रामनगर: होली का त्योहार शुरू होने में अभी लगभग 3 माह बचे है, लेकिन नैनीताल जिले के रामनगर में पूस के पहले रविवार से बैठकी होली का आरंभ हो चुका है. जिसको यहां के स्थानीय लोग हर साल धूमधाम से मनाते हैं. जानिए, यहां कैसे मनाई जाती है बैठकी होली.
होली गायन के दौरान गुड़ के साथ मुंह मीठा कराया जाता है. आपको शायद ही मालूम होगा कि चंद राजाओं के शासनकाल में भी बैठकी होली की जाती थी. ऐसा भी माना जाता है कि होली गायन की ये धरोहर करीब 300 वर्ष पूर्व कुमाऊं में अपना स्थान बना चुकी थी. पूस माह से बसंत पंचमी तक कुमाउंनी संस्कृति में होली गायन किया जाता है.
कुमाऊं में होली गायन की विधा का लंबा इतिहास रहा है. चंद राजाओं के शासनकाल में धमार गीत की पंक्ति ''तुम राजा महाराज प्रद्युम्रशाह, मेरी करो प्रतिपाल, लाल होली खेल रहे हैं'' इस बात को प्रमाणित करती है कि होली गायन की ये विधा तब के राजाओं को भी काफी पसंद थी. 19वीं सदी की शुरुआत में बैठकी होली गायन की परंपरा का श्रीगणेश अल्मोड़ा और रामनगर से ही माना जाता है.
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रामनगर के प्रख्यात होली गायक गोपाल दत्त खुल्बे ने बताया कि पूस के पहले रविवार से बसंत पंचमी तक विभिन्न रागों में भक्ति रस प्रधान होली गायन किया जाता है.