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International Tiger Day: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हैं देश के सबसे ज्यादा बाघ

आज (29 जुलाई) अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (international tiger day) है. बाघों के संरक्षण में (conservation of tigers) में उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (corbett tiger reserve) ने अहम योगदान निभायी है. भारत में तेजी से बाघों (tigers) की संख्या बढ़ रही है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) बाघों की संख्या में भारत का नंबर वन टाइगर रिजर्व (tiger reserve) है.

International Tiger Day
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस
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Published : Jul 29, 2021, 4:32 PM IST

देहरादून: एक समय था जब देश में बाघों की संख्या तेजी से घट रही थी, लेकिन आज देश के सभी टाइगर रिजर्व (tiger reserve) में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) ने तो इसमें कीर्तिमान स्थापित किया है. ये सब इसीलिए बताया जा रहा है कि क्योंकि आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (international tiger day) है और बाघों के संरक्षण (conservation of tigers) में उत्तराखड के CTR (corbett tiger reserve) ने अहम योगदान निभाया है.

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मुताबिक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (corbett tiger reserve) बाघों की संख्या के मामले में देश के 51 टाइगर रिजर्व में नंबर एक पर है. हालांकि राज्यों में बाघों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड तीसरे नंबर पर है. बाघों की संख्या के हिसाब से मध्य प्रदेश पहले और कर्नाटक दूसरे नंबर पर है.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस

पढ़ें- International Tiger Day: जानिए, 'प्रोजेक्ट टाइगर' से 'टाइगर जिंदा है' तक की कहानी

सीटीआर में बढ़ा बाघों का कुनबा: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में 2006 के बाद से ही लगातार बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. 2006 में सीटीआर के अंदर बांघों की संख्या 150 थी. वहीं इस समय सीटीआर में 250 से ज्यादा बाघ हैं. सीटीआर में लगातार बढ़ रही बाघों की संख्या से कॉर्बेट प्रशासन गदगद नजर आ रहा है. सीटीआर में 250 बाघों की संख्या का ये आंकड़ा 2019 की गणना के आधार पर है. उम्मीद है कि बीते दो सालों में सीटीआर में बाघों की संख्या और अधिक हुई होगी.

CTR में बाघों की संख्या: कॉर्बेट प्रशासन (Corbett Administration) ने 2006, 2010, 2014, 2018 और 2019 में बाघों की गणना कराई थी. हर बार बाघों की संख्या में इजाफा देखा गया है. 2006 में सीटीआर के अंदर मात्र 150 बाघ थे. इसके बाद जब 2010 में बाघों की गणना की गई तो ये संख्या बढ़कर 184 हो गई थी. वहीं 2014 में 215 और आखिरी गणना 2019 में कराई गई थी. तब सीटीआर में बाघों की संख्या 250 थी.

पढ़ें- ऊदबिलाव की मॉनिटरिंग कर रहा है जिम कॉर्बेट पार्क प्रबंधन

कॉर्बेट रिजर्व टाइगर के लिए मुफीद: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थिति कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के लिए मुफीद जगह है. यहां बड़ी तेजी से बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. कॉर्बेट नेशनल पार्क में प्राकृतिक आवास, प्राकृतिक व पक्के वाटरहोल और भरपूर पानी बाघों को सुरक्षित माहौल देता है.

कॉर्बेट के बारे में जानकारी: 8 अगस्त 1936 को कॉर्बेट पार्क को हेली नेशनल पार्क का नाम दिया गया था. 1955 में हेली नेशनल पार्क को रामगंगा नेशनल पार्क का नाम मिला, लेकिन 1957 में प्रसिद्ध दार्शनिक व शिकारी जेम्स जिम कॉर्बेट के नाम पर इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क रखा गया था.

पढ़ें- कॉर्बेट में जलीय जीवों की गणना के नतीजे आए, जानिए आंकड़े

कॉर्बेट में लॉन्च हुआ था प्रोजेक्ट टाइगर: देश में बाघों के संरक्षण के लिए साल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया था, जो आज भी काम कर रहा है. एक अप्रैल 1973 को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से ही प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया था. यहां पर पक्षियों की 500 से अधिक प्रजातियां, 110 प्रकार के पेड़-पौधे, करीब 200 किस्म की तितलियां, नदियां, पहाड़, शिवालिक श्रृंखला आदि कॉर्बेट को दिलचस्प बनाती हैं.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास: बता दें कि दुनियाभर में मात्र 13 देशों में ही बाघ पाए जाते हैं. इसमें से 70 प्रतिशत बाघ भारत में हैं. साल 2010 में भारत के अंदर बाघों की संख्या 1,700 के करीब पहुंच गई थी. इसके बाद बाघों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसमें हर साल 29 जुलाई को अंतराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई.

पढ़ें- राजाजी नेशनल पार्क लाए जा रहे बाघों को बचाने का पायलट प्रोजेक्ट, NCTA ने जारी किए निर्देश

भारत में बाघों की संख्या 2967 पहुंची: इस सम्मेलन में कई देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुना करने का लक्ष्य रखा था. इसी का परिणाम है कि साल 2018 की गणना में भारत में बाघों की संख्या बढ़कर 2967 हो गई थी. बता दें कि देशभर में बाघों की जनगणना हर चार साल में होती है. इससे उनकी ग्रोथ रेट का पता लगाया जाता है. साल 1973 में देशभर में मात्र 9 टाइगर रिजर्व ही थे. अब इनकी संख्या बढ़कर 51 हो गई है.

