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नदी और जल स्रोतों में बढ़ता प्रदूषण बना चिंताजनक, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को मिल सकती है जिम्मेदारी

कुमाऊं के गौला नदी, सरयू नदी समेत अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों में बढ़ते प्रदूषण पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कुमाऊं ने चिंता जाहिर की है. प्रदूषण को लेकर की जाने वाली निगरानी पर जल्द ही कोई सार्थक फैसला आने के आसार हैं.

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Published : Jan 21, 2020, 12:38 PM IST

कुमाऊं
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हल्द्वानीः कुमाऊं के प्राकृतिक जल स्रोतों, नदियों और झीलों में हो रहे प्रदूषण की निगरानी जल्द प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को मिल सकती है. जिसको देखते हुए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कुमाऊं ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को प्रस्ताव भेजा है, जिस पर जल्द कोई फैसला हो सकता है. वहीं समय के साथ पर्यटन में एक अहम भूमिका निभाने वाली झीलों, नदियों और अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों का जलस्तर लगातार घट रहा है.

जल स्रोतों में बढ़ता प्रदूषण चिंताजनक.

कुमाऊं के गौला नदी, सरयू नदी समेत अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों के अलावा सातताल और नैनीताल सहित अन्य जिलों में फैल रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं. हल्द्वानी स्थित कुमाऊं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य और केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को एक प्रस्ताव भेजा है. जिसमें यह आशंका जताई जा रही है कि पर्यटन में एक बड़ी भूमिका निभाने वाली झीलों, बड़ी नदियों और अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों का जलस्तर लगातार घट रहा है और इनके पानी में प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ रही है.

लिहाजा जरूरी है कि जल्द से जल्द सभी झीलों, नदियों और प्राकृतिक जल स्रोतों से प्रदूषण की स्थिति को नापा जाए, जिससे आने वाले दिनों में किसी बड़ी परेशानी से बचा जा सके. वहीं कुमाऊं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके चतुर्वेदी के अनुसार अभी हाल में नैनीताल, भीमताल झील समेत गौला नदी की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है.

इन तीनों में पानी की क्वालिटी अभी तक ए कैटेगरी की पाई गई है. लेकिन सबसे बड़ी ध्यान देने वाली बात यह है कि कुमाऊं के अंदर जो सबसे बड़ी सर्विस वाटर बॉडी है, उसमें प्रदूषण की मात्रा कहां तक पहुंच चुकी है. कहीं इन जरूरतों में प्रदूषण की मात्रा मानकों को पार तो नहीं कर रही है, यदि ऐसा हुआ तो इसके लिए आने वाले समय के हिसाब से उसी तरफ से प्लानिंग तय की जाएगी.

दूसरी ओर कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला के मुताबिक हाल ही में नौकुचियाताल में कुछ मछलियों के मरने की जानकारी आई थी. घटना का संज्ञान लेकर अधिकारियों को जांच करने के निर्देश भी दिए हैं, लेकिन यह बात बिल्कुल सही है कि जो हमारी सर्विस वाटर बॉडी हैं उनके इंडिकेटर और पैरामीटर्स का प्लान करना बहुत जरूरी है. क्योंकि यदि समय-समय पर प्राकृतिक स्रोतों और जिलों के प्रदूषण की जांच होती रहेगी तो यह उन जगहों के परिस्थितिकी तंत्र और आम जनता को दिए जाने वाली पानी की सप्लाई के लिहाज से बेहद अच्छा होगा.

यह भी पढ़ेंः 75 साल के हुए इंडिया के 'जेम्स बॉन्ड', उत्तराखंड के पौड़ी से है खास रिश्ता

प्राकृतिक जल स्रोतों झीलों के सूखने और जलस्तर घटने की वजह यह भी हो सकती है कि उनके आसपास ऐसा माहौल तैयार हो रहा है जो प्रकृति के लिहाज से ठीक नहीं है. जल स्रोतों के आसपास खुले में फेंके जाने वाले कूड़ा भी झीलों और जल स्रोतों नदियों के पानी को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर ही रहा है.

