हल्द्वानी: सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो करती है, लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते अन्नदाता अपने उत्पादन को बेचने के के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर हो रहे हैं. हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में सीजन में धान खरीद के लिए करीब 400 किसानों का सहकारी समिति की ओर से पंजीकरण किया गया, लेकिन सहकारी समिति की ओर से केवल 200 किसानों की धान खरीद के बाद धान खरीद पर रोक लगा दी गई.
ऐसे में करीब 200 से अधिक किसान आज भी अपने धान को बेच नहीं पाए हैं. किसान अपने धान को बेचने के लिए कई बार जिला प्रशासन और खाद्य विभाग से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी धान की खरीद नहीं हो पाई है. बताया जा रहा है कि क्षेत्र के करीब 200 किसानों का लगभग 3000 कुंतल धान अभी भी घरों में डंप पड़ा हुआ है. किसान अपने धान को बेचने के लिए इधर उधर भटक रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से 1868 रुपये प्रति कुंतल धान की खरीद का समर्थन मूल्य है, जबकि बाजारों में धान की कीमत नहीं मिल पा रही है.
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बाजार में धान बेचने से उनको प्रति कुंतल 500 रुपये का नुकसान हो रहा है. ऐसे में मजबूरन उनको अपने धान को घरों में रखना पड़ा है. यही नहीं किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि समिति ने मिलीभगत कर बाहरी राज्यों के किसानों की धान की खरीद की, लेकिन स्थानीय किसानों के धान को नहीं खरीदा जा रहा है. वहीं इस पूरे मामले में जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि सरकार की ओर से निर्धारित धान की खरीद का लक्ष्य पूरा हो जाने के बाद धान की खरीद नहीं की गई. जहां तक कि समिति की ओर से बाहरी राज्यों से धान खरीद का है, आरोपों की जांच कराई जा चुकी है. जिसमें कोई अनियमितता नहीं पाई गई है.