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22 जून तक शुरू नहीं होगी चारधाम यात्रा, पर्यटन सचिव को पड़ी फटकार, HC ने CS से मांगा जवाब

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Published : Jun 16, 2021, 12:39 PM IST

Updated : Jun 17, 2021, 9:05 AM IST

high-court
नैनीताल हाईकोर्ट

12:32 June 16

22 जून तक उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी SOP के आधार पर शुरू नहीं होगी चारधाम यात्रा

नैनीताल: उत्तराखंड में होने वाली विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव समेत पर्यटन सचिव को अपना विस्तृत जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. 

आज सुनवाई के दौरान पर्यटन सचिव के द्वारा कोर्ट में पेश किए गए जवाब पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पर्यटन सचिव को फटकार लगाई और पुनः अपना जवाब कोर्ट में पेश करने को कहा है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रघुवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने 23 जून को मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अपर पर्यटन सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश होने को कहा है.

अदालत में पेश हुए पर्यटन सचिव दिलीप जावलकार द्वारा चारधाम के संबंध में दाखिल हलफनामे से असंतुष्ट खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने केवल यह बताया है कि चारधाम यात्रा 22 जून तक के लिए प्रतिबंधित है लेकिन इसमें कोई स्पष्टता नहीं है कि उसके बाद चरणबद्ध तरीके से चारधाम यात्रा शुरू होगी या नहीं?

खंडपीठ ने कहा कि आखिरी क्षण में निर्णय लेने के दुष्परिणाम होते हैं और कुंभ के दौरान भी अंत समय में अधिसूचना जारी होने के कारण व्यवस्था के अनुपालन में कठिनाई आई थी. अदालत ने कहा कि नीतिगत निर्णय लेना सरकार का काम है और अगर सरकार चारधाम यात्रा चरणबद्ध तरीके से शुरू करना चाहती है तो उसके लिए एसओपी और यात्रियों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि इन व्यवस्थाओं पर समय से निर्णय होना चाहिए

हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव समेत स्वास्थ्य और पर्यटन सचिव से पूछा है कि उत्तराखंड में होने वाली चारधाम यात्रा को लेकर राज्य सरकार के द्वारा क्या तैयारियां की गई हैं.

हाईकोर्ट ने ये भी पूछा

  • अगर यात्रा शुरू होती है तो कोविड नियमों का पालन कैसे किया जाएगा.
  • अगर राज्य सरकार चारधाम यात्रा कराना चाहती है तो 21 जून से पहले इस पर नीतिगत निर्णय ले ताकि यात्रा सुचारू रूप से चल सके.
  • यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के लिए मेडिकल की क्या व्यवस्था रहेगी.
  • चारधाम में तीर्थ-पुरोहितों की वैक्सीनेशन की क्या व्यवस्था की गई है.
  • यात्रा के दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर गठित कमेटी की जो खामियां हैं उनको सरकार कैसे दूर करेगी.
  • यात्रा के दौरान सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं.
  • राज्य सरकार के द्वारा यात्रा के दौरान मुख्य मार्गों समेत चारधाम क्षेत्र को सैनिटाइज कैसे किया जाएगा.

इस पर अब प्रदेश के मुख्य सचिव समेत पर्यटन और स्वास्थ्य सचिव को अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से हाईकोर्ट में पेश करना है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव समेत पर्यटन सचिव को निर्देश दिए हैं कि अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा तीनों लोग मौजूद रहें.

सभी श्रद्धालुओं को नियमों का पालन करना होगा

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं को नियमों का पालन करना होगा और यह सरकार की जिम्मेदारी है. इसलिए आखिरी क्षण में निर्णय करने की बजाय सरकार को समय-समय पर फैसले करने होंगे और व्यवस्थाओं को देखना होगा.अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और सच्चिदानंद डबराल की याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने पर्यटन सचिव को फटकार लगाई और कहा कि चारधाम यात्रा कुंभ मेले की तरह नहीं होनी चाहिए. अदालत ने पाया कि कुंभ मेला शुरू होने से एक दिन पहले सरकार ने उसकी एसओपी जारी की थी और तैयारी न होने के कारण कोरोना मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, जिससे राज्य की प्रतिष्ठा खराब हुई और प्रदेश में कोरोना का ग्राफ भी बढ़ा.

अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या इन क्षेत्रों के स्थानीय लोगों और व्यापारियों का टीकाकरण हो चुका है? चारधाम यात्रा की तैयारियों के निरीक्षण के दौरान मिली कमियों के साथ ही पर्यटन सचिव को यह सूचना देने को भी कहा गया है कि यात्रा के दौरान कितने पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे? सचिव से चारधाम यात्रा के पैदल रास्ते को रोजाना सैनेटाइज करने पर विचार करने को भी कहा गया है.सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि 2020 में चारधामों के दर्शन के लिए 3,10,568 श्रद्धालु आए थे.
 

12:32 June 16

22 जून तक उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी SOP के आधार पर शुरू नहीं होगी चारधाम यात्रा

नैनीताल: उत्तराखंड में होने वाली विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव समेत पर्यटन सचिव को अपना विस्तृत जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. 

आज सुनवाई के दौरान पर्यटन सचिव के द्वारा कोर्ट में पेश किए गए जवाब पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पर्यटन सचिव को फटकार लगाई और पुनः अपना जवाब कोर्ट में पेश करने को कहा है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रघुवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने 23 जून को मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अपर पर्यटन सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश होने को कहा है.

अदालत में पेश हुए पर्यटन सचिव दिलीप जावलकार द्वारा चारधाम के संबंध में दाखिल हलफनामे से असंतुष्ट खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने केवल यह बताया है कि चारधाम यात्रा 22 जून तक के लिए प्रतिबंधित है लेकिन इसमें कोई स्पष्टता नहीं है कि उसके बाद चरणबद्ध तरीके से चारधाम यात्रा शुरू होगी या नहीं?

खंडपीठ ने कहा कि आखिरी क्षण में निर्णय लेने के दुष्परिणाम होते हैं और कुंभ के दौरान भी अंत समय में अधिसूचना जारी होने के कारण व्यवस्था के अनुपालन में कठिनाई आई थी. अदालत ने कहा कि नीतिगत निर्णय लेना सरकार का काम है और अगर सरकार चारधाम यात्रा चरणबद्ध तरीके से शुरू करना चाहती है तो उसके लिए एसओपी और यात्रियों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि इन व्यवस्थाओं पर समय से निर्णय होना चाहिए

हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव समेत स्वास्थ्य और पर्यटन सचिव से पूछा है कि उत्तराखंड में होने वाली चारधाम यात्रा को लेकर राज्य सरकार के द्वारा क्या तैयारियां की गई हैं.

हाईकोर्ट ने ये भी पूछा

  • अगर यात्रा शुरू होती है तो कोविड नियमों का पालन कैसे किया जाएगा.
  • अगर राज्य सरकार चारधाम यात्रा कराना चाहती है तो 21 जून से पहले इस पर नीतिगत निर्णय ले ताकि यात्रा सुचारू रूप से चल सके.
  • यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के लिए मेडिकल की क्या व्यवस्था रहेगी.
  • चारधाम में तीर्थ-पुरोहितों की वैक्सीनेशन की क्या व्यवस्था की गई है.
  • यात्रा के दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर गठित कमेटी की जो खामियां हैं उनको सरकार कैसे दूर करेगी.
  • यात्रा के दौरान सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं.
  • राज्य सरकार के द्वारा यात्रा के दौरान मुख्य मार्गों समेत चारधाम क्षेत्र को सैनिटाइज कैसे किया जाएगा.

इस पर अब प्रदेश के मुख्य सचिव समेत पर्यटन और स्वास्थ्य सचिव को अपना जवाब शपथ पत्र के माध्यम से हाईकोर्ट में पेश करना है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव समेत पर्यटन सचिव को निर्देश दिए हैं कि अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा तीनों लोग मौजूद रहें.

सभी श्रद्धालुओं को नियमों का पालन करना होगा

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं को नियमों का पालन करना होगा और यह सरकार की जिम्मेदारी है. इसलिए आखिरी क्षण में निर्णय करने की बजाय सरकार को समय-समय पर फैसले करने होंगे और व्यवस्थाओं को देखना होगा.अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और सच्चिदानंद डबराल की याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने पर्यटन सचिव को फटकार लगाई और कहा कि चारधाम यात्रा कुंभ मेले की तरह नहीं होनी चाहिए. अदालत ने पाया कि कुंभ मेला शुरू होने से एक दिन पहले सरकार ने उसकी एसओपी जारी की थी और तैयारी न होने के कारण कोरोना मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, जिससे राज्य की प्रतिष्ठा खराब हुई और प्रदेश में कोरोना का ग्राफ भी बढ़ा.

अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या इन क्षेत्रों के स्थानीय लोगों और व्यापारियों का टीकाकरण हो चुका है? चारधाम यात्रा की तैयारियों के निरीक्षण के दौरान मिली कमियों के साथ ही पर्यटन सचिव को यह सूचना देने को भी कहा गया है कि यात्रा के दौरान कितने पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे? सचिव से चारधाम यात्रा के पैदल रास्ते को रोजाना सैनेटाइज करने पर विचार करने को भी कहा गया है.सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि 2020 में चारधामों के दर्शन के लिए 3,10,568 श्रद्धालु आए थे.
 

Last Updated : Jun 17, 2021, 9:05 AM IST
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