही चल रही है. कर्मचारियों के कमी के चलते एक फॉरेस्ट गार्ड को तीन-तीन बीट की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है. यही हाल वन दरोगा का भी है जो अपने क्षेत्र के साथ-साथ दूसरे क्षेत्र की भी जिम्मेदारी उठा रहे है.

वहीं, इस मामले में वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त पराग मधुकर धकाते का कहना है कि कुमाऊं मंडल के पश्चिमी क्षेत्र में वन आरक्षी के पद के 778 पद स्वीकृत है. जिसने 314 पद खाली हैं. जबकि, वन दरोगा के 336 पद में से 124 पद अभी भी रिक्त पड़े हैं. साथ ही वन एसडीओ के 22 पद भरे जाने हैं, जबकि सहायक वन संरक्षक के 7 पद खाली हैं.

साथ ही तीन वन क्षेत्राधिकारी के पद भी खाली हैं. यही हालात तमाम पदों के लिए हैं .जिसके कारण विभाग को भारी दिक्कतों का समना करना पड़ रहा है.

हल्द्वानी: सूबे की पहचान देशभर में पहाड़ों के साथ-साथ खूबसूरत वन क्षेत्र से होती है. ऐसे में वन संम्पदा के साथ वन्यजीवों की सुरक्षा करना वन विभाग के लिए चुनौती बना रहता है. महकमे के पास वनों की सुरक्षा के लिए न तो पर्याप्त कर्मचारी हैं और न ही आधुनिक हथियार. ऐसे में वनों की सुरक्षा राम भरोसे ही है.

वनों की सुरक्षा राम भरोसे.

बता दें कि उत्तराखंड का 71 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है. जहां एक ओर दुर्लभ वन संपदा और वन्यजीवों की पनाहगाह के तौर पर उत्तराखंड की विशेष पहचान है. ऐसे में वनों का दोहन और वन्यजीवों के शिकार के लिए तस्कर उत्तराखंड का रुख करते हैं. वहीं, इन्हें रोकना वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.वन महकमा के पास मानव-संसाधनों का भारी अभाव है.

वन विभाग में अलग-अलग पदों पर करीब 40% वन कर्मियों की कमी है. ऐसे में वनों की सुरक्षा भी पुराने ढर्रे के हथियारों और डंडे के सहारे ही चल रही है. कर्मचारियों के कमी के चलते एक फॉरेस्ट गार्ड को तीन-तीन बीट की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है. यही हाल वन दरोगा का भी है जो अपने क्षेत्र के साथ-साथ दूसरे क्षेत्र की भी जिम्मेदारी उठा रहे है.

वहीं, इस मामले में वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त पराग मधुकर धकाते का कहना है कि कुमाऊं मंडल के पश्चिमी क्षेत्र में वन आरक्षी के पद के 778 पद स्वीकृत है. जिसने 314 पद खाली हैं. जबकि, वन दरोगा के 336 पद में से 124 पद अभी भी रिक्त पड़े हैं. साथ ही वन एसडीओ के 22 पद भरे जाने हैं, जबकि सहायक वन संरक्षक के 7 पद खाली हैं.

साथ ही तीन वन क्षेत्राधिकारी के पद भी खाली हैं. यही हालात तमाम पदों के लिए हैं .जिसके कारण विभाग को भारी दिक्कतों का समना करना पड़ रहा है.

Intro:sammry- उत्तराखंड में वन और वन जीव की सुरक्षा राम भरोसे वन कर्मियों की भारी कमी नहीं है सुरक्षा के लिए हथियार।( इस खबर में विजुअल मेल से उठाएं) एंकर- प्रदेश में 71 फ़ीसदी वन क्षेत्र होने के साथ-साथ वन्य जीवो की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। बेशकीमती वन संपदा के साथ प्रदेश में बाघों की संख्या 442 पहुंच चुका है। वन महकमे के पास वनों की सुरक्षा के लिए नहीं आधुनिक हथियार नहीं साजो समान है नहीं पर्याप्त कर्मचारी और अधिकारी ऐसे में वनों की सुरक्षा राम भरोसे है।


Body:वनों के लगातार हो रहे दोहन और वन्यजीवों के शिकार वन विभाग के लिए चुनौती साबित हो रहा है। बेशकीमती और दुर्लभ वन संपदा और वन्यजीवों की सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर उत्तराखंड की अलग पहचान है। लेकिन इनकी सुरक्षा वन विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है। वन महकमा के पास संसाधनों का भारी अभाव है। बात वन कर्मचारियों की करें तो विभाग ने अलग-अलग पदों पर करीब 40% वन कर्मियों की कमी देखी जा रही है। यही नहीं वनों की सुरक्षा भी पुराने ढर्रे के हथियारों और डंडे के सहारे चल रहा है। यही नहीं एक फॉरेस्ट गार्ड को तीन-तीन वन बीट की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है। यही हाल वन दरोगा का भी है जो अपने क्षेत्र के साथ-साथ दूसरे क्षेत्र की भी जिम्मेदारी उठा रहे है। बात कुमाऊं मंडल के पश्चिमी वृत की करें तो वन आरक्षी के पद के 778 पद स्वीकृत है जिसने 464 तैनात हैं जबकि 314 पद अभी भी खाली हैं। वन दरोगा के 336 पद स्वीकृत है जिसमें 212 वन दरोगा तैनात हैं जबकि 124 पद अभी भी खाली हैं। वन एसडीओ के 22 पद भरे जाने हैं, जबकि सहायक वन संरक्षक के 7 पद खाली हैं। जबकि तीन वन क्षेत्राधिकारी के पद भी खाली हैं। यही हालात सभी पदों के लिए हैं जबकि वन विभाग के कार्यालय भी कर्मचारियों को टोटा से अछूता नहीं है। प्रदेश में बाघों की संख्या 340 से बढ़कर 442 हो गया है इसके अलावा वन क्षेत्र में लगातार वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन इसके सुरक्षा के लिए वन कर्मियों के पास कोई आधुनिक हथियार तक नहीं है जिससे कि वन तस्करों से मुकाबला किया जा सके विभाग के पास इक्का-दुक्का सिंगल बैरक के राइफल देखने को मिलता है जिसके सहारे वनों की सुरक्षा की जाती है। यही नहीं कई वन कर्मी वनों के साथ अपनी सुरक्षा के लिए अपने निजी हथियार भी लेकर चलते हैं जिससे कि वन तस्करों से मुकाबला किया जा सके।


Conclusion:वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त पराग मधुकर घकाते ने बताया कि वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा बड़ी चुनौती बन चुकी है। वर्तमान में 30 से 40% की वन कर्मियों की कमी पाई गई है जिसके लिए भर्ती प्रक्रिया शासन स्तर पर चल रहा है। लेकिन वनों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग पूरी तरह से जिम्मेदारी निभा रहा है। बाइक पराग मधुकर घकाते वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त
Last Updated : Sep 4, 2019, 2:52 PM IST
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