हल्द्वानी: सूबे की पहचान देशभर में पहाड़ों के साथ-साथ खूबसूरत वन क्षेत्र से होती है. ऐसे में वन संम्पदा के साथ वन्यजीवों की सुरक्षा करना वन विभाग के लिए चुनौती बना रहता है. महकमे के पास वनों की सुरक्षा के लिए न तो पर्याप्त कर्मचारी हैं और न ही आधुनिक हथियार. ऐसे में वनों की सुरक्षा राम भरोसे ही है.
बता दें कि उत्तराखंड का 71 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है. जहां एक ओर दुर्लभ वन संपदा और वन्यजीवों की पनाहगाह के तौर पर उत्तराखंड की विशेष पहचान है. ऐसे में वनों का दोहन और वन्यजीवों के शिकार के लिए तस्कर उत्तराखंड का रुख करते हैं. वहीं, इन्हें रोकना वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.वन महकमा के पास मानव-संसाधनों का भारी अभाव है.
वन विभाग में अलग-अलग पदों पर करीब 40% वन कर्मियों की कमी है. ऐसे में वनों की सुरक्षा भी पुराने ढर्रे के हथियारों और डंडे के सहारे ही चल रही है. कर्मचारियों के कमी के चलते एक फॉरेस्ट गार्ड को तीन-तीन बीट की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है. यही हाल वन दरोगा का भी है जो अपने क्षेत्र के साथ-साथ दूसरे क्षेत्र की भी जिम्मेदारी उठा रहे है.
वहीं, इस मामले में वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त पराग मधुकर धकाते का कहना है कि कुमाऊं मंडल के पश्चिमी क्षेत्र में वन आरक्षी के पद के 778 पद स्वीकृत है. जिसने 314 पद खाली हैं. जबकि, वन दरोगा के 336 पद में से 124 पद अभी भी रिक्त पड़े हैं. साथ ही वन एसडीओ के 22 पद भरे जाने हैं, जबकि सहायक वन संरक्षक के 7 पद खाली हैं.
साथ ही तीन वन क्षेत्राधिकारी के पद भी खाली हैं. यही हालात तमाम पदों के लिए हैं .जिसके कारण विभाग को भारी दिक्कतों का समना करना पड़ रहा है.