रामनगर: प्रदेश में बाघ और गुलदार लोगों पर आए दिन हमले कर रहे हैं, जिससे लोग खौफजदा हैं. वहीं विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के आसपास बाघों का हमला बदस्तूर जारी है. कॉर्बेट प्रशासन अभी भी हमला कर रहे बाघों को पकड़ने में फिसड्डी साबित हो रहा है. हमलावर 2 बाघों को चिन्हित किया गया है, लेकिन बाघ अभी भी पकड़ से बाहर हैं. वहीं बाघों का लोगों में खौफ साफ देखा जा सकता है.
बाघों का निवाला बन रहे लोग: बता दें कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास पड़ने वाले पनोद नाले से लेकर 15 किलोमीटर मोहान क्षेत्र तक जून 2022 से बाघों के हमले शुरू हुए. जिसमें बाघों द्वारा पहला हमला जून 2022 में खलील अहमद पर किया गया. खलील की मौत हो गयी थी. खलील कॉर्बेट पार्क के सर्पदुली रेंज में मजदूरी का कार्य कर बाइक से घर जा रहा था. उस पर बाघ ने हमला कर दिया था. बाघ द्वारा उसी क्षेत्र में 17 जून 2022 को फिर एक वनकर्मी बॉबी पर हमला किया गया. बॉबी भी बाइक से वापस रामनगर को आ रहा था. बाघ के हमले में बॉबी गंभीर रूप से घायल हो गया. बॉबी की जान इसलिए बच पाई क्योंकि बॉबी के पीछे जिप्सी थी. जिप्सी सवारों के द्वारा हल्ला करने पर बाघ बॉबी को छोड़कर जंगल की ओर भागा था.
तीसरे बाघ की एंट्री ने बिगाड़ा खेल: जिसके बाद पार्क प्रशासन द्वारा बाघ को पकड़ने के प्रयास किये गए. 9 जुलाई को कॉर्बेट प्रशासन द्वारा एक बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर लिया गया. जिसके बाद पार्क प्रशासन को लगा कि अब सब सही हो गया. लेकिन तभी 16 जुलाई को बाघ द्वारा फिर नेशनल हाईवे 309 पर मोहान के पास एक बाइक सवार पर हमला किया गया. इसमें बाघ पीछे बैठे युवक को घसीटकर जंगल में ले गया. बाद में युवक का शव मिला था. जिसके बाद पार्क प्रशासन की समझ में आया कि पकड़ी गई बाघिन के अलावा और भी हमलावर बाघ हैं. तब से ही बाघ द्वारा लगातार मानव के साथ ही पशुओं पर भी लगातार हमले किए जा रहे हैं. बीते दिसंबर माह 2022 में भी बाघ द्वारा 2 लोगों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतारा गया. वहीं तब से ही बाघों को पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है. बाघों को पकड़ने के दौरान एक बार 2 बाघों को ट्रेंकुलाइज करने के लिए इंजेक्शन भी दिए गए. लेकिन एन वक्त पर वहां पर तीसरे बाघ की एंट्री ने सारा खेल बिगड़ दिया.
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बाघ के हमलों ने वन महकमे की खोली कलई: कॉर्बेट प्रशासन इस दौरान कहता रहा कि बाघ पकड़ने की कोशिशें चल रही हैं. लेकिन नतीजा आज तक सिफर ही रहा है. बाद में कुछ समय के लिए बाघों के हमले बंद हो गए. जिससे लगने लगा कि समस्या का समाधान हो गया. कॉर्बेट प्रशासन ने भी अपनी कार्रवाई एक तरह से बंद ही कर दी थी. तभी 12 दिसंबर 2022 को बाघ का फिर इंसान पर हमला हुआ. इस बार फिर एक इंसान की मौत हो गई. जिसे मानसिक रूप से कमजोर इंसान बताया गया. 24 दिसंबर 2022 को बाघ के हमले में फिर एक इंसान की जान चली गई, यह रामनगर का ही निवासी था. एक के बाद एक हो रहे बाघों के इन हमलों में इंसान अपनी जान गंवा रहे हैं. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि हम घरों से निकलने में भी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमलावर बाघों का पकड़ा जाना बेहद जरूरी है. अन्यथा फिर कोई हादसा हो सकता है.
क्या कह रहे जानकार: वहीं इसको लेकर कॉर्बेट फाउंडेशन के अध्यक्ष हरेंद्र सिंह बरगली कहते है कि बाघों का घनत्व कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बढ़ता जा रहा है. जबकि देखा जाता है कि हर बाघ की अपनी टेरेटरी होती है और ये 3 से 4 बाघ एक साथ देखे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब इस ओर ध्यान देना होगा कि कितने एरिया में कितने बाघों को रखना होगा. उसकी डेंसिटी क्या होनी चाहिए. वे कहते हैं कि पार्क प्रशासन को इस ओर ध्यान देना होगा.
बाघों को जल्द पकड़ने की जरूरत: वहीं वन्यजीव प्रेमी इमरान खान कहते हैं कि बाघ ऐसा जानवर है जो अपने आप को परिस्थितियों के हिसाब से ढाल लेता है. उन्होंने कहा कि जिस बाघिन को कॉर्बेट प्रशासन ने ट्रेंकुलाइज किया था, उसके डीएनए रिपोर्ट से ये कन्फर्म हो गया था कि इसी बाघिन ने सर्पदुली में कार्य कर रहे युवक को मारा था. इमरान ने कहा कि वे बाघिन के साथ उसके बच्चे कई लंबे समय से इस क्षेत्र में हैं और मां को इंसानों पर हमला करते देख रहे हैं. जब इनकी मां को पकड़ लिया गया तो वो भी वैसा ही सीख गए हैं. ज्यादातर दोपहिया वाहनों पर हमला कर रहे हैं. इमरान कहते हैं कि कॉर्बेट प्रशासन की पूरी टीम इनको ट्रेंकुलाइज करने में जुटी है. बाघ इतने चालाक हो गए हैं वो समझ चुके हैं कि उन्होंने कुछ किया है और ये लोग उन्हें पकड़ने के लिए आ रहे हैं और छुप जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिन्हें जल्द पकड़ना आवश्यक है.
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वहीं कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉ. धीरज पांडे कहते हैं कि बाघों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है. जो बाघ हमला कर रहे हैं, उनको चिन्हित कर लिया गया है. 2 बाघों को ट्रेंकुलाइज करने की कार्रवाई गतिमान है. इसमें ड्रोन, हाथी एवं वेटनरी डॉक्टरों की टीम लगी हुई है. साथ ही उन्होंने बताया कि मानव सी दिखने वाली डमीज में सोलर करंट दौड़ाकर भी बाघों को इंसानों से दूर रखने के प्रयास किये जा रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि बाघों के घनत्व के मामले में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून में भी स्टडी की जा रही है. स्टडी पूरी होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.