साथ ही उन जलाशय में रह रहे जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचाकर परिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित भी कर रहा है. इसलिए जरूरी हो गया है कि प्राकृतिक जल स्रोतों में प्रदूषण की जांच कर उनके संरक्षण के लिए बड़े कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो रही है.

हल्द्वानीः कुमाऊं के प्राकृतिक जल स्रोतों, नदियों और झीलों में हो रहे प्रदूषण की निगरानी जल्द प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को मिल सकती है. जिसको देखते हुए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कुमाऊं ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को प्रस्ताव भेजा है, जिस पर जल्द कोई फैसला हो सकता है. वहीं समय के साथ पर्यटन में एक अहम भूमिका निभाने वाली झीलों, नदियों और अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों का जलस्तर लगातार घट रहा है.

जल स्रोतों में बढ़ता प्रदूषण चिंताजनक.

कुमाऊं के गौला नदी, सरयू नदी समेत अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों के अलावा सातताल और नैनीताल सहित अन्य जिलों में फैल रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं. हल्द्वानी स्थित कुमाऊं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य और केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को एक प्रस्ताव भेजा है. जिसमें यह आशंका जताई जा रही है कि पर्यटन में एक बड़ी भूमिका निभाने वाली झीलों, बड़ी नदियों और अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों का जलस्तर लगातार घट रहा है और इनके पानी में प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ रही है.

लिहाजा जरूरी है कि जल्द से जल्द सभी झीलों, नदियों और प्राकृतिक जल स्रोतों से प्रदूषण की स्थिति को नापा जाए, जिससे आने वाले दिनों में किसी बड़ी परेशानी से बचा जा सके. वहीं कुमाऊं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके चतुर्वेदी के अनुसार अभी हाल में नैनीताल, भीमताल झील समेत गौला नदी की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है.

इन तीनों में पानी की क्वालिटी अभी तक ए कैटेगरी की पाई गई है. लेकिन सबसे बड़ी ध्यान देने वाली बात यह है कि कुमाऊं के अंदर जो सबसे बड़ी सर्विस वाटर बॉडी है, उसमें प्रदूषण की मात्रा कहां तक पहुंच चुकी है. कहीं इन जरूरतों में प्रदूषण की मात्रा मानकों को पार तो नहीं कर रही है, यदि ऐसा हुआ तो इसके लिए आने वाले समय के हिसाब से उसी तरफ से प्लानिंग तय की जाएगी.

दूसरी ओर कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला के मुताबिक हाल ही में नौकुचियाताल में कुछ मछलियों के मरने की जानकारी आई थी. घटना का संज्ञान लेकर अधिकारियों को जांच करने के निर्देश भी दिए हैं, लेकिन यह बात बिल्कुल सही है कि जो हमारी सर्विस वाटर बॉडी हैं उनके इंडिकेटर और पैरामीटर्स का प्लान करना बहुत जरूरी है. क्योंकि यदि समय-समय पर प्राकृतिक स्रोतों और जिलों के प्रदूषण की जांच होती रहेगी तो यह उन जगहों के परिस्थितिकी तंत्र और आम जनता को दिए जाने वाली पानी की सप्लाई के लिहाज से बेहद अच्छा होगा.

यह भी पढ़ेंः 75 साल के हुए इंडिया के 'जेम्स बॉन्ड', उत्तराखंड के पौड़ी से है खास रिश्ता

प्राकृतिक जल स्रोतों झीलों के सूखने और जलस्तर घटने की वजह यह भी हो सकती है कि उनके आसपास ऐसा माहौल तैयार हो रहा है जो प्रकृति के लिहाज से ठीक नहीं है. जल स्रोतों के आसपास खुले में फेंके जाने वाले कूड़ा भी झीलों और जल स्रोतों नदियों के पानी को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर ही रहा है.

साथ ही उन जलाशय में रह रहे जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचाकर परिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित भी कर रहा है. इसलिए जरूरी हो गया है कि प्राकृतिक जल स्रोतों में प्रदूषण की जांच कर उनके संरक्षण के लिए बड़े कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो रही है.

