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उत्तराखंड में शुरू हुई होली की तैयारियां, यहां मनती है सबसे पहले होली - holi began in ramnagar

देवभूमि के वाशिंदे इन दिनों बर्फबारी का मजा ले रहे हैं. इस बीच खबर आई है कि तीन महीने पहले ही बैठकी होली का आयोजन शुरू हो चुका है. हम बात कर रहे हैं नैनीताल जिले के रामनगर की.

holi began
बैठकी होली
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Published : Dec 22, 2019, 7:57 PM IST

Updated : Dec 22, 2019, 8:05 PM IST

रामनगर: होली का त्योहार शुरू होने में अभी लगभग 3 माह बचे है, लेकिन नैनीताल जिले के रामनगर में पूस के पहले रविवार से बैठकी होली का आरंभ हो चुका है. जिसको यहां के स्थानीय लोग हर साल धूमधाम से मनाते हैं. जानिए, यहां कैसे मनाई जाती है बैठकी होली.

रामनगर में बैठकी होली का आरंभ

होली गायन के दौरान गुड़ के साथ मुंह मीठा कराया जाता है. आपको शायद ही मालूम होगा कि चंद राजाओं के शासनकाल में भी बैठकी होली की जाती थी. ऐसा भी माना जाता है कि होली गायन की ये धरोहर करीब 300 वर्ष पूर्व कुमाऊं में अपना स्थान बना चुकी थी. पूस माह से बसंत पंचमी तक कुमाउंनी संस्कृति में होली गायन किया जाता है.

कुमाऊं में होली गायन की विधा का लंबा इतिहास रहा है. चंद राजाओं के शासनकाल में धमार गीत की पंक्ति ''तुम राजा महाराज प्रद्युम्रशाह, मेरी करो प्रतिपाल, लाल होली खेल रहे हैं'' इस बात को प्रमाणित करती है कि होली गायन की ये विधा तब के राजाओं को भी काफी पसंद थी. 19वीं सदी की शुरुआत में बैठकी होली गायन की परंपरा का श्रीगणेश अल्मोड़ा और रामनगर से ही माना जाता है.

ये भी पढ़ें: CAA के विरोध को लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क, संदिग्धों पर पैनी नजर

रामनगर के प्रख्यात होली गायक गोपाल दत्त खुल्बे ने बताया कि पूस के पहले रविवार से बसंत पंचमी तक विभिन्न रागों में भक्ति रस प्रधान होली गायन किया जाता है.

रामनगर: होली का त्योहार शुरू होने में अभी लगभग 3 माह बचे है, लेकिन नैनीताल जिले के रामनगर में पूस के पहले रविवार से बैठकी होली का आरंभ हो चुका है. जिसको यहां के स्थानीय लोग हर साल धूमधाम से मनाते हैं. जानिए, यहां कैसे मनाई जाती है बैठकी होली.

रामनगर में बैठकी होली का आरंभ

होली गायन के दौरान गुड़ के साथ मुंह मीठा कराया जाता है. आपको शायद ही मालूम होगा कि चंद राजाओं के शासनकाल में भी बैठकी होली की जाती थी. ऐसा भी माना जाता है कि होली गायन की ये धरोहर करीब 300 वर्ष पूर्व कुमाऊं में अपना स्थान बना चुकी थी. पूस माह से बसंत पंचमी तक कुमाउंनी संस्कृति में होली गायन किया जाता है.

कुमाऊं में होली गायन की विधा का लंबा इतिहास रहा है. चंद राजाओं के शासनकाल में धमार गीत की पंक्ति ''तुम राजा महाराज प्रद्युम्रशाह, मेरी करो प्रतिपाल, लाल होली खेल रहे हैं'' इस बात को प्रमाणित करती है कि होली गायन की ये विधा तब के राजाओं को भी काफी पसंद थी. 19वीं सदी की शुरुआत में बैठकी होली गायन की परंपरा का श्रीगणेश अल्मोड़ा और रामनगर से ही माना जाता है.

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रामनगर के प्रख्यात होली गायक गोपाल दत्त खुल्बे ने बताया कि पूस के पहले रविवार से बसंत पंचमी तक विभिन्न रागों में भक्ति रस प्रधान होली गायन किया जाता है.

Intro:भारतवर्ष मैं होली का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। होली का त्यौहार शुरू होने मैं अभी लगभग 3 माह बचे है लेकिन जनपद नैनीताल के रामनगर मैं बैठी होली आरम्भ हो चुकी है जिसको यहाँ के स्थानीय लोग प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाते है।Body:एंकर-होली का अभी 3 माह से ज्यादा का समय है लेकिन कुमाऊ के रामनगर में पूस के पहले रविवार से बैठकी होली का आगाज हो चूका है|
होली गायन के दौरान गुड़ के साथ मुंह मीठा कराया जाता है। बताया जाता है कि चंद राजाओं के शासनकाल में भी बैठकी होली की गूंज सुनाई देती थी। ऐसा भी माना जाता है कि होली गायन की यह धरोहर आज से करीब 300 वर्ष पूर्व कुमाऊं में अपना स्थान बना चुकी थी। पूस माह से बसंत पंचमी तक कुमाऊनी संस्कृति में होली का गायन किया जाता है|
कुमाऊं में होली गायन की विधा का लंबा इतिहास माना जाता है। चंद राजाओं के शासनकाल में धमार गीत की यह पंक्ति तुम राजा महाराज प्रद्युम्रशाह, मेरी करो प्रतिपाल, लाल होली खेल रहे हैं, इस बात के प्रमाण देती है कि होली गायन की यह विधा तब के राजाओं को भी काफी पसंद आती थी। यही नहीं उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में बैठकी होली गायन की परंपरा का श्रीगणेश अल्मोड़ा और रामनगर से ही माना जाता है।Conclusion:रामनगर के प्रख्यात होली गायक गोपाल दत्त खुल्बे बताते हैं कि पूस के पहले रविवार से बसंत पंचमी तक विभिन्न रागों में भक्ति रस प्रधान होली गायन किया जाता है।
Last Updated : Dec 22, 2019, 8:05 PM IST
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