रामनगर: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (jim corbett national park) को बेस्ट वाइल्ड लाइफ डेस्टिनेशन अवॉर्ड मिला है. अवॉर्ड को देर शाम पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने ग्रहण किया.
बता दें कि, पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड ने तीन श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित अवॉर्ड हासिल किए हैं. टूरिज्म सर्वे और अवॉर्ड कार्यक्रम में भारत के बेहतरीन पर्यटन स्थलों को 9 श्रेणियों में अलग-अलग पुरस्कार दिए गए. इनमें से उत्तराखंड को तीन अवॉर्ड हासिल हुए हैं. प्रदेश के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क को बेस्ट वाइल्ड लाइफ डेस्टिनेशन, ऋषिकेश को बेस्ट एडवेंचर डेस्टिनेशन और केदरानाथ को बेस्ट स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन घोषित किया गया है.
बता दें कि, विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क 1293 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. वहीं यहां लगभग 252 से ज्यादा बाघ पाए जाते हैं. जिनमें से 2 बाघ अभी राजाजी पार्क शिफ्ट किए जा चुके हैं. वहीं अब इनकी संख्या 250 रह गई है. अगर हाथियों की बात करें तो एक हजार से ज्यादा हाथी कॉर्बेट पार्क में पाए जाते हैं. इसी के साथ भालू, तेंदुए, पक्षी एवं अन्य वन्यजीवों के दीदार के लिए हर वर्ष जिम कॉर्बेट पार्क में लाखों की तादाद में पर्यटक आते है.
आइए जानते है कॉर्बेट पार्क के बारे में कुछ बाते...
कॉर्बेट पार्क का इतिहासः विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों और वन्यजीवों के दीदार के लिए पूरे देश विदेश में प्रसिद्ध है. 1936 में पार्क की स्थापना के समय इस पार्क का नाम तत्कालीन गवर्नर मैल्कम हेली के नाम पर हेली नेशनल पार्क रखा गया था. वहीं, आजादी के बाद इस पार्क का नाम रामगंगा नेशनल पार्क रख दिया गया. फिर प्रसिद्ध शिकारी रहे जिम कॉर्बेट की मौत के 2 साल बाद 1956 में इसका नाम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 1318.54 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां कई प्रकार के पेड़ों की प्रजातियां, जीव जंतु व कई प्रकार के वन्यजीव भी हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के घनत्व के लिए देश-विदेश में जाना जाता है. रामगंगा नदी पार्क की लाइफ लाइन मानी जाती है.
कॉर्बेट के नाम से चल रहा रोजगार: बता दें कि, विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क देश-विदेश में बाघों के घनत्व के साथ ही अन्य वन्यजीवों के लिए चर्चित है. एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट को इस दुनिया से गए आज करीब 66 साल हो गये हैं. आज भी उनके नाम पर रामनगर व आसपास के क्षेत्रों में कई प्रतिष्ठान, रिजॉर्ट और यहां तक की सैलून की दुकानें भी चल रही हैं. आज भी व्यवसाय करने वाले कहते हैं कि जिम कॉर्बेट पार्क रामनगर में अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं. इसलिए आज भी वे जिंदा हैं.
नैनीताल में जन्मे थे जिम कॉर्बेट: एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था. नैनीताल में जन्म होने के कारण कॉर्बेट को नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों से बेहद लगाव था. जिम कॉर्बेट ने अपने प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में पूरी की. अपनी युवावस्था में पश्चिम बंगाल में रेलवे में नौकरी कर ली. लेकिन नैनीताल का प्रेम उन्हें नैनीताल की हसीन वादियों की ओर खींचता रहा.
कालाढूंगी में बनाया था घर: जिम कॉर्बेट ने साल 1915 में स्थानीय व्यक्ति से कालाढूंगी क्षेत्र के छोटी हल्द्वानी में जमीन खरीदी. वे यहां रहने लगे. उन्होंने यहां घर भी बना लिया था. नैनीताल के समय में यहां रहने आया करते थे. उन्होंने अपने सहयोगियों के लिए अपनी 221 एकड़ जमीन को खेती और रहने के लिए दे दिया. जिसे आज कॉर्बेट का गांव छोटी हल्द्वानी के नाम से जाना जाता है.
1947 में विदेश चले गए थे: बता दें कि, आज भी देश-विदेश से सैलानी कॉर्बेट के गांव छोटी हल्द्वानी घूमने के लिए आते हैं. साल 1947 में जिम कॉर्बेट देश छोड़कर विदेश चले गए. जाते समय कालाढूंगी में स्थित घर को अपने मित्र चिरंजीलाल साहब को दे गए.
ब्रांड बन चुका है कॉर्बेट का नाम: वर्तमान में कॉर्बेट का नाम एक ब्रांड बन चुका है. एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट के नाम से रखे गए पार्क से जोड़कर सैकड़ों लोग पर्यटन से अपने व अपने परिवार की आजीविका चला रहे हैं. इसमें ऐसे भी लोग हैं जो कॉर्बेट के नाम के सहारे अपनी दुकान चला रहे हैं. कॉर्बेट का नाम इतना प्रसिद्ध हो चला है कि कई लोगों ने अपने छोटे-बड़े प्रतिष्ठानों के नाम कॉर्बेट के नाम से ही रखे हैं. यहां तक पर्यटकों की बुकिंग करने वाले प्राइवेट लोगों ने भी अपनी साइटों के नाम कॉर्बेट के नाम पर रखे हैं.