Intro:sammry- जल स्रोतों की होगी प्रदूषण।(खबर मेल से उठाये)


एंकर- कुमाऊ के अधिकतर प्राकृतिक जल स्रोतों, नदियों और झीलों में हो रहे प्रदूषण की निगरानी जल्द प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को मिल सकती है ।जिसको देखते हुए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कुमाऊं ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को प्रस्ताव भेजा है जिस पर जल्द कोई फैसला देखने को मिल सकता है। आशंका जताई जा रही है कि पर्यटन में एक बड़ी भूमिका निभाने वाली झीलो, बड़ी नदियों और अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों का जलस्तर लगातार घट रहा है।


Body:कुमाऊ के गौला नदी सरयू नदी समेत अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों के अलावा सातताल और अनीता सहित अन्य जिलों में फैल रहे प्रदूषण को लेकर की जाने वाली निगरानी पर जल्द ही कोई सार्थक फैसला आने के आसार हैं हल्द्वानी स्थित कुमाऊ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य और केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें यह कहा गया है कि आशंका जताई जा रही है कि पर्यटन में एक बड़ी भूमिका निभाने वाली झीलो, बड़ी नदियों और अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों का जलस्तर लगातार घट रहा है और इनके पानी में प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ रही है लिहाजा इसकी इसलिए जरूरी है कि जल्द से जल्द सभी झीलों, नदियों और प्राकृतिक जल स्रोतों से प्रदूषण की स्थिति को नापा जाए जिससे आने वाले दिनों में किसी बड़ी परेशानी से बचा जा सके। वही कुमाऊं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके चतुर्वेदी के अनुसार अभी हाल में नैनीताल, भीमताल झील ,समेत गौला नदी की मॉनिटरिंग लगातार की जा रही है ।इन तीनों में पानी की क्वालिटी अभी तक ए कैटेगरी कि पाई गई है लेकिन सबसे बड़ी ध्यान देने वाली बात यह है कि कुमाऊ के अंदर जो सबसे बड़ी सर्विस वाटर बॉडी है उसमें प्रदूषण की मात्रा कहां तक पहुंच चुकी है ।कहीं इन जरूरतों में प्रदूषण की मात्रा मानकों को पार तो नहीं कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो इसके लिए आने वाले समय के हिसाब से उसी तरफ से प्लानिंग तय की जाएगी।

बाइट- आरके चतुर्वेदी क्षेत्रीय प्रबंधक प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड

कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला के मुताबिक हाल ही में नौकुचिया ताल में कुछ मछलियों के मरने की जानकारी भी आई की ।जांच करना बहुत जरूरी हो गया है और घटना का संज्ञान लेकर अधिकारियों को जांच करने के निर्देश भी दिए हैं। लेकिन यह बात बिल्कुल सही है कि जो हमारी सर्विस वाटर बॉडीज है उनके इंडिकेटर और पैरामीटर्स का प्लान करना बहुत जरूरी है क्योंकि यदि समय समय पर प्राकृतिक स्रोतों और जिलों के प्रदूषण की जांच होती रहेगी तो यह उन जगहों के परिस्थितिकी तंत्र और आम जनता को दिया जाने वाली पानी की सप्लाई के लिहाज से बेहद अच्छा होगा।

बाइट- राजीव रौतेला कमिश्नर कुमाऊं


Conclusion:प्राकृतिक जल स्रोतों झीलों के सूखने और जलस्तर घटने की वजह यह भी हो सकता है कि उनके आसपास ऐसा माहौल तैयार हो रहा है जो प्रकृति के लिहाज से ठीक नहीं है ।जल स्रोतों के आसपास खुले में फेंके जाने वाले कूड़ा भी झीलों और जल स्रोतों नदियों के पानी को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर ही रहा है। साथ ही उन जलाशय में रह रहे जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचा कर परिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित भी कर रहा है ।इसलिए जरूरी हो गया है कि प्राकृतिक जल स्रोतों में प्रदूषण की जांच कर उनके संरक्षण के लिए बड़े कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।।
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