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पर्यटकों से गुलजार हुई जिम कॉर्बेट की छोटी हल्द्वानी, एक होमस्टे से हुई थी शुरुआत - Chhoti Haldwani buzzing with tourists

नैनीताल के कालाढूंगी में स्थित जिम कॉर्बेट का गांव छोटी हल्द्वानी इन दिनों पर्यटकों से गुलजार है. 2003 में छोटी हल्द्वानी को पर्यटक स्थल बनाने की मुहिम कई साल और बेहताशा मेहनत के बाद रंग लाने लगी है. यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को कुमाऊंनी व्यंजन के साथ-साथ पौराणिक धरोहर से भी रूबरू कराया जा रहा है.

choti haldwani
छोटी हल्द्वानी
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Published : May 17, 2022, 2:20 PM IST

Updated : May 17, 2022, 2:36 PM IST

रामनगर/कालाढूंगीः नैनीताल जिले के कालाढूंगी के रहने वाले विश्व विख्यात जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट (James Edward Corbett) जिन्हें जिम कॉर्बेट (Jim Corbett) के नाम से भी जाना जाता है, उनके गांव छोटी हल्द्वानी (choti haldwani ) में पर्यटन बढ़ाने की ग्रामीणों की कोशिशें आखिरकार रंग लाने लगी हैं. गर्मियों में पर्यटक अब जिम कॉर्बेट के गांव छोटी हल्द्वानी का रुख कर रहे हैं. इससे ग्रामीणों के चेहरे भी खिले हुए हैं. वहीं, छोटी हल्द्वानी में पर्यटकों के ठहरने के लिए होम स्टे बनाए गए हैं, जिसमें कई तरह की एक्टिविटी पर्यटकों से करवाई जा रही है, साथ ही पुरानी धरोहर से भी पर्यटकों को रूबरू कराया जा रहा है.

विश्व विख्यात जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट के गांव छोटी हल्द्वानी में सालों से पर्यटन को बढ़ाने की ग्रामीणों की कोशिश अब रंग लाने लगी है. साथ ही ग्रामीणों द्वारा बनाए गए होमस्टे में पर्यटक रुख कर रहे हैं. इससे ग्रामीणों को रोजगार के साथ ही पर्यटक कुमाऊंनी व्यंजनों व पुरानी धरोहर से रूबरू हो रहे हैं. यहां पर्यटकों को हाथ चक्की से दाल पीसना, ओखली में धान कूट कर चावल निकालने जैसी एक्टिविटी भी कराई जा रही हैं. इसके अलावा खेतों से जंगली जानवरों को भगाने के उपकरण भी दिखाए जा रहे हैं. साथ ही पर्यटक बर्ड वाचिंग का लुत्फ भी उठा रहे हैं.

पर्यटकों से गुलजार हुई जिम कॉर्बेट की छोटी हल्द्वानी
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2003 में हुई शुरुआतः छोटी हल्द्वानी में 2003 में ग्रामीणों ने एक होमस्टे से शुरुआत की. जिनकी संख्या आज 40 के करीब है. यहां आने वाले पर्यटकों को यहां के अनुभवी नेचर गाइड जिम कॉर्बेट के साथ ही यहां के ऐतिहासिक और प्राकृतिक जगह को दिखाने और उनके बारे में बताना नहीं भूलते. यहां आने वाले पर्यटक जिम कॉर्बेट के साथ ही कुमाऊं की संस्कृति की यादें अपने साथ सहेजकर ले जाते हैं.

choti haldwani
2003 में हुई शुरुआत

कौन थे जिम कॉर्बेटः जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट विश्व प्रसिद्ध शिकारी थे. जिम कॉर्बेट के नाम को रामनगर के लोगों ने भी खूब जिंदा रखा हुआ है. आज भी उनके नाम पर कई व्यवसाई अपने प्रतिष्ठानों के नाम रखे हुए हैं. ढेरों रिजॉर्ट भी कॉर्बेट के नाम पर चल रहे हैं. रामनगर व आसपास के क्षेत्रों में कई प्रतिष्ठान, रिजॉर्ट और यहां तक की सैलून की दुकानें भी चल रही हैं.

आदमखोर बाघों का किया था शिकार: कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम देश-विदेश में प्रसिद्ध है. इसके पीछे एक सबसे बड़ा नाम जुड़ा है, वह है जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट का. जिम कॉर्बेट जिन्होंने कई आदमखोर बाघ और तेंदुओं का शिकार कर लोगों को भय से मुक्त कराया था. उन्होंने 1907 से 1938 के बीच कुमाऊं और गढ़वाल दोनों जगह नरभक्षी बाघ और तेंदुए के आतंक से छुटकारा दिलाया था. जिम ने 31 साल में 19 आदमखोर बाघ और 14 तेंदुओं को ढेर किया था.

नैनीताल में जन्मे थे जिम कॉर्बेट: जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था. नैनीताल में जन्म होने के कारण कॉर्बेट को नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों से बेहद लगाव था. जिम कॉर्बेट ने अपने प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में पूरी की. अपनी युवावस्था में पश्चिम बंगाल में रेलवे में नौकरी कर ली. लेकिन नैनीताल का प्रेम उन्हें नैनीताल की हसीन वादियों की ओर खींचता रहा.

कालाढूंगी में बनाया था घर: जिम कॉर्बेट ने साल 1915 में स्थानीय व्यक्ति से कालाढूंगी क्षेत्र के छोटी हल्द्वानी में जमीन खरीदी. वे यहां रहने लगे. उन्होंने यहां घर भी बना लिया था. नैनीताल के समय में यहां रहने आया करते थे. उन्होंने अपने सहयोगियों के लिए अपनी 221 एकड़ जमीन को खेती और रहने के लिए दे दी. जिसे आज कॉर्बेट का गांव छोटी हल्द्वानी के नाम से जाना जाता है.

रामनगर/कालाढूंगीः नैनीताल जिले के कालाढूंगी के रहने वाले विश्व विख्यात जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट (James Edward Corbett) जिन्हें जिम कॉर्बेट (Jim Corbett) के नाम से भी जाना जाता है, उनके गांव छोटी हल्द्वानी (choti haldwani ) में पर्यटन बढ़ाने की ग्रामीणों की कोशिशें आखिरकार रंग लाने लगी हैं. गर्मियों में पर्यटक अब जिम कॉर्बेट के गांव छोटी हल्द्वानी का रुख कर रहे हैं. इससे ग्रामीणों के चेहरे भी खिले हुए हैं. वहीं, छोटी हल्द्वानी में पर्यटकों के ठहरने के लिए होम स्टे बनाए गए हैं, जिसमें कई तरह की एक्टिविटी पर्यटकों से करवाई जा रही है, साथ ही पुरानी धरोहर से भी पर्यटकों को रूबरू कराया जा रहा है.

विश्व विख्यात जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट के गांव छोटी हल्द्वानी में सालों से पर्यटन को बढ़ाने की ग्रामीणों की कोशिश अब रंग लाने लगी है. साथ ही ग्रामीणों द्वारा बनाए गए होमस्टे में पर्यटक रुख कर रहे हैं. इससे ग्रामीणों को रोजगार के साथ ही पर्यटक कुमाऊंनी व्यंजनों व पुरानी धरोहर से रूबरू हो रहे हैं. यहां पर्यटकों को हाथ चक्की से दाल पीसना, ओखली में धान कूट कर चावल निकालने जैसी एक्टिविटी भी कराई जा रही हैं. इसके अलावा खेतों से जंगली जानवरों को भगाने के उपकरण भी दिखाए जा रहे हैं. साथ ही पर्यटक बर्ड वाचिंग का लुत्फ भी उठा रहे हैं.

पर्यटकों से गुलजार हुई जिम कॉर्बेट की छोटी हल्द्वानी
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2003 में हुई शुरुआतः छोटी हल्द्वानी में 2003 में ग्रामीणों ने एक होमस्टे से शुरुआत की. जिनकी संख्या आज 40 के करीब है. यहां आने वाले पर्यटकों को यहां के अनुभवी नेचर गाइड जिम कॉर्बेट के साथ ही यहां के ऐतिहासिक और प्राकृतिक जगह को दिखाने और उनके बारे में बताना नहीं भूलते. यहां आने वाले पर्यटक जिम कॉर्बेट के साथ ही कुमाऊं की संस्कृति की यादें अपने साथ सहेजकर ले जाते हैं.

choti haldwani
2003 में हुई शुरुआत

कौन थे जिम कॉर्बेटः जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट विश्व प्रसिद्ध शिकारी थे. जिम कॉर्बेट के नाम को रामनगर के लोगों ने भी खूब जिंदा रखा हुआ है. आज भी उनके नाम पर कई व्यवसाई अपने प्रतिष्ठानों के नाम रखे हुए हैं. ढेरों रिजॉर्ट भी कॉर्बेट के नाम पर चल रहे हैं. रामनगर व आसपास के क्षेत्रों में कई प्रतिष्ठान, रिजॉर्ट और यहां तक की सैलून की दुकानें भी चल रही हैं.

आदमखोर बाघों का किया था शिकार: कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम देश-विदेश में प्रसिद्ध है. इसके पीछे एक सबसे बड़ा नाम जुड़ा है, वह है जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट का. जिम कॉर्बेट जिन्होंने कई आदमखोर बाघ और तेंदुओं का शिकार कर लोगों को भय से मुक्त कराया था. उन्होंने 1907 से 1938 के बीच कुमाऊं और गढ़वाल दोनों जगह नरभक्षी बाघ और तेंदुए के आतंक से छुटकारा दिलाया था. जिम ने 31 साल में 19 आदमखोर बाघ और 14 तेंदुओं को ढेर किया था.

नैनीताल में जन्मे थे जिम कॉर्बेट: जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था. नैनीताल में जन्म होने के कारण कॉर्बेट को नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों से बेहद लगाव था. जिम कॉर्बेट ने अपने प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में पूरी की. अपनी युवावस्था में पश्चिम बंगाल में रेलवे में नौकरी कर ली. लेकिन नैनीताल का प्रेम उन्हें नैनीताल की हसीन वादियों की ओर खींचता रहा.

कालाढूंगी में बनाया था घर: जिम कॉर्बेट ने साल 1915 में स्थानीय व्यक्ति से कालाढूंगी क्षेत्र के छोटी हल्द्वानी में जमीन खरीदी. वे यहां रहने लगे. उन्होंने यहां घर भी बना लिया था. नैनीताल के समय में यहां रहने आया करते थे. उन्होंने अपने सहयोगियों के लिए अपनी 221 एकड़ जमीन को खेती और रहने के लिए दे दी. जिसे आज कॉर्बेट का गांव छोटी हल्द्वानी के नाम से जाना जाता है.

Last Updated : May 17, 2022, 2:36 PM IST
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