कोरापुट: ओडिशा की समृद्ध पारंपरिक कला, संस्कृति और विरासत के बारे में हर किसी को पता है. ऐसे में आज हम बात करेंगे उन महिलाओं और उनके इलाकों के बारे में जिन्होंने नेचुरल डाई प्रोडक्शन के क्षेत्र में राज्य और अपने क्षेत्र को आगे ले जाने का काम कर रही हैं.
लोक बुनाई की निदेशक के अनुराधा ने का मानना है कि, ओडिशा का कोरापुट जिला प्राकृतिक रंग उत्पादन के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल करेगा. कोरापुट जिले के बोइपारीगुडा, लामटापुट, नंदपुर, कोटपाड़ और कोरापुट ब्लॉक की सैकड़ों महिलाओं को राज्य की समृद्ध रंगीन सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए शिक्षित और ट्रेनिंग दी जा रही है.
साथ ही साथ यहां की महिलाओं के लिए सम्मानजनक आजीविका का अवसर सुनिश्चित किया गया है. इस विषय पर डॉ. अनुराधा ने कहा, महिलाओं को अपने पड़ोस के जंगल में विभिन्न पेड़ों से छाल, पत्ते, फल और फूल इकट्ठा करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और उनसे प्राकृतिक रंग बनाने के लिए उन्हें सहायता और मार्गदर्शन दिया जाता है.
डॉक्टर अनुराधा ने कहा कि, महिलाएं आल के पेड़ की जड़ों से प्राकृतिक रंग बनाकर, कोटपाड़ क्षेत्र के बुनकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कपड़े बनाने में सक्षम हैं. उनका मानना है कि, पर्याप्त मात्रा में आल के पेड़ों की उपलब्धता बुनकरों के लिए एक बड़ी चुनौती रही है और कई बार इस उद्योग में बाधा उत्पन्न हुई है. डॉ. अनुराधा ने बताया कि, कोरापुट जिला प्राकृतिक रंग तैयार करने के क्षेत्र में राज्य में अग्रणी स्थान प्राप्त करेगा, क्योंकि यहां विभिन्न वृक्षों के विभिन्न भागों जैसे फूलों से लेकर पत्तियों, छालों और जड़ों से प्राकृतिक रंग तैयार किए जा सकते हैं.
फोक वाइब्स के इस नए प्रयास की बदौलत अब तक गांवों में सिलाई का काम करने वाली बोईपारीगुड़ा की महिलाओं ने सपना देखा है कि प्राकृतिक रंग तैयार करने और बुनाई का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उनकी कमाई में वृद्धि होगी. प्रशिक्षित महिलाओं के सपने को साकार करने के लिए डॉ. अनुराधा ने बताया कि, फोक वाइब्स ने उन्हें सूती धागा उपलब्ध कराने और राष्ट्रीय स्तर पर बाजार उपलब्ध कराने के लिए एक व्यापक योजना भी तैयार की है.
बोईपारीगुड़ा ब्लॉक के बागरागुड़ा गांव की आदिवासी लड़की तिलोत्तमा माझी कुछ साल पहले मानसिक रोगी के रूप में अपने परिवार के लिए चिंता का कारण थी. लेकिन SPREAD संस्था के प्रयासों से दवा लेने के बाद वह ठीक हो गई. अब Folk Weaves द्वारा उसके जैसी युवा महिलाओं के लिए दिए गए अवसरों की मदद से वह अपनी उम्र की अन्य महिलाओं की तरह स्वतंत्र होने का सपना देख रही है.
इसी तरह, बोईपारीगुडा ब्लॉक के अंतर्गत पुरुनागुडा गांव की दमाई चालन ने Folk Weaves द्वारा स्थापित बुनाई केंद्र में कपास की रंगाई, चरखे पर धागा काटने और करघे पर कपड़ा बुनने का सालों का प्रशिक्षण लेने के बाद आत्मनिर्भर बनकर दूसरों के लिए एक मिसाल कायम की है. डॉ. अनुराधा को उम्मीद है कि, कोरापुट के पास देउला में संस्था द्वारा स्थापित प्राकृतिक रंग तैयारी और कपड़ा बुनाई केंद्र कोरापुट जिले की परंपरा और विरासत को संरक्षित करेगा और महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा.
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