देहरादून: उत्तराखंड के लिए अच्छी खबर है. कुमाऊं की सबसे पुरानी और बहुचर्चित जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को भारत सरकार से निवेश की मंजूरी मिली. यह निर्णय लिया गया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 90:10 निवेश के तहत परियोजना की अनुमानित लागत 2584.10 करोड़ रुपये स्वीकृत की जाएगी. शुक्रवार को जल संसाधन सचिव भारत सरकार की अध्यक्षता आयोजित बैठक में जमरानी बांध परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत 90:10 के अंतर्गत निवेश में स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है.
शुक्रवार को सचिव जल संसाधन भारत सरकार की अध्यक्षता में नीति आयोग व केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित बैठक में पश्चिम बंगाल, मणिपुर, महाराष्ट्र और उत्तराखंड राज्य की योजनाएं निवेश स्वीकृति हेतु इन्वेस्टमेंट क्लीयेरेन्स की 17वीं बैठक में प्रस्तुत की गई. बैठक में उत्तराखंड राज्य की जमरानी बांध परियोजना लागत रु० 2584.10 करोड़ के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया कि परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत 90ः10 के अन्तर्गत निवेश की स्वीकृति प्रदान कर दी जाए. जमरानी बांध परियोजना पर शीघ्र ही पुनर्वास सहित निर्माण कार्यों को प्रारम्भ किए जायेंगे. इस परियोजना से सिंचाई के साथ-साथ हल्द्वानी शहर को वर्ष 2055 तक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराये जाने का प्राविधान है. परियोजना से 63 मिलियन यूनिट वार्षिक विद्युत उत्पादन भी किया जाएगा. परियोजना को वर्ष 2027 तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य रखा गया है.
उन्होंने बताया कि परियोजना से प्रभावितों के पुनर्वास के लिए शीघ्र ही पुनर्वास नीति केबिनेट में स्वीकृति हेतु रखी जाएगी और पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 के प्राविधानों के अनुसार प्रभावित ग्रामवासियों का सम्यक रूप से पुनर्यास किया जाएगा. केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बताया कि जमरानी परियोजना उनके लिए बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिससे लाखों लोगों का हित जुड़ा हुआ है. जिसके लिए उनके द्वारा समय-समय पर केंद्र और राज्य से वार्ता को पत्राचार के साथ साथ मुलाकात करते हुए परियोजना के संदर्भ में तेजी से काम करने के प्रयास किए. पेयजल आपूर्ति के साथ जमरानी बांध परियोजना जनपद नैनीताल, उधम सिंह नगर, बरेली, रामपुर में सिंचाई की सुविधा और 14 मेगा वाट जल विद्युत उत्पादन करेगा.
बता दें कि उत्तराखंड गठन के बाद भी लगातार बांध निर्माण के समर्थन में आवाज उठती रही. पिछले तीन साल में सर्वे और प्रस्ताव से जुड़े कामों में कुछ तेजी भी देखने को मिली थी. जनवरी की शुरूआत में प्रस्तावित बांध की जद में आने वाले इलाकों में भूमि अधिग्रहण की धारा-11 भी लागू कर दी गई. इस धारा के लागू होने पर जमीन संबंधी खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लग जाता है. क्योंकि, जमीन का इस्तेमाल जनहित से जुड़े एक अहम प्रोजेक्ट के लिए होना है.
जमरानी बांध का मामला: हल्द्वानी व आसपास के इलाके में पेयजल संकट दूर करने के लिए 1975 से इस बांध की कवायद चल रही है. बिजली उत्पादन के साथ-साथ इसे खेतों को सिंचाई के लिए पानी भी मिलेगा. जमरानी बांध के निर्माण के लिए 400 एकड़ जमीन की जरूरत है. इसमें फारेस्ट लैंड के अलावा निजी भूमि भी आ रही है. ग्रामीण विस्थापन के लिए सहमति दे चुके हैं. उनकी मांग किच्छा के प्राग फार्म में बसाने की है. तिलवाड़ी, मुरकुडिया, गंदराद, पनियाबोर, उदुवा और पस्तोला गांव के लोगों का विस्थापन होना है. परियोजना का काम शुरू होने से 5 साल के भीतर काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
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पर्यटन के क्षेत्र में होगा लाभ जमरानी बांध के निर्माण से उत्तराखंड को करीब 9458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश को 47607 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिलेगी. इस बांध से 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी प्रस्तावित है, जबकि उत्तराखंड को 52 क्यूबिक मीटर पानी भी पेयजल के लिए मिल सकेगा. वहीं, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को 57 और 43 के अनुपात में पानी बंटेगा. उम्मीद है की इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी, लेकिन इन सब के बीच देखने वाली बात ये है इतने लंबे इंतजार के बाद जमरानी बांध कागजों से उतरकर जमीन पर कब बनना शुरू होगा.
एक नजर में जमरानी बांध परियोजना
- 1975 में बांध निर्माण की स्वीकृति.
- करीब 9 किलोमीटर की लंबाई में 130 मीटर ऊंचा और 480 मीटर चौड़ा बांध.
- 46 साल पहले बांध की लागत 61 करोड़.
- वर्तमान में बांध परियोजना की लागत 2584 करोड़ के आसपास, यानी 46 सालों में लागत 39 गुना बढ़ गई.
61 करोड़ में बनने वाली परियोजना 2700 करोड़ तक पहुंच गई 46 साल का वक्त कम नहीं होता. 61 करोड़ में बनने वाली परियोजना 2500 करोड़ तक पहुंच गई है. जमरानी बांध का काम एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाया है. इतने सालों से जमरानी बांध केवल कागजों पर बनता जा रहा है. हर लोकसभा, विधानसभा चुनावों के दौरान एक ही मुद्दा की जमरानी बांध बनेगा, अब तक नेताओं के इस बयान में भी कोई कमी नहीं आई है.