नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून की सुसवा नदी व बुल्लावाला पुल के नीचे हो रहे अवैध खनन के मामले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सचिव खनन, संबंधित जिलाधिकारी, निदेशक खनन से 8 नवंबर को कोर्ट में पेश होने को कहा है.
आज सुनवाई पर कोर्ट कमिश्नर प्रियंका अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की. रिपोर्ट ने कहा गया कि अभी भी पुल के पास अवैध खनन किया जा रहा है, जिसकी वजह से पुल क्षतिग्रस्त हो चुका है. साथ ही पुल के पास बड़ी मात्रा में वेस्ट प्लास्टिक जमा है. कोर्ट ने जिला अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि पुल के पास जो वेस्ट प्लास्टिक एकत्रित है, उसका निस्तारण किया जाए. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अभी तक अवैध खनन को क्यों नहीं रोका गया. वहीं, कोर्ट ने पूछा कि खनन माफिया भरत नारंग के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? इस विषय में शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराने के आदेश दिए हैं.
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इस मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से खनन माफिया भरत नारंग को पक्षकार बनाने को कहा है. कोर्ट कमिश्नर प्रियंका अग्रवाल की रिपोर्ट में इस व्यक्ति के द्वारा वर्तमान में भी अवैध खनन करने की पुष्टि की गई है. खनन अधिकारी व जिलाधिकारी भी सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुईं. खनन अधिकारी ने कोर्ट से कहा कि इस व्यक्ति की शिकायत उनके पास नहीं है, जिनकी शिकायत उनके पास आती है उनपर वो जुर्माना लगाते हैं. इसके उत्तर में कोर्ट ने कहा कि जब खनन अधिकारी के पास शिकायत आएगी क्या तभी कार्य करोगे? वनाधिकारी क्या कर रहे हैं और क्या प्रसाशन सोया रहता है?
बता दें कि, कोटद्वार निवासी शिव सिंह ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून के बुल्लावाला पुल और सुसवा नदी के नीचे धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे नदी तट पर बसे लोगों को खतरा हो सकता है. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि सुसवा नदी में लगातार हाे रहे खनन से कुड़कावाला व बुल्लावाला में सुसवा नदी पर बने पुल को खतरा बढ़ गया है. जिम्मेदार अधिकारी भी इसे लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं. बावजूद इसके खनन गतिविधियों पर रोक नहीं लग पाई है. यदि नदियों में लगातार खनन जारी रहा तो पुल कभी भी गिर सकता है, इसलिए अवैध खनन पर रोक लगाई जाए.