नैनीताल: हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (National Institute of Open Schooling) से छह माह का ब्रिज कोर्स (bridge course) कर चुके अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में रेगुलर डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (Regular Diploma in Elementary Education) (डीएलएड) के समकक्ष मानने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि, चंपावत निवासी सुरेंद्र सिंह बोहरा समेत 87 अन्य लोग ब्रिज कोर्स प्रशिक्षित अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने कहा कि वे सभी बीएड डिग्रीधारी हैं और एनसीटीई से मान्यता प्राप्त ब्रिज कोर्स किया है. जो प्राथमिक शिक्षक बनने की पूर्ण योग्यता रखते हैं. उन्होंने टीईटी प्रथम भी उत्तीर्ण किया है.
वहीं, विभागीय शासनादेश व प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की विज्ञप्ति में डीएलएड प्रशिक्षण के समकक्ष उन्हें नहीं माना जा रहा है. जिस वजह से सभी प्रशिक्षित भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो रहे हैं, लिहाज, सभी ब्रिज कोर्स धारकों को योग्य माना जाए.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि 2016 में चयनित बीएड-टीईटी पास शिक्षकों को विशेष सेवारत प्रशिक्षण एनआईओएस से एनसीटीई मान्यता प्राप्त समान नियमों के अंतर्गत दिया गया. लिहाजा, उन्हें भी विभागीय डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों के समकक्ष माना जाए मामले को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने मामले पर राज्य सरकार को 4 सप्ताह में शपथ-पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.