हल्द्वानी: बुधवार से ही पूरा देश चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग का जश्न मना रहा है. इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र) की इस सफलता के दुनियां भर में चर्चे हो रहे हैं. भारत वो चौथा देश बन गया है, जो चांद पहुंचा है. इस उपलब्धि का श्रेय इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र) के उन वैज्ञानिकों को जाता है, जिन्होंने मिशन मून के लिए दिन रात मेहनत की है. इसरो के चंद्रयान-3 की टीम में उत्तराखंड का लाल भी शामिल है.
इसरो की इस महत्वाकांक्षी योजना में उत्तराखंड के जितेश धारियाल भी शामिल रहे. जितेश धारियाल नैनीताल जिले के लालकुआं के रहने वाले हैं. जितेश धारियाल का साल 2022 में ही इसरो चयन हुआ था. जितेश धारियाल इसरो में मैकेनिकल वैज्ञानिक के पद पर हैं.
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जितेश का परिवार नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ के दुर्गापालपुर मोतीराम में रहता है. उनके पिता सेंचुरी पेपर मिल से सेवानिवृत्ति हैं, जबकि माता गृहणी हैं. जितेश के पिता कैलाश धारियाल ने बताया कि चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के दिन उनका बेटा मिशन के प्रमुख हिस्से में शामिल था. चंद्रयान की सफल लैंडिंग पर परिवार के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है. आसपास के लोग घर पहुंचकर उन्हें बधाई दे रहे हैं.
उन्होंने बताया कि बेटा पहले से ही होनहार है. जितेश ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई आर्यमन विक्रम बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ लर्निंग हल्द्वानी से की, जहां से वो 93.8 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण हुए थे. इसके बाद एनआईसी कुरुक्षेत्र से बीटेक किया. इसके बाद जितेश इंद्रप्रस्थ गैस कंपनी में डिप्टी मैनेजर के पद पर तैनात थे. इसके बाद उनका चयन 9 जून 2022 को इसरो में हो गया था. आज वो इसरो में मैकेनिकल वैज्ञानिक पद पर तैनात हैं.
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