नैनीताल: देहरादून के एमकेपी पीजी कॉलेज में 45 लाख रुपए के गबन के मामले पर मंगलवार 17 अगस्त को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी करने व जांच को लंबित रखने के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. कोर्ट ने सचिव उच्च शिक्षा राधा रतूड़ी को अवमानना का नोटिस जारी किया है और तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का कहा है.
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकलपीठ में हुई. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए थे कि वह सचिव उच्च शिक्षा को पक्षकार बनाएं, क्योंकि पूर्व के सचिव उच्च शिक्षा आनन्द वर्धन का तबादला हो चुका है, उनकी जगह वर्तमान में राधा रतूड़ी सचिव उच्च शिक्षा नियुक्त हैं.
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मंगलवार को कोर्ट ने उनके प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए सचिव उच्च शिक्षा राधा रतूड़ी को पक्षकार बनाकर उनको अवमानना का नोटिस जारी किया है. मामले के अनुसार एमकेपी पीजी कॉलेज को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2012 में 45 लाख रुपए की धनराशि दी थी. जब ऑडिट किया गया तो उसमें गबन का अंदेशा जताया गया.
इसके बाद देहरादून की समाजसेवी सोनिया बेनीवाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग ने कोर्ट में जो शपथ पत्र दिया था, उसमें कहा गया था कि 45 लाख रुपए का गबन हुआ है.
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नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने तत्कालीन सचिव जीतेंद्र सिंह नेगी और तत्कालीन प्राचार्या डॉक्टर किरण सूद को सुनवाई का अवसर देने के बाद प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनंद वर्धन से चार माह के भीतर निर्णय लेने को कहा था. अगर गड़बड़ियों की पुष्टि होती है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा था.
नैनीताल हाईकोर्ट के इस आदेश से आहत होकर सचिव जितेन्द्र सिंह नेगी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने पर नेगी ने उत्तराखंड हाइकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
कोर्ट ने आदेशानुसार 18 दिसंबर 2020 तक प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनंद वर्धन को इस प्रकरण में उचित निर्णय और कार्रवाई कर लेनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने इसमें अति विलंब किया और कोई निर्णय नहीं लिया. इस वजह से सोनिया बेनीवाल ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी.