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Ashadha Amavasya 2022: आषाढ़ अमावस्या आज, इन उपायों से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति - ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी

हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है. प्रत्येक हिंदू मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है. ये दिन विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले तर्पण और स्नान-दान के लिए उत्तम माना जाता है. आइए जानते हैं आषाढ़ की अमावस्या की तिथि, मुहूर्त और व्रत के विधान के बारे में...

Ashadha Amavasya 2022
आषाढ़ अमावस्या 2022
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Published : Jun 27, 2022, 2:19 PM IST

Updated : Jun 28, 2022, 6:17 AM IST

हल्द्वानी: आज आषाढ़ की अमावस्या है. अमावस्या 28 जून यानी मंगलवार सुबह 5:52 से शुरू हो गई है. जो 29 जून सुबह 8:21 पर समाप्त होगी. ऐसे में इस बार अमावस्या की तिथि 28 जून को मनाई जा रही है. इस दिन स्नान दान करने का विशेष महत्व है. इस अवसर पर पवित्र नदियों और सरोवर में स्नान करने और दान करने की परंपरा है. मान्यता है कि है इस दिन स्नान, दान और धर्म-कर्म करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पितृदोष व कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है. इस दिन पितृ तर्पण करने से जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है.

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी (Astrologer Navin Chandra Joshi) के मुताबिक, अमावस्या से ही चातुमार्स प्रारंभ हो जाता है. इसलिए मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करने या श्रद्धा कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ज्योतिष के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन सबसे पहले सुबह उठकर पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान करने के बाद पितरों को तर्पण करें. साथ ही इस दिन ब्राह्मणों को भोज, दान दक्षिणा के अलावा गौ ग्रास और कौओं को भी भोजन दें. जिससे पितृ प्रसन्न होकर परिवार के ऊपर अपनी कृपा बनाए रखें.

इन उपायों से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति.

ये भी पढ़ेंः 26 जून से 2 जुलाई का राशिफल: जानिए कैसे रहेंगे आपके सितारे, किसकी चमकेगी किस्मत

इस दिन को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन कृषि उपकरणों की पूजा के साथ-साथ अच्छी फसल की कामना की जाती है. जिससे घर में धन धान्य की वृद्धि हो सके. मान्यता है कि अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष या फिर कालसर्प दोष है तो आषाढ़ की अमावस्या इसके लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. क्योंकि, आषाढ़ मास की अमावस्या को पित्र तर्पण करने और श्रद्धा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और आपकी कुंडली में पीड़ित दोष दूर होते हैं.

पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितृ दोष से होंगे मुक्तः ज्योतिषियों की मानें तो अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करें और वृक्ष के चारों ओर कलावा लपेटकर विधि विधान से उसकी पूजा करें. इससे सभी तरह के पितृ दोष से मुक्त होंगे. क्योंकि, पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है और भगवान विष्णु सभी संकटों को दूर करते हैं.

हल्द्वानी: आज आषाढ़ की अमावस्या है. अमावस्या 28 जून यानी मंगलवार सुबह 5:52 से शुरू हो गई है. जो 29 जून सुबह 8:21 पर समाप्त होगी. ऐसे में इस बार अमावस्या की तिथि 28 जून को मनाई जा रही है. इस दिन स्नान दान करने का विशेष महत्व है. इस अवसर पर पवित्र नदियों और सरोवर में स्नान करने और दान करने की परंपरा है. मान्यता है कि है इस दिन स्नान, दान और धर्म-कर्म करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पितृदोष व कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है. इस दिन पितृ तर्पण करने से जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है.

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी (Astrologer Navin Chandra Joshi) के मुताबिक, अमावस्या से ही चातुमार्स प्रारंभ हो जाता है. इसलिए मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करने या श्रद्धा कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ज्योतिष के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन सबसे पहले सुबह उठकर पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान करने के बाद पितरों को तर्पण करें. साथ ही इस दिन ब्राह्मणों को भोज, दान दक्षिणा के अलावा गौ ग्रास और कौओं को भी भोजन दें. जिससे पितृ प्रसन्न होकर परिवार के ऊपर अपनी कृपा बनाए रखें.

इन उपायों से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति.

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इस दिन को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन कृषि उपकरणों की पूजा के साथ-साथ अच्छी फसल की कामना की जाती है. जिससे घर में धन धान्य की वृद्धि हो सके. मान्यता है कि अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष या फिर कालसर्प दोष है तो आषाढ़ की अमावस्या इसके लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. क्योंकि, आषाढ़ मास की अमावस्या को पित्र तर्पण करने और श्रद्धा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और आपकी कुंडली में पीड़ित दोष दूर होते हैं.

पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितृ दोष से होंगे मुक्तः ज्योतिषियों की मानें तो अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करें और वृक्ष के चारों ओर कलावा लपेटकर विधि विधान से उसकी पूजा करें. इससे सभी तरह के पितृ दोष से मुक्त होंगे. क्योंकि, पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है और भगवान विष्णु सभी संकटों को दूर करते हैं.

Last Updated : Jun 28, 2022, 6:17 AM IST
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