नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में हुए 20 करोड़ रुपये के गबन मामले में सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने सरकार को मामले की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सोमवार को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि मामले की प्राथमिक जांच पूरी हो चुकी है. मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने अगली सुनवाई हेतु सोमवार की तिथि नियत की है. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमुर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.
मामले में बोर्ड के चियरमैन शमशेर सिंह सत्याल ने अपने को पक्षकार बनाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमे उनके द्वारा कहा गया था कि वे बोर्ड के चियरमैन हैं, उनको पक्षकार नहीं बनाया गया, जबकि वे पूरे घोटाले से वाकिफ हैं. कोर्ट को उनका पक्ष सुनना आवश्यक है.
उनका कहना है कि बोर्ड के सदस्यों ने कोटद्वार में ईएसआई हॉस्पिटल बनाने के लिए बिना सरकार व कैबिनेट की मंजूरी के ब्रिज एंड रूफ इंडिया लिमिटेड कंपनी को 50 करोड़ का ठेका दे दिया और कंपनी को 20 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान भी कर दिया, जबकि हकीकत यह है कि अभी तक हॉस्पिटल बनाने के लिए जमीन का चयन तक नहीं किया गया और न ही सरकार से कोई अनुमति ली गयी थी.
पढ़ें- ऊर्जा निगम में घोटालों का अंबार, जांच में खुल सकती है कई अधिकारियों की पोल
सरकार की अनुमति के बिना 20 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान नहीं किया जा सकता. सरकार ने 9 दिसंबर 2020 को इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी, साथ में कमेटी से यह कहा गया था कि कंपनी से 20 करोड़ रुपये वसूलकर इसको संबंधित खाते में जमा करवाएं. इस जांच कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट 23 मार्च, 2021 को सौंप दी थी. जांच में 20 करोड़ रुपये का गबन होना पाया गया था. चेयरमैन का कहना है कि जब जांच पूरी हो चुकी है, तो सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नही कर रही है. इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
पढ़ें- टिहरी: PWD ने सड़क बनाने के नाम पर काटे सैकड़ों पेड़, ग्रामीणों में रोष
याचिका: मामले के अनुसार काशीपुर निवासी खुर्शीद अहमद ने जनहित याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि साल 2020 में भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीनें एवं साइकिलें देने के लिए विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया था लेकिन इनको खरीदने में बोर्ड के अधिकारियों द्वारा वित्तीय अनियमिताएं बरती गईं.
जब इसकी शिकायत प्रशासन व राज्यपाल से की गई तो अक्टूबर2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया और बोर्ड का नया चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त किया गया. जब इसकी जांच चेयरमैन द्वारा कराई गई तो घोटाले की पुष्टि हुई. उक्त मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड के द्वारा भी जांच की गई, जिसमें बड़े-बड़े नेताओं व अधिकारियों के नाम सामने आए लेकिन सरकार ने उनको हटाकर उनकी जगह नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया. जिसके द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है. अपने लोगों को बचाया जा रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त मामले की जांच एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर निष्पक्ष रूप से कराई जाए.