देहरादून: एक समय था जब देश में बाघों की संख्या तेजी से घट रही थी, लेकिन आज देश के सभी टाइगर रिजर्व (tiger reserve) में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) ने तो इसमें कीर्तिमान स्थापित किया है. ये सब इसीलिए बताया जा रहा है कि क्योंकि आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (international tiger day) है और बाघों के संरक्षण (conservation of tigers) में उत्तराखड के CTR (corbett tiger reserve) ने अहम योगदान निभाया है.

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मुताबिक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (corbett tiger reserve) बाघों की संख्या के मामले में देश के 51 टाइगर रिजर्व में नंबर एक पर है. हालांकि राज्यों में बाघों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड तीसरे नंबर पर है. बाघों की संख्या के हिसाब से मध्य प्रदेश पहले और कर्नाटक दूसरे नंबर पर है.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस

पढ़ें- International Tiger Day: जानिए, 'प्रोजेक्ट टाइगर' से 'टाइगर जिंदा है' तक की कहानी

सीटीआर में बढ़ा बाघों का कुनबा: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में 2006 के बाद से ही लगातार बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. 2006 में सीटीआर के अंदर बांघों की संख्या 150 थी. वहीं इस समय सीटीआर में 250 से ज्यादा बाघ हैं. सीटीआर में लगातार बढ़ रही बाघों की संख्या से कॉर्बेट प्रशासन गदगद नजर आ रहा है. सीटीआर में 250 बाघों की संख्या का ये आंकड़ा 2019 की गणना के आधार पर है. उम्मीद है कि बीते दो सालों में सीटीआर में बाघों की संख्या और अधिक हुई होगी.

CTR में बाघों की संख्या: कॉर्बेट प्रशासन (Corbett Administration) ने 2006, 2010, 2014, 2018 और 2019 में बाघों की गणना कराई थी. हर बार बाघों की संख्या में इजाफा देखा गया है. 2006 में सीटीआर के अंदर मात्र 150 बाघ थे. इसके बाद जब 2010 में बाघों की गणना की गई तो ये संख्या बढ़कर 184 हो गई थी. वहीं 2014 में 215 और आखिरी गणना 2019 में कराई गई थी. तब सीटीआर में बाघों की संख्या 250 थी.

पढ़ें- ऊदबिलाव की मॉनिटरिंग कर रहा है जिम कॉर्बेट पार्क प्रबंधन

कॉर्बेट रिजर्व टाइगर के लिए मुफीद: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थिति कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के लिए मुफीद जगह है. यहां बड़ी तेजी से बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. कॉर्बेट नेशनल पार्क में प्राकृतिक आवास, प्राकृतिक व पक्के वाटरहोल और भरपूर पानी बाघों को सुरक्षित माहौल देता है.

कॉर्बेट के बारे में जानकारी: 8 अगस्त 1936 को कॉर्बेट पार्क को हेली नेशनल पार्क का नाम दिया गया था. 1955 में हेली नेशनल पार्क को रामगंगा नेशनल पार्क का नाम मिला, लेकिन 1957 में प्रसिद्ध दार्शनिक व शिकारी जेम्स जिम कॉर्बेट के नाम पर इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क रखा गया था.

पढ़ें- कॉर्बेट में जलीय जीवों की गणना के नतीजे आए, जानिए आंकड़े

कॉर्बेट में लॉन्च हुआ था प्रोजेक्ट टाइगर: देश में बाघों के संरक्षण के लिए साल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया था, जो आज भी काम कर रहा है. एक अप्रैल 1973 को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से ही प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया था. यहां पर पक्षियों की 500 से अधिक प्रजातियां, 110 प्रकार के पेड़-पौधे, करीब 200 किस्म की तितलियां, नदियां, पहाड़, शिवालिक श्रृंखला आदि कॉर्बेट को दिलचस्प बनाती हैं.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास: बता दें कि दुनियाभर में मात्र 13 देशों में ही बाघ पाए जाते हैं. इसमें से 70 प्रतिशत बाघ भारत में हैं. साल 2010 में भारत के अंदर बाघों की संख्या 1,700 के करीब पहुंच गई थी. इसके बाद बाघों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसमें हर साल 29 जुलाई को अंतराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई.

पढ़ें- राजाजी नेशनल पार्क लाए जा रहे बाघों को बचाने का पायलट प्रोजेक्ट, NCTA ने जारी किए निर्देश

भारत में बाघों की संख्या 2967 पहुंची: इस सम्मेलन में कई देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुना करने का लक्ष्य रखा था. इसी का परिणाम है कि साल 2018 की गणना में भारत में बाघों की संख्या बढ़कर 2967 हो गई थी. बता दें कि देशभर में बाघों की जनगणना हर चार साल में होती है. इससे उनकी ग्रोथ रेट का पता लगाया जाता है. साल 1973 में देशभर में मात्र 9 टाइगर रिजर्व ही थे. अब इनकी संख्या बढ़कर 51 हो गई है.

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