नैनीताल: कुमाऊं में होली का आगाज हो गया है. यहां पर होली की शुरुआत पौष महीने के पहले रविवार से हो जाती है. होली की यह अनोखी परंपरा पिछले काफी समय से चली आ रही है. यहां के बुजुर्गों का कहना है कि लुप्त हो रही सांस्कृतिक विरासत को बचाने की ये एक अच्छी पहल है, जिससे आने वाली पीढ़ी को लुप्त हो रही विरासत से रूबरू किया जा सके. साथ ही यहां की होली धार्मिक एकता को भी दर्शाती है.
जानकारी के मुताबिक यहां पर पौष महीने के पहले रविवार के साथ ही कुमाऊं होली का शुभारम्भ हो जाता है. इस अनूठी परंपरा के अनुसार होली तीन चरणों में मनाई जाती है, जिसमें पहले चरण की शुरुआत बैठकी होली के रूप में हो चुकी है, जिसमें विरह की होली गायी जाती है.
वहीं, बसंत पंचमी के आने के बाद से होली गायन में श्रृंगार रस घुल जाता है. इस दौरान इसमें युवा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. ये बैठकी देर शाम तक चलती है. वहीं, बसंत पंचमी के प्रारंभ होने के साथ ही यहां श्रृंगार रसों की होली गायन का शुभारम्भ हो चुका है.
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कुमाऊं में होली का इतिहास सदियों पुराना रहा है. करीब डेढ़ दशक पहले रामपुर के उस्ताद अमानत हुसैन ने यहां पर होली गीतों की शुरूआत की थी और तब से लेकर आज तक बैठकी और खड़ी होली इसी अंदाज में मनाई जा रही है.
यहां की होली का एक और खास विशेषता है कि यहां की होली किसी धर्म या समुदाय तक ही सीमित नहीं है बल्कि सभी समुदाय के लोग इस त्योहार को आपस में मिलकर मनाते हैं.