हल्द्वानी: नेपाल बॉर्डर से लेकर कॉर्बेट नेशनल पार्क तक के वेस्टर्न सर्किल के पांच डिवीजनों में 778 वन आरक्षियों की जगह मात्र 271 वन आरक्षी ही काम कर हैं, जबकि 507 पद अभी भी रिक्त हैं. ऐसे में तराई के डिवीजन में एक फॉरेस्ट गार्ड को क्षमता से 3 गुना जंगल की सुरक्षा में काम करना पड़ रहा है. यही कारण है कि वन अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और यही लोग वनों में आग लगाने का काम कर रहे हैं.
दरअसल कुमाऊं मंडल के जंगलों में इन दिनों आग लगी हुई है. नेपाल सीमा से लेकर पहाड़ और रामनगर तक के जंगल जगह-जगह सुलग रहे हैं. वन विभाग के पास स्टॉफ और संसाधन के अभाव की वजह से जंगलों की आग धीरे-धीरे और विकराल होती जा रही है. यहां तक कि वन महकमें के पास आग बुझाने के संसाधनों की भारी कमी है, जिसके चलते विभाग आग पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रहा है.
बात करें अगर कुमाऊं मंडल के वेस्टर्न सर्किल की तो यहां रामनगर, हल्द्वानी, तराई पूर्वी, तराई पश्चिमी और तराई केंद्रीय वन प्रभाग के अंतर्गत पिछले लंबे समय से 778 फॉरेस्ट गार्ड की तुलना में मात्र 271 फॉरेस्ट गार्ड ही काम कर रहे हैं, जबकि 507 पद खाली पड़े हैं.
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मुख्य वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त जीवन चंद्र जोशी ने बताया कि वेस्टर्न सर्किल में आग से निपटने के लिए 5 मास्टर कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है. इसके अलावा 183 क्रू फायर स्टेशन बनाए गए हैं, 3,000 आग बुझाने वाले उपकरण है और 1,878 अस्थाई कर्मचारी आग की घटनाओं की निगरानी कर रहे हैं. वनकर्मियों को 308 वायरलेस सेट भी उपलब्ध कराए गए हैं.
17,000 हेक्टेयर में कंट्रोल वॉर्मिंग के तहत अभियान चलाकर जंगलों की सफाई कराई गई है, जबकि जंगल में आग वाली संभावित जगहों पर 2,000 किमी की रेंज में पानी की पाइप लाइन बिछाई गई है जिससे कि आग लगने पर तुरंत काबू पाया जा सके. वहीं, जोशी का कहना है कि कर्मचारियों की कमी को देखते हुए विभाग की ओर से शासन को पत्र लिखकर कर्मचारियों की मांग की गई है.